कविता; हम तौ देहाती

होय जौन खौँ होय गरज दिल्ली की हम
तौ देहाती ।
बीस नुँगरियाँ खपी खेत में
का हाँती का संपाती
होय जौन खौ भावई ललहा हम निराट
बज्जुर माटी ।
रौनो रूखो होय नुनखरो नैनू कौ चांये
मिठयाती
सुधा काऊ की हेर न बिलिया टाठी हम
दुःख संघाती
हम तो पक्के देहाती
©®सुधा राज

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