Tuesday 7 January 2014

लेख माँ और ममता

आज नाश्ते के समय पारिवारिक चर्चा का विषय था ।

माँ पिता और बच्चे के संबंध ।

बनाम
उपलब्धियाँ और कैरियर ।

जहाँ तक बच्चों का सवाल है उनका प्रश्न बाज़िब था कि अगर पालना संभव नहीं
तो लोग जन्म ही क्यों देते हैं?

और अगर जन्म देते हैं तब बच्चा पूरी पूरी जिम्मेदारी है माता पिता बुआ
चाचा चाची ताऊ ताई दादा दादी और ननिहाल के लोग मामा मामी मौसा मौसी नाना
नानी कजिन और बङे भाई बहिन ।

सेकेंड लाईन के पेरेन्ट्स हैं ।

जिनके परिवार संयुक्त नहीं एकल यूनिट फैमिली है वे अगर माँ जॉब करती है
तो कोई न कोई सेकेंड पेरेंट्स रखती है ।
आया
क्रेश
धाय
तब वह भी दादी नानी
या बुआ मौसी मामी ताई चाची का ही तो रोल निभाती है?????

यानि

स्त्री यदि माता है तो कैरियर तभी निभा सकती है जब कि बच्चे को या तो
परिवार के सेकेंड पेरेंटस सँभाले या फिर पिता या फिर हैल्पर आया क्रैश ।

और सिंगल पेरेन्ट्स कुछ नहीं है ।


चाहे परिवार दोस्तों को मानें या हैल्पर सर्वेन्ट रखे या नाते रिश्तेदार

किंतु

किसी भी सूरत में बच्चा सिंगल मदर के साथ परवरिश पा नहीं सकता जैसा कि एक
समुचित स्वस्थ पालन पोषण होना चाहिये ।

माँ जॉब में है और पिता भी तब नन्हा बच्चा अकेला घर पर कैसे रुकेगा और
बच्चे को हर पल निगरानी की जरूरत है मख्खी या मच्छर चींटी या हवा पानी आग
मिट्टी धूल डर और भूख प्यास नींद सूसू पॉटी दर्द बुखार बीमारी चोट तकलीफ
बोरियत तनहाई और हर पल बोलना चलना पहचान सिखाना ।

स्कूल जाने की उम्र साढ़े तीन साल है ।

तब भी स्कूल चार घंटे का बाकी समय बच्चा कौन सँभाले?

स्कूल से कभी भी बुलावा आ सकता है और सब कुछ छोङकर कौन स्कूल पहुँचे?
माँ
बनना ही अकेले का काम नहीं ।
मान लो कि विज्ञान और तकनीक की मदद से माता अकेली माता बन भी जाये तो भी
नौ महीने गर्भवती स्त्री की सुरक्षा को एक वातावरण चाहिये और प्रसव के
दौरान पूरी एक टीम चाहिये बच्चा नॉर्मल ही होगा यह कोई गारन्टी नहीं । और
अगर कोई समस्या हो गयी तो???? अगर बच्चा सीजेरियन हुआ तो??? प्रसव के
दौरान माता की मृत्यु हो गयी तो???
कौन पालेगा सँभालेगा नवजात शिशु को???
बच्चा होने के तुरंत बाद माँ बच्चा दोनों को एक मददगार समूह चाहिये ।

जब तक माँ का शरीर चलने फिरने लायक होकर दोबारा सक्रिय हो और बच्चा
स्तनपान छोङकर चलना फिरना सीखे स्कूल जाने लगे स्कूल में एडजस्ट हो और
होश में आ जाये तब तक हर पल निगरानी की जरूरत है जो माँ अगर करती है तो
कोई माँ बच्चे के लिये भोजन वस्त्र दवाई पैसा जुटाने वाला चाहिये और अगर
माँ कमाई करने जाती है तो बच्चे को माता का विकल्प चाहिये ।

माँ का कोई विकल्प नहीं है दादी नानी मौसी बुआ मामी चाची दूसरी माता है ।

और

जो स्त्री आया धाय या नैनी रखती है वह दरअसल मौसी बुआ नानी दादी का ही
विकल्प बनाती है ।

यूरोप अमेरिका में गॉड मदर फादर घोषित करने की प्रथा है जो इसी आकस्मिकता
का विकल्प है कि अगर माँ को कुछ हो गया तो बच्चा कौन सँभालेगा । बेशक
माता जितना नहीं परंतु बच्चा सङक पर नहीं भटकेगा ।

तब सवाल यही है कि पैसा आराम आजादी अपनी आदतें अपना अहं प्रसिद्धि नाम
रौब पहचान कैरियर कमाई उपलब्धि

ही प्रधान है जिनके लिये
उनको ना माता बनने का हक़ है ना ही पिता ।

बेशक सब माता पिता कोई न कोई पहचान कैरियर उपलब्धि पा ही लेते हैं देर या
सवेर लेकिन ये सब निर्भर करता है हालात पर ।

हो सकता है कि बच्चे की माता को मायके से या ससुराल से कोई बच्चा पालने
देखभाल रखवाली करने में मदद करने वाला /वाली मिल जाये ।
और
वह बच्चा पैदा करने के सात दिन बाद ही अपने दफतर काम काज पर हाजिर हो जाये ।

हो सकता है कि पिता का जॉब व्यवसाय ऐसा हो कि वह बच्चे के पास अधिक समय
रुक सके जैसे घर के करीब ही दुकानदार और शिक्षक वगैरह । या कोई भरोसेमंद
सर्वेंट पङौसी दोस्त नातेदार मिल जाये ।

कैरियर ऐसी हालत में थोङी बहुत कष्टसाध्य दिनचर्या के बाद स्त्री सँभाल लेती है ।

किंतु वहाँ जहाँ स्त्री और पुरुष दोनों का कार्यस्थल दूर दूर है और
व्यसाय पृथक पृथक ।
तब
कैरियर हर हाल में माता का ही प्रभावित होना तय है क्योंकि बच्चे को तीन
साल तक तो हर हाल में माता ही चाहिये ।

माता का विकल्प सहायक बनाये बिना माता का अकेले ही कैरियर चमका पाना लगभग
नामुमकिन है जबकि बच्चे को समुचित केयर पोषण और निगरानी प्रशिक्षण दिया
जा रहा है ।
या तो माँ पिता मत बनो या तो तैयार रहो कुरबान करने को कुछ भी खून
गुर्दा आँख संपत्ति और समय पहचान उपलब्धि सेहत सुकून आजादी और अहंकार ।

क्योंकि माँ और परिवार बच्चे की पहली दरकार ।
©®सुधा राजे

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