संस्मरण: सुधा विषपायिनी

एक लङका शराब में धुत्त अपनी पत्नी को पीट रहा था "
पत्नी ने देवरानी के साथ मिलकर पुलिस में फोन कर दिया,
पुलिस आयी लङके को चार थप्पङ बजाकर हवालात में डाल दिया ।
लङके की जमानत पत्नी  बेटे ने करायी, '
घर आकर नदी में कूदने चल पङा जब शराब नहीं मिली, 'तो, पत्नी से रुपये छीनता था न, '
आगे आगे लङका पीछे सारा परिवार रात के एक बजे ',
शोर सुनकर हम बाहर निकले, '
मामला सुनकर डाँट लगा दी, 'और जब नहीं माना तो बीबी चीखी बचालो,,,, नदी में कूद जायेगा तो कुछ लङके
जो बाहर आ गये थे ने पकङ कर चार छह थप्पङ बजा दिये ',कायर डरपोक पियक्कङ बेटा बीबी छोङ शराब के पीछे मरने चला??
लङका लौट गया ',
सुबह, ' रपट लिखा दी 'दबंगों ने दलित को पीटा '
हमें पता चला ',
पुलिस को सारी बात बतायी उसकी बीबी ने भी बताया कि ये लल्ला लोग नहीं रोकते तो नदी में कूद रहा था ',तब उलटे चार हाथ पङे ',और मामला खतम '।
कौन बताये ""जातीय द्वेष फैलाने वाले मीडिया को छुटकैयों नेतुओं को  कि हर बार मामला "दबंग ने दलित समझकर पीटा ही नहीं होता है ""
"""'जाति तो अकसर मामलों में याद किसे रहती है किसकी ",,अपराध और अपराधी बढ़ रहे हैं हर मजहब जाति और क्षेत्र में ',लङकी दलित हो या कथित दबंग  छेङेगा तो पिटेगा, 'लङकी से उसके परिजनों से औऱ पुलिस से '"
फिर मीडिया खोजता है जात ',©®सुधा राजे

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