पत्र:मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश को

#myyogyAdityanathji पश्चिमी उत्तरप्रदेश जैसा देखा समझा एक एलियन की दृष्टि से (सुधा राजे)

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लोग घूरते बहुत हैं -------
--------------------------------*सबसे अधिक परेशान करती है घूरने की आदत ,आप तनिक भी ठीक ठाक व्यक्तित्व रखते हैं और कपड़े अलग तरह के हैं बुरका नहीं पहना है तो आपको कोंचने वाली नज़रों का प्रहार लगातार झेलना पड़ेगा ।यहाँ तक कि यदि टोक भी दो तो सामने ही कह दें उजड्ड लोग कि क्यों देखूँ ना !मैं तो तने देख ई तो रिया कोइ निघा से खा जाऊँगा कै !परन्तु यह बहुत कष्ट देता है इतना कि आप सब भूलकर उस घूरने टकटकी से देखने से बचने का उपाय खोजने लगते हैं कोई यकीन न करे हमने बरसों से बाज़ार नहीं देखा बाहरी प्रांतों में जाकर शाॅपिंग करते हैं ।पैदल चलने का सुख लेते हैं
2लोग बहुत चीख चीख कर बात करते हैं -----
----------------------------------------------------------*भयंकर सिरदर्द है यह आदत लोगों की सड़क पर यदि आपका भवन है तो आप घर के भीतर सौ फीट अंदर तक के कमरों में प्रात:तीन बजे से रात दस बजे तक तो चैन से सो ही नहीं लिखना पढ़ना ध्यान लगाना तो बजैसे तैसे ही कीजिये कहीं भी स्त्रियाँ बच्चे निठल्ले युवा किशोर एक हैंडपंप कोई दुकान कोई रेहड़ी ठेला कोई खेल या यूँ ही पीपल मंदिर मजार मसजिद चौराहा तिराहा मैदान धरमशाला सार्वजनिक शौचालय बस स्टाॅप या रेलवे मंडी या गलियाँ एक झिमटकर झुंड बना लेते हैं यूँ ही और लगे रामशविरा राजनीति अपराध ज़माना पर चीखने आपको लगेगा कि झगड़ा हो गया या कोई दुर्घटना घट गयी । अचानक ही आवाजें लगाने लगते हैं खूब गलाफाड़कर पुकारते है अजी ओ ,अबे ओए ,अरी ओ,  से ही पुकार प्रारंभ होती है और लगता है दूर खेत में घुसे जानवर हाँक रहा हो कोई ,प्रतिउत्तर में भी उतनी ही तेज हाँक लगाते हैं आया भाई रे ,आ तौ रइ हूँ क्या आफत आ रए ,कों हलक फाड़ो जा रइ ।स्कूल में जाईये लगेगा कहीं जबरन बाड़ें में बंद कर दिये बछड़ों वाला कांजी हाऊस तो नहीं कक्षाओं से भयंकर शोर आता रहता है शिक्षक गायब मिलते हैं प्राचार्य मगन अपने अन्य कार्यों में बाद में जोरदार दहाड़ टेबल पर पटकता डंडा या  डस्टर थोड़ी देर चुप्पी फिर किचिर बिचिर ।छत बन गयी है एक पड़ौसी की यदि ऊँची तो नवोढ़ा बहू भी बालकाॅनी के झज्जे पर लटकी चीख चीख कर साग बनाने उड़द बनाने स्वेटर बनाने और सिलाई करने के सारे नुस्खे और मायके में कितने ठाठ से रही ये सब बखान चिल्लाकर पूरे मुहल्ले को नीची छतवाली पड़ौसन से बतियाने के बहाने रोज रोज सुनाती रहती है । नीची छतवाली भी ऊपर को गरदन खींचे हाथ का छज्जा बनायें घंटों चीख चीख कर काट प्रतिकाट करती रहती है दोनों का शोर पड़ौस भर में हुल्लड़ मचाये रहता है । येन केन प्रकारणेन हर पड़ौसन का मकसद यह साबित करना रहता है कि ससुराल में वह कितना काम करती है गुणवान है जबकि मायके में बहुत सिर आँखों पर रही रईसी में ।
3-लोग गंदगी से रहते हैं ----
------------------------------------*जिनके घर पक्के बन गये और संगमर मर के फर्श पड़ गये उन तक से लेकर कच्चे पटेल कांकेरिया ईँट फूस मिट्टी के  टप्परों तक में रहने वाले लोग एक तरह से गंदे रहने के इतने आदी हो चुके हैं कि उनको अहसास तक नहीं कि वे कैसे रहते हैं । भोजन का पकाने वाला पात्र और पकाकर रखने वाला पात्र प्राय:परिवारों में स्त्रियाँ बच्चे जूठा कर देते हैं चखने परोसने के दौरान सब जूठा होता जाता है अतिथियों तक का बचाखुचा वापसंग्रहण पात्र में रख देते है प्राय:परिवार जो बाद में नये अतिथि को परोस दिया जाता है ।यदि आपको प्रभु प्रसाद लगाकर भोजन ग्रहण करने का अभ्यास तो यहाँ निराशा हाथ लग सकती है ।चखे बिना ग्रहणियाँ नमक चीनी पके कच्चे का सही अंदाज लगाना प्राय:नहीं जानतीं । घरों के बाहर सारा कूड़ा सड़क पर डालना या खाली पड़े प्लाॅट में छत से उड़ेलना या गटर नाली में पटकना बहुत साधारण बात है ,हम लोगों के बरसों से चल रहे बहुत प्रयासों के बाद नगरपालिकाओं ने कूड़ा उठाने गाड़ियाँ तो भेजनी प्रारंभ कर दीं परन्तु लोगों को अब भी कचरा घर में कूड़ेदानों में रखकर प्रतिदिन आते नगरपालिका वाहन में डालना पसंद नहीं वे तो सड़क पर ही ढेर लगाते गिराते फैंकते रहते हैं । सरकारी हैंडपंप पर गंदगी करते वे लोग जिनके घर रोज पानी उसी नल से जाता है । ठंडे पानी की मशीने कई जगह लग तो गयीं परंतु उसके नल के सामने वाले काऊंटर बैसिन पर पान गुटखा कुल्ली करने से बाज नहीं आते लोग । गुटखा पान तंबाकू खाने वाले लोग भारत के दुश्मन ही समझिये पूरी तरसत्यानाश हर इमारत का हर सड़क का हर स्कूल काॅलेज अस्पताल थाना कचहरी बस अड्डे रेलवे स्टेशन होटल पार्क सार्वजनिक टाॅयलेट सब इन सभ्यता के दुशमनों की बदतमीजी से गंदे सबसे घृणित जीव है  पान गुटखा तंबाकू पिच्च थूकता मनुष्य स्त्री हो या पुरुष इनको घर बुलाना ही घिनौना है । लोग कागज नोट सामान मोबाईल हर चीज पर थूक लगाकर पलटते हैं गिनते हैं ,गंदे लोग ,दूसरा कितना भी साफ रहे किताब काॅपी छूते रुपया छूते संक्रमित हो सकता है सो पवित्रतावादी हर बार साबुन से हाथ धोयें और रुपया बंद अलग करके रखे शेष चीजों से यही मजबूरी । कहीं भी छिलके रैपर पन्नी पाॅलिथिन बच्चों का नैपी फेंक देना पढ़े लिखे तक करते हैं और घूरकर देखो तो जैसे हंटर मारकर कह रहे हों सड़क बस रेल क्या तुम्हारे बाप की है जो इतना बुरा लग रहा है ।क्रममश:जारी ......
©®सुधा राजे

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