बोधलेख::कौन है मुखिया

मुखिया
तुलसी बाबा पहले ही कह गए ,मुखिया मुख सो चाहिए ,खान पान को एक ,पाले पोसे सकल अंग ,तुलसी सहित विवेक ,,,,अब इस विवेक में ही सब कह दिया ,,,हड्डी को कैल्शियम ,,रक्तकोषों को लौहतत्व ,,,मस्तिष्क को खनिज तत्व ,,,त्वक आवरण को विटामिन ,,पेशीतंत्र को प्रोटीन श्वेतसार ,,,,,यदि मुखिया नहीं होगा न्यायी तो ,लोग नहीं करेंगे सम्मान ,शेक्सपीयर मर्चेंट आॅफ वेनिस में कहता है पोर्शिया के माध्यम से कि ''दया राजा के मुकुट और राजदंड से भी अधिक शक्तिशाली है क्योंकि उसका भय है सो लोग विवश होकर मानते हैं किंतु ,जिनपर शक्तिशाली होकर भी दया की जाती है वे हृदय से मानते है ,हृदय पर राज करता राजा ही सबसे शक्तिशाली होता है ""यही मानस में तुलसी बाबा ने वर्णित किया राम वनवास के समय , समस्त प्रजा अपने संभावित भावी राजा ,के लिए नगर का वैभव विलास त्यागकर वन में रहने को उतावली बावली होकर नगर त्याग कर पदयात्रा करती श्रंगबेरपुर तक पहुँच जाती है ,14वर्ष वही प्रजा हर तरह का वैभव पाते हुए भी वनवासी राम के राज्यारोहण की प्रतीक्षा में तप करती है ,,,,,,,,यह नायक का हृदय पर राज है । ,,,,,,,एक उदाहरण हमने प्रत्यक्ष देखा है उन दिनों हम बिजनौर कचहरी में वकालत कर रहे थे तब """मायामैमसाब के आदेश पर "गरियाने " के आरोप में चौ.महेंद्र सिंह टिकैट पर पुलिस छोड़ दी गयी ,,,,,हर तरह से हार गयी सत्ता ,,,,,,टिकैत को जेल नहीं जाने दिया जनता ने ,पल भर को हाजिर हुए और हजारों वरदीधारी लगे रह गए टिकैत गायब !!!!!!!,
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राजा को अपना सर्वस्व देकर वन वन में साथ भटकने वाले """भामाशाह ""राणाप्रताप के साथी गाड़िया लोहार कंजर बनजारे भील गूजर कृषक मजदूर ..........,
हमने भी युवा जिलाउपाध्यक्ष और महामंत्री पद पर रहकर राजनीति में ,
और संस्थापक ,अध्यक्ष रहकर समाजसुधार में लघुमात्रा में वह दीवानगी देखी है जनता की ,जब हमारे भाषण या प्रेरक मीटिंग के बाद हजारों ग्रामीण चक्काजाम ,गिरफ्तारी ,थाना ,तालाबंदी ,लगातार पहरा ,दिनरात धरना ,और अपार श्रमदान पर डट गए ।
हमारी गिरफ्तारी निरक्षर महिलाओं के डटे रहने से कर नहीं सका प्रशासन ,और गांव गाँव  पानी शरबत फल सब्जी पंखा झलना पाँव दबाना झुंड के झुंड हथियार लेकर हमारी रखवाली करना चलता रहता । हजारों गाँव ऐसे कि जीप उलटी कि गिरी कि बस ,किं जब पहुँचते तो ,जाजम चादर नये बिस्तर गोबर से लिपा कमरा और पाँव धोकर ग्राम्यफल आहार लाकर दमकते ग्रामवासी मिलते लगता कि राम किनकी याद में रोते थे यह वही सुख है । किंचित ही सही उन ""राम मय "" मुखिया होने के अनुभव हैं तो कहते हैं कि ,यदि आप कहीं भी किसी भी रूप में मुखिया हैं तो सावधान !!!!!!!
कहीं आप भौतिक रुतबा अपशब्द ,अशालीन भाषा ,बिना सामने वाले का आंतरिक स्तर जाने उसे प्रताड़ना देकर धमकाकर ""बाॅस गीरी ""तो नहीं दिखा रहे ?यदि ऐसा है तो यह भी याद रखें कि ऐसा मुखिया जब डूब रहा होता है तो हाथ नहीं बढ़ते मदद को ,दुखी होता है तो रूमाल नहीं निकलते जेब से ,और ज़श्न में होता है तो हृदय से बधाई नहीं निकलती है  पिता ,पति , बड़ा भाई ,बाबा ,दादा ,नाना ,जेठ ,ससुर ,प्रधान सरपंच, विधायक सांसद मंत्री ,एसपी ,कलेक्टर, कुलपति ,डीन ,हैड, बाॅस, .............आप जो भी जिस भी रूप में हैं .......यदि राज हृदय पर नहीं सम्मान मन से नहीं प्राप्त कर सकते तो ,बंद कैबिन के बाहर ,आप ही विदूषक संता बंता और खलनायक हैं सबकी परिचर्चा के ©®सुधा राजे

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