Sunday 3 February 2019

शब्दचित्र: पद्यलेख, ,हाँ मैं कवि हूँ

हमने कविताएँ लिखीं
क्योंकि हममें आक्रोश था ,और वह आक्रोश किसी पर प्रकट करने का समय नहीं था
हमने गीत लिखे
क्योंकि हममें वेदना थी ,और वह वेदना कोई बाँट नहीं सकता था
हमने ग़ज़लें लिखीं
क्योंकि हमारे पास बहुत एकाकीपन था ,और उस एकांत को हम किसी को देना नहीं चाहते थे
हमने शब्दों से चित्र बना वाक्यों से रंग भरे ,
क्योंकि हम उदास थे ,
,
,
मेरा लिए गीत कविता शब्दचित्र
मेरे सहपाठी थे ,साथी थे ,संरक्षक थे ,
,
,
बहुत सोचने वाले लोग ,बहुत चुप रहने वाले लोग
कविता में बतियाते हैं बहुत रोने वाले लोग गीतों में गाते हैं ,बहुत अकेले लोग बहुत गजलें लिखते हैं ,
,
कविता सबके लिए है ,
बंधु ,कैसे कह दिया
कि डरे हुए लोगों को कविता नहीं लिखनी चाहिए ,
कविता
डर कर लिखी हो या साहस से
हृदय तोड़कर बहने देनी चाहिए कविता ।

डरे हुए लोग हो या साहसी ,
कविता सबको अपनी छाँव में बैठने देती है ,
कभी बरगद के नीचे दो प्रहर बिताकर देखना ,
डरे हुए लोगों को भी जब कुछ समझ ना आए ,कलम उठा लेनी चाहिए ©®सुधा राजे

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