Friday 17 January 2014

अकविता :बारूद के आदमी 2

Sudha Raje
शराब शबाब कबाब और दिन चढ़े तक
सोने वाले ।
एयरकंडीशंड दफतर कार मकान में रहने
वाले ।
कभी उस एक कमरे के क्वार्टर में जाकर
रह नहीं नहीं सकते
जहाँ गरमी का मतलब गरमी होता है
और सरदी का मतलब सरदी । बरसात
का मतलब कीचङ दलदल साँप गोजर
बिच्छू होते है सीलन होती है और
ड्यूटी का मतलब होता है खङे
रहना चलते रहना टैंट में सोना ।
जब सैनिक छुट्टी को सुख से
नहीं मना सकेगा तो ज़ांबाजी से कैसे
रखवाली करेगा?
उसकी छुट्टी खेत के बैल और ताँगे के घोङे
की छुट्टी है जो अतिशय थकान से बचाने
को तनाव और शऱीर की थकान मिटाने
को होती है ।
वह कहीं भी है ऑन ड्यूटी ही है यहाँ तक
कि शादी कैंसिल करके भी उसे एक कॉल
पर जाना पङता है ।
वह कहीं ठहाके लगा रहा है
तो कहीं भीषण दर्द सहकर आ रहा है ।
रम पीकर झूम रहा है तो कहीं गम पीकर
बहुत रोया है ।
वह बीबी की डिलेवरी पर साथ
नहीं था ।
वह माँ के बीमार होने पर समय पर
सेवा कर नहीं पाया । उसने बच्चे
को जी भर खेलते चलते नहीं देखा ।
वह रात को अकेला जागता रहा और
दिन को अकेला तपता रहा सैनिक बारूद
के बीच रहता है हर पल ।
छुट्टी तक राह देखती है
बीबी उसको एक फोन वह हर पल
सामान्य लोगो की तरह नहीं कर
सकता ।
राह देखता है बच्चा पापा कब आ रहे हैं

और वह बच्चे की तसवीर जेब में रखे दौङ
रहा होता है चीते की रफतार से ।
छुट्टी सैनिक
की ड्यूटी का ही हिस्सा है बीबी बच्चे
माँ बाप भाई बहिन पुश्तैनी जमीन घर
और दोस्तो नातेदारों के
प्रति बकाया रह गये
कर्त्तव्यों की ड्यूटी पूरी करने
की छुट्टी । वह गाँव जाकर
भी ड्यूटी करता है ।
सैनिक जब दिखे रास्ता दो अभिवादन
करो जयहिंद जयजवान कहकर सम्मान
दो तुम जो भी हो केवल इसलिये
हो क्योंकि सैनिक है न ।
केवल तनखाह से
तो ज़ांबाजी नहीं आती!!!!!
ये ज़ज़्बा पैदा होता सैनिक के सम्मान से

सगे भाई और बेटे से भी पहले सैनिक
को अपनापन दो ।
वह कभी ऑफ ड्यूटी नहीं है तब भी जब
वह नाच रहा हो चौपाल पर
©®सुधा राजे
Yesterday at 10:44am

No comments:

Post a Comment