कविता --"रागिनी के वर किसी का नाम हो कैसा रहे।"- sudha raje

रागिनी के वर
किसी का नाम हो
कैसा रहे
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सिर्फ़ बीबी से हर इक
पहचान हो
कैसा रहे
????????
गाँव वाले जब कहें शीला के
शौहर सुन जरा
बाप मुन्नी के पुकारें ग्राम
हो
कैसा रहे
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पालपुरिया कह बुलाये सब
उसे ससुराल में
या कि
मेरठिया कहे आवाम
हो कैसा रहे
?????
जो तुम्हारा नाम
हो मानो कि हो ,,बलभद्र
ही
''हम बदल "भल्लू" करें अंज़ाम
हो कैसा रहे
?????
जात से पहले लिखो तुम
हो कुँवारे या नहीँ
ब्याह के दिन से
नया उनवान हो कैसा रहे
हाथ में हो चार चूङी मैं
विवाहित हूँ बजे
नाक में हो कील छल्ले पांव
हो कैसा रहे
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एक
तो माला पहिननी ही पङे
मंगल करे
और इक
बिंदी सता पति चाम
हो कैसा रहे
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चार व्रत निरजल करो हर
वर्ष हो जोङी अमर
दोपहर भोजन रसोई
धाम हो
कैसा रहे
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चार गाली बाप
दादा भाई
मामा को सुनो
बस
कि पत्नी ही तेरा भगवान
हो कैसा रहे
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हर जगह हो वल्दियत अब
माँओं के ही नाम पर
पत्नि सेवा ही धरम ईमान
हो कैसा रहे
??????
जब उठे सोकर नहाकर चाय
पानी पेश हो
जाये जब सोने
तो पेशे -ज़ाम
हो कैसा रहे
डर गये क्या बाउजी
प्रस्ताव सच ग़र हो गया
घर में कुछ भी हो
बुरा इल्ज़ाम हो कैसा रहे
जब
कहीँ निकलो तो सीटी मार
छेङे लङकियाँ
बेवा बूढ़ी भी करे बदनाम
हो कैसा रहे
जब कोई चाहे करे इज़हार
जबरन इश्क का
फेंक दे तेज़ाब कत्लेआम
हो कैसा रहे
अब सुधा सोचो कमाई
की जगह भी हम बङे
घर रहो निकलो न राहे
आम हो
कैसा रहे
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Sudha Raje
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