Sunday 5 January 2014

लोकशाही रमतूला -1

एक सवाल
और अपने ही मन में सैकङों ज़वाब ।

क्या कोई भी राजनीतिक दल "
ये दावा (दौन्दना नहीं)
कर सकता है कि
उसके दल का कोई भी प्रत्याशी विधायक सांसद और पार्टी का घोषित पदाधिकारी
समिति सदस्य

भ्रष्टाचार नहीं करता???????

100%करप्शप्न फ्री पार्टी कौन सी है ।

देखने लायक तमाशा है कि अधिकांश महाबली जो किसी भी पार्टी के गण्यमान्य
आधार स्तंभ हैं ।

अधिकांश कॉग्रेस से निकले या निकाले गये हैं ।

और बाकी जो युवा कही जाने वाली फौज़ है वह पार्टी में कई पार्टियाँ बदल
कर आयी है ।
नौजवान सपने लेकर आये तो मगर वही जो छात्र राजनीति या स्थानीय दबंगगीरी
के कुख्यात लोग रह चुके ।

वाऱिस??

सीधे लॉञ्च किये गये
सचिन पायलट
ज्योतिरादित्य सिंधिया
अखिलेश य़ादव
जयंत चौधऱी
उमर अब्दुल्ला
कुमारी अगाथा
उद्धव ठाकरे ।

औऱ तमाम
डीएमके एडीएम के कुनबा के कुलभूषण ।


अगर ।

हमारी नज़र से देखा जाये तो ।

भ्रष्टाचार """"""

लगभग हर पार्टी में कम या ज्यादा है अभी उस पार्टी को कुछ नहीं कहना है
जो कम से कम छह महीने शासन या विपक्ष में से कहीं भी ना सत्ता ना संसद ना
विधान सभा में बैठी है ।

तो????
तो बजाय तू भ्रष्ट पार्टी ।
तू भ्र्ष्ट दल की लङकदंदौर मचाने के ।

सीधे सीधे मैनेजिंग हाई कमेटी को ये स्वीकारना चाहिये कि भ्रष्टाचार कहीं
भी पकङा जा सकता है ।
तेरी पार्टी हो या मेरी पार्टी ।


अब ये राष्ट्रीय समस्या बन चुका है और टॉप ट्वेन्टी भ्रष्टाचार रिश्वत
खोर देशों में भारत गिना जाने लगा है ।
शर्म की बात है ।


कि महाबली नायक नेता अनुभवी प्रशासक और विद्वान जनता के ओपिनियन लीडर्स ।

एक भ्रष्टाचारी के पकङे जाने पर उसके अपराध को निजी तौर पर व्यक्ति रूप
में उस नेता विधायक सांसद मंत्री प्रधान पंच सरपंच मेंबर चेयरमेन एम एल
सी ।

का कदाचरण नहीं मानते बल्कि पूरी पार्टी को तू तू तू तू करने लग जाते हैं ।


विदेशी आक्र्मणकारियों के शासन काल में भी ऊँचे पद पर रहने वालों से
मिलने देने और तमाम नवाबों वायसरायों गवर्नरों राजे महाराजे आदि से
सिफारिश करने नौकरी आदि के लिये ।
रिश्वत धन सुंदर तवायफें दासियाँ दास देने के उल्लेख इतिहास में मिलते हैं ।

यहाँ तक कि शेक्सपीयर के नाटक जूलियस सीजर में कैशियस को सेनानायक ब्रूटस
सैनिक पदों पर नियुक्ति के लिये रिश्वत लेने पर डाँटता है।

एशियाड खेल हों या पुलिया का गाँव में निर्माण।

जिस किसी महकमे नेता ऑफिसर के अधीन जो योजना आती है जमकर यथाशक्ति
रिश्वतबाज़ी और भ्रष्टाचार की शिकार हो जाती है ।
यहाँ तक कि सुरक्षा बल और प्राकृतिक अप्राकृतिक आपदा तक में मौतो पर
भ्रष्टाचार ज़ारी हो जाता है।
नेता कैसे पैसा खायेगा ये सब क्लर्क और ऑफिसर लॉबी बताती और लिखापढ़ी से
सही दिखाती है सबका हिस्सा मुकर्रर ।सब चुप।

जिसने जितने ज्यादा चंदे लिये राज किया योजनायें की उसको उतने ही ज्यादा मौके ।


वरना मामूली भत्ते वेतन पर दरोगा जी बंगला कार कहाँ से लाते और नेता जी
स्कूल होटल मिल कॉलेज हस्पताल फार्मविला कहाँ से

ईमानदार सरकारी ऑफिसर केसरक्यारी के स्टेमन बराबर

तो?
पार्टी कोई हो भ्रष्टाचारी वहीं घुसपैठ कर ले संभव है।
रहे चतुरनेता तो ये सदा नेता रहते है डूबता जहाज छोङा और तैरते पर सवार
उदाहरण
नगीना सीट विधान सभा की एक नेत्री है पहले बसपा फिर सपा फिर बसपा अब भाजपा
ऐसे सैकङों नेता है जो लगातार दल बदलते रहते हैं
जनता भी जात मजहब भाषा इलाका पूँजी मजदूर किसान पर
खंडित जनादेश दे रही है
तब
पश्चात समर्थन की भी मजबूरी

आज पार्टी नहीं प्रत्याशी को वोट मिलता है
तो ?
दलों को पार्टी लोकपाल गठित करके पारदर्शी होना चाहिये
©®.सुधा राजे

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