कविता~::सैनिकों के लिए सुधा दीदी की राखियाँ

भानु कौ तेज
मयंक की ज्योति ।
नक्षत्र की कांति
समो रही जामें ।
वन्हि को तापु जू।
वज्र प्रतापु जू
।सिंधु अलाप
पिरो रही जामें ।
वीर को धीर
सुलोचन चीर जू।
पारथ तीर
बिलो रही जामें ।
पाटल सूत्र
त्रिकाल प्रसूत्र
बली बल बंध कौ
बो रही जामें।
चंदन रोली औ
मौली कलावे को
अक्षत चक्षु
भिगो रही जामें।
मान सुधा वसुधा
नवधा नवप्रीत
प्रतीत डुबो रही जामें ।
बाँध लै वीर!!!!!!!!!
प्रवीर या चीर कों
भगिनी नीर
सिरो रही जामें।
राखी जौ साखी है
तक्षक बाँध कें
माई सुरक्षा कूँ खो
रही जामे।
हो बलवान महान
प्रमान सौं प्रान कौ दान
मिलो रही जामें।
वीर सू कईयो जू।
रइयो अटल देश
बहिना की उम्रभी
हो रही जामें।
©Sudha Raje
शुभ रक्षाबंधन
देश के हर वीर सिपाही को
हर देशभक्त भाई को
शत शत नमन
सादर
जयहिन्द

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