राजनीतिक लेख: :एक चिट्ठी, अखिलेश यादव के लिये

#अखिलेश यादव जी लगातार आपका प्रलाप जारी है हमें बड़ी आशायें थीं आपसे परंतु आपका आना जितना धूमधाम से रहा जाना उतना ही सटीक अनुमानित था आपको पारिवारिक कलह ने नहीं बल्कि .समसामयिक मुद्दे की अनदेखी ने डुबोया न काॅग्रेस गठबंधन ने कुछ बिगाड़ा न ही शिवपाल चाचा ने ,लोगों में भरोसा नहीं रहा आपका ,आप तुष्टुकरण को मानवीयता की भी हदों सेकुलरिज्म की पराकाष्ठा से खींचकर वहाँ ले गये जहाँ जनता का बहुसंख्यक गरीब मध्यमवर्ग गाली भी खा रहा है और टैक्स भी दे रहा है और अनाथ भी है यूपी में ,,,,,,ये मुजफ्फरनगर ये काँधला ये देवबंद ये अलीगढ़ मेरठ बिजनौर कानपुर आगरा और शामली बागपत सहारनपुर आपके ही बोये बबूल हैं ,,,एक खामखाँ व्यक्ति मजहबी अलंबरदारी के नााम पर एक पैरेलल मुख्यमंत्री बन गया !!!आपकी कुनबापरस्ती और सब के सब पद परिवार के लिये रखना भी मुझे नहीं भाया ,मायाकाशी वाद को जातिगत नफरतिया राजनीति ने डुबोया था तो आपको मुफत सेवायें अंधा बाँटे रेवड़ी चीन्ह चीन्ह कर देय की तर्ज पर एक ही मुहल्ले में बांट देना हमें नहीं सुहाया ,हमें लगा था आप युवा है नयी सोच तकनीक और जनमत के रुख के साथ यूपी को भयमुक्त करेगे ,हम सब डरने लगे थे अभी तक वह डर हावी है ,आपने तो कह दिया """लोग आपको हिंदू ही नहीं मानते """ परंतु आपको कभी लगा कि आप कभी किसी गरीब हिंदू सिख ईसाई या जैन पारसी बौद्ध के लिये भी सोच पाये ??????बुलंदशहर के कांड ने आपकी थूथू कर दी तब100 डायल सेवा शुरू की तो परंतु चुनाव के करीब वह भी अब तक पटरी पर आयी तो नहीं पाँच साल में आपने न स्कूलों पर ध्यान दिया कि नौंवी का बच्चा दस नगरों के दस सब्जियों तक के नाम इमला में नहीं लिख पाता न राशन की दुकानों का रूख किया कि महीने में एक बार खुलती है और सारा राशन ब्लैक में बिकता है ,न ये खयाल आया कि आंगनबाड़ी का पोषाहार तो किराने पर बिक जाता है और भैनजि,यों की गायभैंस कटड़ों की सानी कुट्टी गौद में डाला जाता है !! न ये कभी सुध ली कि लोग मिलों के बकाया न देने से कर्ज में फँसे हैं !! न ये याद या कि लैपटाॅप तो हमारी भी मेधावी बेटियों का हक था जो नब्बे प्रतिशत से भी ऊपर लगातार लातीं रहीं !!आपने कभी सोचा ही नहीं कि यूपी के काॅलेज का पढ़ा दूसरे राज्यों में बेवकूफ क्यों समझा जाता है ??क्योंकि हर तीसरे स्कूल काॅलेज में दनादन खुलेआम ठेकेपर नकल होती है ,,थाने में अपराध का रिकाॅर्ड कम रखने के लिये एप्लीकेशन पर काररवाही होती है एफआईआर दर्ज नहीं होती !!अनाथ बूढ़े मारे मारे फिर रहे हैं और पाँच बेटों का बाप जमीनदार हवेलीवाला वृद्धावस्था पेंशन लिये जा रहा है !!!!ये कौन देखता कि समाजवाद की विचारधारा के नाम पर स्थानीय गुंडाजमात भी घुस गयी पार्टी में मेरा निजी लगाव था कि बुँदेलखंड से सटे सैफई का लड़का मुख्यमंत्री बना तो पेयजल और बिजली सड़क यातायात रोजगार के दिन बहुरेंगे बुँदेलखंड में ?? आप मेरे मित्र बंधु है जबसे जब मुख्यमंत्री नहीं थे परंतु आपको एक बार भी बुद्धिजीवी कलमजीवी गरीब कवि लेखक साहित्यकार की सुधि नहीं आयी !!!तोहफे बाँटकर हासपरिहास कमाया जाता है छोटेभाई ,सत्ता में शक्तिशाली मन बुद्धि चरित्र और सर्वजनहिताय के साथ पीड़ित को न्याय भी चाहिये ,,,क्यो प्रलाप कर रहे हो कि लोग आपको ""हिंदू ही नहीं मानते ??कभी सुध ली मथुरा वृन्दावन काशी प्रयाग कुशीनगर अयोध्या गंजदारानगर शुक्रताल ,गढ़मुक्तेश्वर की ?लोग अमरनाथ कैलाश बदरी केदार देवप्रयाग यमुनोत्री गंगोत्री भी जाते हैं न ??जिनको पुचकारना था पुचकारते परंतु टीटू भईया जो तुम्हें सत्ता तक ले गये उनको दुतकारा क्यों ??सामंतवाद की राकाष्ठा कर दी सैफई में नाच नचा दिया उन दिनों जब मुजफ्फरनगर में लोग जाड़ों में तिरपाल तले ठिठुर रहे थे !!!गंदगी का घोर साम्राज्य कि किसी ने एक बार भोपाल में पूछ लिया ,ससुराल कहाँ है ? बिजनौर कहते ही ऐसा मुँ बनाया कि स्वयं पर ही शरम आने लगी !!!लखनऊ से कभी निकल ही नहीं सके ??ये टूटे पुल ये बाढ़ में उजड़े गांव ये कर्ज में दबे किसान आपकी प्रायोरिटी ही न थे !!माँ सात बेटों को बराबर प्यार और खुराक देती है आपतो पता नहीं किस एजेण्डे को दिखा कर जीते और न जाने किस तरफ चल पड़े ??थोड़ा लिखा बहुत समझना ,जिंदगी इम्तिहान लेती है सबक देती है भूलोगे तो पास नहीं होओगे सिखए पूत दरबारे कुन जाउत ,,

इम्तिहान वहीं से प्रारंभ होता है जहाँ से कोई वायदा करने लगता है सत्ता में आयेंगे तो क्या करेंगे ,,रमाजी हमें तो लगता है इस पर भी संहिताकरण होना चाहिये कि जो कर नहीं सकते वह मेनिफेस्टो न रखें दल न वायदा करें नेता क्योंकि यह धोखा होता है .

नहीं समझेंगे तो राजनीति से विदा ही होना पड़ेगा

,,अफसोस के साथ  ,जिज्जी ©®  सुधा राजे

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