लेख: तलाक निकाह औरत और आज की जरूरतें

तलाक निकाह मेहर हलाला बाप के घर बूढ़ी तलाकशुदा बेटी !!!
,भाई के घर बूढ़ी तलाकशुदा बहिन !!
भतीजे के घर बूढ़ी तलाकशुदा बुआ !!
भतीजों के बच्चों के घर बूढ़ी तलाकशुदा बूढ़ीफूफीदादी !!
क्या यही बराबरी का हक है मौलवियों के इसलाम में ,न देखा हो तो आकर तसदीक करें दिल्ली से लेकर आगरा तक के बीच का पूरा यूपी और पश्चिमी तराई खादर भांभर का क्षेत्र,
पहले दर्द लो
औलाद पालने पोसने का
फिर वर घर खोजकर निकाह करो खूब जमकर दहेज लेते हैं आज सब के सब मुसलिम जो खुद को ,बड़ी दीनवाला कहते हैं हर जुमा सड़क पर नमाज पढ़ते हैं ,वे भी ,
इस मसले पर मजहब केवल बिना वज़ह आड़ कही जा रही है ,
फिर दहेज देकर रो रो विदा करो बेटी बहिन फूफी को ,
फिर ईदी रोजाइफ्तारी त्यौहारी भेजते रहो ,
दामाद आये ,उसके परिजन आयें तो बकरा कटरा बिरियानी जर्दा पुलाव मांडे परांठे हलुए बनाकर खिलाओ  नकदी की माला पहनाओ फिर बच्चे की छूछक भेजते रहो जीवन भर हके दुखतरी कहकर खूब तोहफे लेते रहो ,
बाद में पाँच सात दो जितने भी हों सब बच्चों का भात पहरावनी भी ,मामा नाना से लेते रहो ,
एक दिन दिल भर गया ,बूढ़ी रोगी और परेशान हो गयी बीबी को ,तलाक तलाक तलाक बोल दो ,,,,,,.....बिना पूरी तरह सोचे विचारे ,,,बिना गुजारा होगा कैसे अब उस उजड़ी बदसूरत बूढ़ी चार बच्चों की माँ को कौन पूछेगा उससे निकाह करेगा ये सोचे !!!
फिर वह रो धोकर मायके जाये तो बहिष्कृता बोझ बनकर रहे !!!
वहाँ काजी हाजी गाजी नमाजी सब मिलकर दबाब डालें कि दूसरा निकाह कर लो ??
अगर न करे तो ,जिन्दगी भर बाप की दहलीज पर भतीजों भाईयों की नौकरानी बनकर रहे ??
और अगर निकाह करे तो मिलेगा पाँच बच्चों का बाप जो ऐसी ही किसी औरत को या तो तलाक दे चुका है या फिर दो तीन या चौथी बीबी बनाकर ले जा रहा है ?
और अगर वह पहला शौहर नयी रकम उपहार या किसी समझावे से बीबी बनाने को राजी हो भी जाये तो जाकर पहले किसी बीच के किराये के शौहर से निकाह ,हिलाला ,तलाक ,इद्दत से गुजरे ?????
वाह क्या बढ़िया बहाना है मरदों के मनमानेपन के लिये औरत की जिस्मानी संपत्ति बच्चे और उन्हें गुलाम बनाकर डराये रखने की बागडोर पर !!??
अगर तलाक खुदा की नजर में गुनाह है ,नापाक लफ्ज़ है तो बदल देते क्यों नहीं रिवायत ,
बैठकर लिखो बाप भाई बनकर बेटाबनकर पोता बनकर ,
उस औरत का हक शौहर के घर पर ,बच्चों पर गुजारे भत्ते पर ,अपने खुद के जिस्म पर ,खड़े क्यों नहीं होते हिलाला के खिलाफ !!
सारी कहानी मनमानी और औरतों पर जुल्म करते रहने की ताकत मरद के हाथ में रखने की है ,,,वरना ,जिस ताऱीख में हिंदू स्त्री को सारे हक कानून ने लिखे उसी दिन मुसलिम औरत के हक शरीयत में भी ,शामिल हो जाते ,
कुरान बना जब न बिजली थी न मोबाईल न टीवी न उपग्रह थे ,तो ये आॅन लाईन निकाह मौलाना कैसे पढ़वा देते हैं ???
कैसे व्हाट्स एप्प फेसबुक और मोबाईल से तलाक होने देते हैं ,,,,??मतलब अन्याय करने के लिये मशीन और न्याय के लिये सदियों पुरानी अरब की कुरान से पहले की स्त्रीहंतक पृथा !!!सोचना हर मुसलिम बाप बेटे भतीजे भाई और फुआ के पोते को है कि ,या तो औरतों के लिये घर में चार कमरे बनाकर सदा को रख ले निकाह के दिन से ,,,,,,,,,,,.और बैंक में तलाकशुदा बेटी बहिन फूफी ,बुआदादी खाता बनाये रखें ,,या फिर ये जंगली बरबर कानून बदला दें ,,क्या मुसलिम औरतों को जीवन सुखी गारंटेड और बिना डर के सुख सुविधा से जीने का हक नहीं !!है तो बस पहल और आखिरात करनी खुद मुसलिम बाप भाई बेटों और भतीजों को है ,,,क्या माँ का हलाला मंजूर है ?? क्या बेटी का भीख माँगना मंजूर है ? क्या बहिन का किसी रंडवे पाँच बच्चों के बाप तलाकशुदा बेमेल से दुबारा निकाह मंजूर है ??नहीं है तो उठो अब नहीं उठे तो ,औरतों के आँसू तुम्हें माफ नहीं करेगे ,,,ये तकलीफें बाप भाई समाज को नहीं दिखती?
दिखती क्यों नहीं खूब दिखती है ,,,,,,,,,हमारे कुटुंब का नाई जिसकी बेटी का मारपीट कर कूल्हा तोड़कर तलाक देने की धमकी देकर जीना मुहाल कर रखा था ,,बहुत रोया हमारे पास आकर ,,पास के लोगों ने चंदा दिया जब जाकर लड़की का इलाज हुआ ,,कई महीने देना लेना चला बाद में तलाक तलाक तलाक ,,,,,अब लड़की बगल के घर में बरतन माँज रही है ,

बदलाव हर युग के हिसाब से जरूरी है ,जो नहीं बदलता वह सड़ जाता है !!#नरेन्द्रभाईमोदीजीप्रधानमंत्रीभारतसरकार©®सुधा राजे
#योगीआदित्यनाथजीमाननीयमुख्यमंत्रीउत्तरप्रदेश,

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