प्रजानामचा

भ्रष्टाचार राजनीति में नहीं समाज
की हमारी दिखावापरस्त गुलाम
मानसिक बीमार सोचवाली भौतिक
पदार्थलक्षी जीवन शैली में है ।
चुनाव लङना जब तक
मँहगा रहेगा राजनीति भ्रष्ट
होती रहेगी ।
जब तक ज्ञान और चरित्र विहीन होने
पर भी आदमी पूँजीपति और ऊँचा पद होने
मात्र से यश और सम्मान
पाता रहेगा समाज में येन केन प्रकारेण
ज्ञान और चरित्र नहीं धन और भोग
विलासवादी पद पाने की होङ रहेगी।
भ्रष्ट जनता तो नेता प्रशासक भी कौन
रहेगा??
©®सुधा राजे


Sudha Raje
कहना सच को क्या पक्षपात
हो जाता है? पहले जब सरकार
बनानी थी तब पीछे हट गये जन जन
चीखा बनाओ बनाओ तो एक नैतिक बोध से
एक अदना सा झुंड सरकार बना कर आगे आ
गया अब ये चीखना और बिना आजमाये
धमकाना? क्या सौ साल
का जनसंघी भाजपाई
कांगरेसी चेहरा इतना कमजोर है???
जनता को केवल अब भाषण और उनमाद
नहीं वर्क चाहिये
©®सुधा राजे

Sudha Raje
साहब जी ने नई नई शॉपिंग शुरु की पूज्य
पिताजी के देवलोक गमन के बाद से ।
लाये उङद की दाल
धोयी रगङ कर तो तमाम काला मोबिल
निकला मला हुआ ।
कालीमिर्च में पपीते के बीज
तेजपात में यू के लिप्टिस
पोची मटर
मिर्ची में गेरू
हलदी में रामरज
धनिया में पॉपुलर का बुरादा
और बूरा में सूजी
मावा में आलू मैदा
आखिर कार हमने खुद ही साप्ताहिक
शॉपिंग शुरू कर दी साथ जाकर ।
ये है जनता का भ्रष्टाचार
यूपी में अकसर गली में सिलेण्डर घरेलू गैस
का चलाती वैन बच्चों को ढोती दिख
जाती है ।
स्कूल वाले टाई बेल्ट बिल्ला आई डी और
डायरी मोजे खुद बेचते है मोनोग्राम
भी ।टेलर से कमीशन और किताबों के
प्रकाशक से डीलर तक कमीशन ।
मजार मंदिर पर चढ़े मेवे चादर नारियल
बार बार बिकते रहते हैं ।
बीच बीच में धार्मिक अफवाहें फैल कर
मेंहदी सिंदूर पेङे की बिक्री बढ़ा देते हैं

गैस सिलेंडर से छोटे सिलेंडर भरने
का कारोबार दलाल जमकर करते है ।
आढ़त वाले सामान बंद करके भाव
बढ़ा देते हैं ।
डॉक्टर अपने हॉस्पिटल में मरीज
मामूली बीमारी दिखाने आया हो तब
भी पैथोलॉजी के हवाले करके
मोटी कमीशन लेते है और
पसंदीदा कैमिस्ट को दवायें खरीदने
बेचने का दलाली खाते है ।
©®सुधा राजे


Sudha Raje
प्रायवेट स्कूल की टीचर
की तनख्वाह है तीन हजार से एक
हजार रुपया और ट्यूशन फीस छह
सौ रुपया घंटा पर हैड कमाई तीस
हजार से पचास हजार मंथली ।
क्लास में खाना पूरी घर पर
ट्यूशन करो वरना नंबर
भी खानापूरी ।
सरकारी डॉक्टर जब तक प्रायवेट
मुलाकात करके अलग से फीस
ना अदा कर दो मरीज
किलसता रहेगा बेड
नहीं दवा नहीं और
सरकारी योजना का लाभ नहीं ।
दाईयाँ नर्से
गर्भवती को बकरी की तरह
कटवा दें अगर मुठ्ठी भर
रूपिया और चाय मिठाई ना दो ।
पुलिस!!!!
रहने दो मुँह न खुलवाओ
ये है जनता का भ्रष्टाचार ।
©®सुधा राजे


Sudha Raje
पहले फोटो की रील
धोयी जाती थी चाँदी की बारीक
कोटिंग रहती थी नेगेटिव पर ।और
फोटोग्राफर फोटो तो दे देता किंतु
नेगेटिव नहीं फिर
चाँदी तो कटती ही कई सुंदर
लङकियों के फोटो विदेश भेज कर पैसे
लेता और ट्रिक फोटोग्राफी से अलग
अपनी दुकान चलाता कई
फोटो अपनी दुकान के विज्ञापन के लिये
इस्तेमाल करता हाँ ये बात अलग है
कि कभी कभी जूते पङ जाते और हवालात
भी ।
मगर लङकियाँ छू छू कर पोज ठीक करने के
नाच नचाने का सरेआम हक
तो फोटोग्राफर को मिला ही था ।
एक बङे कार्यक्रम में अनावश्क रीलें खरच
करके अतिरिक्त पैसे जुटाने के अलावा कई
कई प्रतियों में लोगों को असंबंधित
फोटो जुटाना पिछला रास्ता ।
आज मीडिया में ऐसे तमाम नौजवान बूढ़े
भरे पङे है जो लगातार औऱत के जिस्म
को विभिन्न पोज में चाहे लाश भी हो ।
या बेहोश दुर्घटना ग्रस्त बस ट्रेन कार
अस्पताल की हालत में ।
स्त्री शरीर का फोटो "आई
कैचिंग""आईटम बनाकर बेचते है न
सही फोटो रेखाचित्र सही परंतु
स्त्री की निर्वस्त्र देह
ये है जनता का भ्रष्टाचार
आप सोचो किस हद तक गिरावट है
कि एक फैमिली कहीं एक्सीडेंट
की शिकार हो गयी परिवार अचेत
पङा है और मीडिया का छिपा इंटेशन
कि खबर तङका तब जब घायल बेहोश औरत
का उघङा बदन फोटो में???? क्या हक है
किसी दल्ले को?? कि बिना इज़ाजत
किसी स्त्री का बेहोशी नींद
या कहीं भी निवस्त्र या सवस्त्र
ही सही फोटो छाप दें??? कुत्सित
मानसिकता
©®सुधा राजे

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