Friday 31 January 2014

लेख नक्सलवाद

Sudha Raje
क्या नक्सल
वादी नक्सलवादी लगा रखी?????
विदेशी हथियार?
फर्राटेदार अंग्रेजी???
शातिर निशानेबाज।
लैपटॉप मौबाईल कैमरे
????
ये गरीबो के मसीहा है???
अरे ये 1910से चल रहा विश्वयुद्ध है जो
अमेरिका
और
रूस
के बीच ।।।
नास्तिक और ईसाईयों के बीच चल
रहा है
।।
ये चौथी दुनियाँ और तृतीय विश्व के
देशों में
नवसाम्राज्यवाद
का बीज बोकर दुनिया को अपने अपने
पक्ष में करना चाहते है।।।
जिसको दुख है उसको पुटियाते है
और
माँ
के थप्पङ पै अब्बू
को मारगिराना सिखाते
हैं ।
ये
लाल सलाम गरीबों की नहीं ।।।
विश्व से ईसाईयत और
अमेरिकी पूँजीवाद
खत्म करने की लङाई लङ रहे हैं ।
ये अफ्रीका से बंगाल बिहार जंगल तक
फैले
है ।।
हिप्नोटिज्मिक लेखन और मरहम लगाकर
दोस्त बनाकर ।।
अपने देश शासन और व्यवस्था के खिलाफ
भङकाकर बागी करना हथियार
थमाना इनका काम है ।
आप का समझते है विकास वहाँ होने देगे
ये?????
नक्सली
जब स्कूल उडाते है तो क्यों
किसी के मानने न मानने से
क्या होता है?????
जो यहाँ शहर में आराम से बैठे पक्ष ले रहे
हैं
उनसे कहो
घर बेचकर लाल वादियों को दे दो ।।
क्योंकि मसीहा वही जो सलीब उठाये
।।
सेना पुलिस बल
क्या पेङ पर लगते है ं
ये किसी निजी दुश्मनी से वहाँ जाते है
।????
85ॆसैनिक विगत वर्ष मारे गये और
आरोपी छुङाने को एङी चोटी का जोर
लगा दिया ।
ये पूँजीपति ल़ालविचारकों ने ।।।
सबूत के अभाव में सब बरी हो गये ।।
ये सिपाही क्या पूँजीपतियों के घर से
आते
है???
मामूली तनख्वाह पर गरमी सरदी रात
दिन अँधेरे उजाले सुरक्षा में लगे ।।।।।।
गाँव में इनके भी कच्चे घर और बच्चे बूढे है

आखिरी बची गोली से रक्षा न कर पाने
की ग्लानि से जिस सिपाही ने खुद
को गोली मार ली ।
उसका
परिवार नही है???
हजारों बेवायें ।।।
अनाथ
ये सिपाही न हो तो सबसे पहले
नक्सली आतंकवादी
इन्ही ढोगी
धनवान लाल विचारकों को लूटकर मार
डालें
अंदर की बात है सेना का इस्तेमाल
गृहक्लेश में बङी खबर बनता है ।।
लेकिन
हमारे पास सी आर पी एफ है
होमगार्ड्स
है और पुलिस में भी करकरे जैसे लोग
जिंदा है
सही कहा ।।।
गरीब पर दोहरी मार ।।
ये स्कूल बम से उङाते है क्यों????
ये अस्पताल तोङ देते है क्यों???
इनके साथ बङे क्वालीफाईड डॉक्टर है ।
वो कहाँ से आते हैं ।।
औरतों पर अत्याचार की बात सुनने में
बङी लोमहर्षक लगती है ।। जो औरते
बम
बारूद और रोज दरजन भर हत्यायें करके
लाशों पर ठोकरें मारती हों उनको पकङ
कर क्या
मंदिर में बिठायें???
ये ऐयाशी का सामान बनाकर
नैतिकता के सारे नियम ताक पर धरकर
गैंग में रखी जाती है और सिवा मौत
बाँटने के कुछ नहीं करती ।
गाँव वालो को बंदूक की नोक पर इनके
लिये राशन रोटी सामान
गुलामी करनी पङती है । बाजार नगर
से
सूचना लेने देन् को गाँव वाले भेजे जाते है
जब बेटी बच्चा गिरवी रख
लिया जाता है ।।। सेना ऐसा नही कर
सकती इसलिये लोग सेना से नहीं नक्सल
से
डरते है वो मार देगा मामूली बात पर
बिलकुल सही ..यही सच्चाई है ..मूल
आदिवासी बेचारा तो न घर का न घाट
का ...इधर कुआँ उधर खाई ....
मुखबिर है पुलिस का
कह कर
किसी भी वनवासी के हाथ पैर काट देते

Jun 1, 2013

No comments:

Post a Comment