स्त्री और समाज

क्यों नहीं दलित एक्ट की तरह ।
जैसे
जाति सूचक गाली और व्यंग्य करने पर
सब दलित तिलमिलाते हैं और
विधि के तहत अब ये अपराध है दंडनीय ।
उसी तरह
स्त्री सूचक गालियाँ
स्त्री पर चरित्रहीनता वेश्या होने
और कुलटा छिनाल और डायन चुङैल होने
और तमाम यौनांगो को संबोधित
अपशब्द गालियाँ
संगीन ज़ुर्म
घोषित कर दी जानी चाहिये???
आई पी सी के प्रावधान में
गाली देना दंडनीय अपराध तो है
किंतु आज तक
कोई ऐसा मामला
सामने नहीं आया
जब
किसी परिजन या लेखक पत्रकार
मीडिया मेकर और किसी पब्लिक
स्पीकर को सार्वजिन तौर पर
स्त्री सूचक गाली
स्त्री सूचक अश्लील मुहावरा कहने बकने
पर
दंड दिया गया हो
चाह् वह केवल
एक सप्ताह का ही दंड हो
किंतु
जो लङकी को बदचलन वेश्या डायन
छिनाल हरामजादी रंडी जैसे
माँ बहिन बेटी और धंधेबाज और जनानी
आदि
के लिये अपमान करने की दृष्टि से लुगाई
रांड और कुलटा
आदि
इत्यादि शब्दों का इस्तेमाल करता है
दंडित
किया जाकर सार्वजनिक
माफीनामा भी मँगवाया जाये लिखित
ताकि
समूची स्त्री कौम को अपने मात्र
स्त्री होने पर लांछित निंदित और
लज्जित शर्मिन्दा और अपमानित होकर
कमतरी का बोध ना हो ।
क्योंकि
जब दलित की जाति के लिये केवल कानून
बन सकता है तब स्त्री के सम्मान के लिये
क्यों नहीं?
और यकीन माने आधी आबादी पर ये
गालियाँ कीलों की तरह बरसतीं है ।
जब कोई कहता है "'जनाना है साला "
तब
पहले तो स्त्री होना निंदनीय घोषित
करता है ।
फिर घोषित करता है उस
व्यक्ति की बहन को अपनी भोग्या
ये वीभत्स है
और इसी तरह वीभत्स है
सुसरा कहना
तब
व्यक्ति की बेटी को अपनी भोग्या घोष
करता है ।
ये सभ्यता नहीं है कि
किसी का वश नहीं लिंग चयन करना
वरना
शायद ही कोई
स्त्री बनकर भारत और एशिया में जनम
लेना चाहता ।
जहाँ केवल स्त्री होना ही गाली है?
प्रचलन बदलता ही तब है ।।।गाँव में
हो या शहर में औरतें हों या पुरुष
गाली केवल और केवल
स्त्री को ही पङती है चाहे औरतें
गा गा कर ही क्यों ना दे रही हो चाहे
आदमी मज़ाक में ही क्यों ना दे
रहा हो ।।।किंतु ये सारा पाखंड
तो केवल स्त्री को ही अपमानित
करता है ।।स्त्री भी उसी सामाजिक
परंपरा का अंग बनकर वही सब
करती चली जाती है बहू बेटी और
विपक्षी को गाली देना किंतु
कहीं भी पुरुष को गाली देने के लिये उसके
पास भी पर्याप्त मैटर नही
पुरुष को सबसे बङी गाली है
""स्त्री "होना ।।हम यहाँ केवल उस
ऱूढ़ि बात कर रहे है ।।आई पी सी के तहत
जब मारपीट और शांति भंग के चालान
काटे जाते है तो सब वकील और मुहररिर
ये भी लिख देते है
कि गंदी गंदी गालियाँ दी और काग़ज पर
अकसर वह गाली बयान और एफ आई आर में
साफ साफ लिखी भी जाती है ।।।।।
सवाल है कि झगङा नहीं हुआ ।मारपीट
भी नहीं ।।और एक दोस्त दूसरे दोस्त
को एक पङौसी एक सफाई वाले और
फेरी वाले को गाली दे रहा है ये
उनका आपसी मामला है कह
दिया जाता नगर की उन ।
स्त्रियों का क्या???
जो सुनती हुयी निकल गयी???? वे तो कह
नहीं सकती कि मुझे बङी शर्म और अपमान
लगा?? क्योंकि गाली तो एक दोस्त दूसरे
दोस्त की माता बहिन बेटी को दे
रहा था और सुनने वाले
को बुरा नहीं लगा??
औरतें परमपरा में ब्रैनवॉश्ड होकर
वही सब कर रही है पुरुषवाद के
रक्तपायी सेकेन्डरी ऐजेन्ट की तरह
जो मर्दवादी व्यवस्था का ही दमन चक्र

जब स्त्रियाँ देवरानी जेठानी और
पङौसन को अथवा गाली गा गा कर
विवाह में समधी और लङकी वाले
लङका वाले और जीजा देवर ननदोई
आदि को देती है तब भी ।।
कटना तो तरबूज ही है ।।।चाहे चाकू
स्त्री की ज़ुबान से चले या पुरुष
की जुबान से ।।।।आज दलित एक्ट सब
स्त्रियों और पुरुषो पप लागू है ।।।।तब
एक स्त्री अगर किसी दूसरी स्त्री पर
आरोप लगाती है कि वह अमुक अमुक अमुक
है तो क्या उस
स्त्री को अच्छा लगता होगा??
अभी विगत सप्ताह से एक आत्महत्या के
मामले में बहुत सारी मीडिया और तमाम
लेखक पत्रकार और सोशल मीडिया पर
सक्रिय लोगों ने ।।उस पूर्वोत्तर
की जनजातीय लङकी को हर तरह से
कुलटा और चरित्रहीन वगैरह सब अपशब्द
कहे ।।।ये सब वह लङकी और उसके अपने
भी पढ़ सुन देख रहे होगे????? क्या उन सब
चरित्रवान स्त्री पुरुषों ने उस
लङकी का मेडिकल चैकअप करवा लिया???
क्या उन सब चरित्रवान फतवादाताओं ने
ज़ाँच करवा ली कि वह लङकी कितने और
पुरुषों से संबंध रख चुकी है????? होते कौन
है ये लोग??
किसी लङकी को चरित्रप्रमाण पत्र देने
वाले??? क्या लॉण्ड्री खोल रखी है उन
स्त्री पुरुषों ने जो सबकी चादर के दाग़
धो धोकर पता करते रहते है
कि किसका चाल चलन कैसा है?
स्त्री जब स्त्री को गाली देती है तब
वह कुछ बिगाङ नहीं सकती दरअसल वह
किसी ज्ञात अज्ञात पुरुष को ही उस
स्त्री को सौंप रही होती है ये घृणित
विचार धारा है विशेष कर पढ़े लिखों के
बीच
जब नागर पढ़े लिखे लोग गाली देने पर
दंडित होने ये याद रहे कि हम उसे
प्रतीकात्मक दंड कहते है जो सप्ताह भर
की जेल हो सकता है और आर्थिक
जुरमाना स्त्री निकेतन के लिये
चंदा वगैरह ।।।किंतु तब से एक जाम
स्पीड ब्रेकर तो लगेगा न???
जब नागर पढ़े लिखे लोग गाली देने पर
दंडित होने ये याद रहे कि हम उसे
प्रतीकात्मक दंड कहते है जो सप्ताह भर
की जेल हो सकता है और आर्थिक
जुरमाना स्त्री निकेतन के लिये
चंदा वगैरह ।।।किंतु तब से एक जाम
स्पीड ब्रेकर तो लगेगा न???
जब धङाधङ लोगो पर सोशल
मीडिया अखबार या टीवी बस ट्रेन
सिनेमा घर बाजार सङक कविमंच और
संचार सूचना के हर साधन पर
"""स्त्री सूचक ""अपशब्द व्यंग्य
मुहावरा गाली और दैहिक अश्लील आरोप
पर दंडित होने लगेंगे तब ।।।।
वही होगा जो आज ।।कोई मंच से
पब्लिकली कहीं किसी दलित
को जाति सूचक अपशब्द नहीं कह
सकता ।।।।।जब एक दलित दूसरे दलित
को कहता है तू रहेगा ## # का ## # ही
तब कोई बुरा महसूस नहीं करता ये भी है
किंतु ये तब अपमानित करता लगता जब
अन्य जाति का कोई कहता है
एक कार वाला युवक एक सँकरे पुल से गुजर
रहा था वहीं तीन मवाली टाईप लङके
गुटखा चबाते निकले बाईक पर
बिना हैलमेट के हूटर वाली सायरन के
साथ तेज रफतार से परंतु जगह कम
थी कार मँहगी युवक साईड नहीं दे
पाया क्योंकि पुल पर दोनों ओर रैलिंग
तक नहीं । बस आव देखा न ताव
तीनों मवाली कार वाले युवक को चीख
चीख कर धुआँधार गालियाँ बकने लगे । और
गालियाँ सुनकर सहम
गया पढ़ा लिखा युवक भाई जी भाई
कहता माफी माँगता गया ।
तीनो हिंसक तरीके से कार वाले युवक
की बहिन
माता भावी पुत्री दादी नानी तक
का वाचिक बलात्कार वहीं सङक पर सरे
आम करते रहे और कोई कुछ नहीं बोला और
वे तीनों जब जब स्त्रियाँ गुजरतीं देखते
गालियाँ और बढ़
जाती घिनौनी होती जाती ।
वहीं करीब पुलिस गुजर गयी और लङके चले
गये ।ऐसे कितने ही अपमान
पीती रहतीं है भारतीय और एशियाई
स्त्रियाँ ।इस अपमान करते रहने
की परंपरा का पुलिस वाले और
मवाली समान रूप से निर्वाह करते हैं ।
अपराधी है या नहीं बाद की बात है
किंतु एफ आई आर पर चालान करने वाले
रिपोर्ट में मुलजिम
की गालियाँ भी लिखते है और मुलजिम
की माता बहिन बेटी खानदान भर
की स्त्रियों की वाचिक शाबिदक
सांकेतिक चरित्रहरण बलात्कार भी करते
हैं ।क्या मुलजिम की माँ बेटी बहिन
स्त्रियाँ अपराधी थी,????और
क्या मुलजिम के लिये ये प्रबंध है
कि सजा विधि तो जो हो दे मुजरिम
होने पर परंतु जो गालियाँ बेटी बहिन
माता को दी गयीं उनका दंड मिले
गरियाने वाले को??कैसा कानून??ये
सामाजिक प्रैक्टिस है और
बदलनी ही चाहिये ।जैसे दलित एक्ट
बदला
बिलकुल अपराध तो अपराध है एक
स्त्री चोरी करेगी कतल करेगी किडनैप
करेगी तो सजा पायेगी कि नही???????
तो जब वह गालियाँ दे तो दंडित
क्यों ना हो????
©®sudha raje

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