Sunday 22 December 2013

नज्म

यूँ महफ़िल से छिपकर जाना ।अच्छी बात नहीं ।

इक हंगामा रोज उठाना अच्छी बात नहीं ।

केवल बातों से हमदर्दी लोग जताते हैं ।

लोगों की बातों में आना ।
अच्छी बात नहीं ।

कहना कुछ करना कुछ लिखना और जताना कुछ ।

कुछ थी कुछ की बात बनाना अच्छी बात नहीं ।

झूठ वहीं से प्रेत पाँव वाला सिरहाने था ।

सच को पैताने धमकाना ।
अच्छी बात नहीं ।

सुधा शरम से पानी पानी होकर लौट गये ।
गद्दारों को दोस्त बताना अच्छी बात नहीं ।
©®सुधा राजे

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