Thursday 7 February 2019

लेख: कुपोषण, गरीबी ही नहीं गलत तौर तरीकों के कारण भी होता है, पेट के कृमि

भारतीय बच्चों के सामने जब यूरोप या यूरोमेरिकन या मैक्सिकन बच्चों को रखकर देखते हैं तो 'भारतीय होने के नाते एक अफसोस होता है ।

वे बच्चे स्वस्थ प्रसन्न और सक्रिय स्फूर्तिवान लगते हैं ।

कुपोषण
भारत की एक बङी समस्या है ',गरीबी और भुखमरी भी ।

किन्तु बंधुओ!
जो गरीब नहीं हैं उनके परिवारों के बच्चे भी प्रायः "कुपोषण के शिकार हैं "

बच्चे जिनको खूब बढ़िया बढ़िया चीजें खिलायीं पिलाईँ जातीं है फिर भी बच्चा slow है सुस्त है आलसी है आँखों के नीचे काले घेरे है रंगत बुझी और अकसर उदास या गुस्सैल चिङचिङा और कमजोर है या पेट बङा और हाथ पाँव कमजोर है भूख बार बार और बहुत लगती है किंतु सेहत उस तुलना में नहीं है ।
या फिर बिलकुल कम भूख लगती है नखरे करके खाता पीता है

चेहरा पिचका है पसलियाँ दिखती है पढ़ाई में मन नहीं लगता और बिस्तर पर बङा होने पर भी पेशाब कर देता है डर जाता है अकसर सपने में और उत्साही नहीं है ',
उत्सर्जन अंगों पर बहुत खुजली करता है मीठी चीजें खाने पर ',
सोते समय बहुत लार बहती है मुख दुर्गंध अधिक है ।
तो!!!!!!????
सावधान इनसे मिलते जुलते लक्षण मतलब
बच्चे के पेट में या ज़िस्म में कीङे हैं ।
जी हाँ
ये कीङे कई तरह के होते हैं कुछ के अंडे और जीव केवल आँख से नहीं दिखते और जब बच्चा नम जमीन पर नंगे पाँव चलता है तो पाँव के नरम तलवे छेदकर ये जिस्म के नाडीतंत्र में घुस कर खून पीते हैं कभी दिमाग तक पहुँच गये तो मंदबुद्धि तक बना डालते है । खाना खाते या मुँह में उँगली डालते समय यदि नाखून कटे नहीं हैं और धूल मिट्टी या कीङों से संक्रमित किसी भी चीज को बच्चे ने छुआ है तो ये कीड़े पेट में पहुँच जाते हैं और फिर बच्चा जो भी पौष्टिक चीज खाता सब कीङे ही खा खाकर मुटियाते हैं परिवार बढ़ाते है ये केंचुये और सांप के बच्चों जितने बङे कुछ इंच से एक आध फुट तक लंबे भी हो सकते है और गुच्छों की शक्ल में पेट में निवास करते रहते हैं ।
ये न तो शौच के साथ निकलते हैं न मरते हैं खाने पीने से ।

ये प्रौढ़ होने या बूढ़े होने तक भी पेट में बने रह सकते हैं ।
खाता पीता है किंतु लगता नहीं जवान होता बेटा बेटी इतना बुझा क्यों है???

हो सकता है कीङे हो!!!!!!
ये कीङे "कम धुली सब्जियों देर तक कटे रखे फल सलाद और बहुत दिनों से फ्रिज में रखी चीजों और आस पास की दुकानों पर स्थानीय कई दिनों से स्टोर केक पेस्ट्री टॉफी बिस्किट टोस्ट और गंदे टूथ ब्रश या मुँह खोलकर आँधी मिट्टी हवा में धूल के साथ भी पेट के भीतर पहुँच सकते हैं ।
अकसर कच्चे घरों या बाग बगीचों से या घास मिट्टी पौधों से भी ये कीड़े और अंडे पेट में पहुँच जाते हैं ।

बचाव????
हर बार बार बार कुछ भी खायें सबसे पहले हाथ "हैंडवॉश या बारीक राख से रगङकर दो बार धोयें ।

मुँह बंद रखे जब आँधी तेज हवा चले और भोजन बिना बातचीत के खायें
फल सब्जी सलाद ताजे हों और तत्काल काटें तब खायें लंच बॉक्स बंद और साफ हों 'उसमें सलाद या कटे फल न रखे "बच्चों को अचार न दें न ही कोल्ड ड्रिंक दें ।दूध हर बार गर्म करके उबालकर ठंडा करके दें ।बोतल का दूध न दें अगर मजबूरी हो तो 'हर बार बोतल उबालें दूध भी उबालें और कवर करके पीने दें ।
बच्चा रोज नहाये
नीम और पोटेशियम परमेमगनेंट आदि से आस पास की धुलाई करें । टॉयलेट रोज साफ हों और चप्पले रोज धोकर सुखायें ।
नाक से साँस लेने की ही आदत डालें ।

फिर भी कीङे हो जायें तो??

बालरोग विशेषज्ञ के पास जाकर बच्चे का मलमूत्र खून जाँच करवाकर दवाई निर्धारित तरीके से दें ।

वैसे ताजी मट्ठा कालीमिर्च अजवाईन और काला नमक पेय ऐसा है जो भोर खाली पेट पीने से कीङे पनप नहीं पाते ।
बथुए का साग और पपीते के बीज भी ।
बिना डॉक्टर से पूछे कोई नीम हकीमी ना करें ।
©®सुधा राजे

No comments:

Post a Comment