सुधियों के बिखरे पन्ने:एक थी सुधा

Sudha Raje wrote a new note:
माँ बनना जब तक
स्त्री की ही जिम्मेदारी है तब तक हर
माँ की रक्षा हर पुरूष का प्रथम
कर्तव्य .
Sudha Raje
सवाल
बराबरी का या विशेषाधिकार
हाँ आठ महीने हर रोज
उल्टियाँ हुयीँ मुझे न दाल न
आटा न लहसुन प्यान पसीना न
क्रीम पाऊडर कुछ भी जरा करीब
सूँघते ही बीस पच्चीस
उल्टियाँ पूरे नौ माह में पचास
बोतल चढ़ी हम कुछ खा नहीँ पाते
यहाँ तक कि प्रसव पीडा में
खाली पेट से दर्द ले नहीँ पा रहे
थे चार दिन चार रात चीख
पुकार
बेहोशी में माँ सीजेरियन
नहीँ चाहती थी पहला बच्चा तो ऑक्सी
टॉक्सिन
दिये गये और केस्टर ऑयल
पिलाया गया नर्सों के बार बार
चैक अप कितना खुला बच्चे
दानी का मुँह । हमने दीवार से
सिर पटक कर चोटें
लगा ली बच्चा सामान्य
डिलेवरी पर भी बिना बेहोश
किये कैचीँ से काटकर सोलह टाँके
लगाये गये । पूरे एक महीने इस डर
से कुछ खाते पीते नहीँ थे कि शौच
जाना पङेगा भयंकर दर्द होता ।
टाँके पक गये अप्रेल की गर्मी और
पसीने से तब मैगसल्फेट के पानी में
टब में बैठना पङता
बाद के बच्चे पेट काटकर हुये जब
हम बेहोश होने के कारण दर्द
नहीं ले सके तब से काया ही बेकार
हो गयी मैं साठ फीय रस्सी चढ़
जाती थी रोज आज सीढ़ी चढ़ते
कमर दर्द करती है
माँ बनना है तो विशेषाधिकार
बराबर कैसे एक पेट वाली एक
छङा आजाद
इसके बाद बेटी होने के ताने और
कब तक बिस्तर तोङोगी
Sudha Raje
Sudha Raje
मैं आज भी थर्रा जाती हूँ उन
यातनाओं से
संतान ना करें तो????
घर से बेघर हों
करें तो अपाहिज
मेरी तीसरी डिलेवरी पर
काशीपुर की चीफ सर्जन डॉ.
उषा गरबियाल ने दो रात
की चीख पुकार के बाद हाथ खङे
कर दिये और आधी रात को सङक
पर उसी तङपती हालत में दुसरे
अस्पताल
कस्तूरी देवी में ले गये
जहाँ डॉ. शिखा ने हाई
बी पी और सदमे की हालत से मुझे
सुला दिया I CU
में जब होश आता मैं हर बार
चीखती रोती मेरे बङे बच्चे अभ
मात्र दस और गयारह साल के थे हे
मालिक बिन माँ के कैसे जियेँगे ।
एनीस्थीसियन ने महिला ने हाथ
खङे कर दिये तब एक पुरूष विशेषज्ञ
को बुलाया मेरा शरीर सुन्न
था मगर आँखों पर हरा कैप कसकर
दबाये मैं उस पुरूष डॉक्टर
की आवाजें सुन
रही थी जो लगातार मेरा ध्यान
बँटा रहा था । मैं बेहोश
ही नहीँ हुयी पेट
काटा जा रहा था मुझे सब
पता चल रहा था बस दर्द अब
नहीँ था मैं बात कर
रही थी पूरी खुली पीङा से
कैरियर शादी बच्चे परिवार और
जब
पेट सिला जा रहा था एक एक
टाँका महसूस किया ।
बच्चा तुम्हारा कह कर जब नर्स ने
पट्टी हटायी तो मैं बोली उसके
बापू को दे आओ
कई दिन साँस नहीँ ली गयी
मेरी पसली टूटी एक बार एक बार
घुटना टूटा एक बार कंधा टूटा एक
कैराटे वुमेन थी हजारों चोटें
लगी एक बार सिर फट
गया था जला के कपङा भर
दिया ठीक हो गया
कोई तङप याद नहीँ मामूली चोटें
लगती हैं
पर
ये दर्द याद आते ही आज भी आँसू
मेरे मोती की चमक वाले दाँत
खट्टी उल्टियों से इनेमल खराब
हो गया । और हमेशा को आधे
विकलांग हो गये ।
फिर
स्त्री पुरूष से अधिक संरक्षण
क्यों पाये??
मेरी जेठानी की बहिन मर
गयी बच्चा पेट में आठ माह
का था खाँसी से दम घुट गया
मेरी देवरानी के तीन बच्चे मर गये
प्रसव के दौरान
पङौसिन दो बेटियाँ छोङ के मर
गयी स्ट्रेचर पर आपरेशन के दौरान!!!
मेरी बहिन
सतमासी हुयी क्योंकि पिताजी चाचा
को बीङी पीने पर पीट रहे थे माँ बचाने
गयी एक हाथ से धकेल दिया गिरी औऱ
रक्त चालू हो गया
हजारों मरती हैं प्रसव के दौरान
Mar 26

Sudha Raje
दूसरा बच्चा जब दो माह पेट में था मई
21
पति का एक्सीडेंट हो गया हम ननदोई
डॉक्टर वाई वी सिंह के सर्वोदय
हॉस्पिटल गाजियाबाद वैशाली में स्पेशल
वार्ड में थी । पति की कमर पर कई
किलो वजन बाँध कर लटका दिया था और
मैं शेविंग से लेकर पॉट यूरीन स्पंज सब
करती । लगातार स्टूल पर
बैठी पैरों की सिंकाई और मालिश
करती उल्टियाँ दर्द और आतंक एक महीने
बाद दिल्ली ऑल इंडिया में डॉक्टर
वी पी मेहता के पास । वहाँ से जयपुर
संतोकबा दुरलभ जी डॉ.काटजू और झणाणे
के पास रीढ़ का ऑपरेशन पति का
नवा महीना मेरा । बङा बच्चा दो साल
का ।
डिलेवरी की तारीख 16दिसंबर और हम
12 दिसंबर को ट्रेन से पति को लिटाये
घर आ रहे थे ।
मेरठ से कार से बिजनौर
और
प्रसव के तुरंत बाद घर आ गये
अभी पति सिर्फ टहल सकने लायक थे । मैं
पुरूष थी मैं माँ वो बिन माँ का बेटा अब
मेरी जिम्मेदारी जो है ।
आज भी वे भयानक दिन रुला डालते है
Like · 1 · Edit · Mar 26
Sudha Raje
Sudha Raje
मेरे पारिवारिक मित्र डॉ आनंद
खन्ना पशुचिकित्सक थे
उनकी पुत्रवधू का प्रथम प्रसव
जब बिगङ गया धामपुर से
मुरादाबाद रेफर किया तो जीप
से ले चले स्योहारा पर टक्कर मार
कर ट्रक भाग गया सब स्वस्थ थे
बच गये बहू चीखती तङपती पीछे
ही थी सो गिरी और हाथ
की हड्डी टूट गयी बच्चा फँस
गया था ।
जब मुरादाबाद पहुँचे तो पहले
तत्काल पेट काटकर
बच्चा निकाला तब पूरे 24घंटे
बाद हाथ का प्लास्टर
चढ़ाया और तब तक वह किस
यातना से गुजरी???????
क्या प्रेम का परिणाम मात्र
यौन सुख है???? स्त्री को!!
बराबरी क्यो
Like · 1 · Edit · Mar 26
Sudha Raje
पिता की तकलीफेँ भी हैँ शारीरिक
भी मानसिक भी
मगर
प्रकारान्तर से
पुरूष उबर जाता हैँ
यथा एक पुलिस वाला लङ रहा है
तो अकेला
एक पुलिसवाली लङ रही है
तो क्या पता प्रैग्नेंट है
रजस्वला है
अभी अबॉर्शन हुआ
या पेटकाटकर बच्चा होने से कई
परेशानियाँ हैँ
या दूध पिलानेवाली माँ है???
अगर बदमाश पकङेगे तो पुरूष की पिटाई
होगी
लेकिन
औरत के साथ हाथापाई में भी पहले
वो अमर्यादा ही करेगा ।
फिर
स्त्री को परिजनो को पकाकर
खिलाना और घर का A -2-Z भी देखना है
Like · Edit · Mar 28
Sudha Raje
क्योंकि स्त्री की परवरिश
ही
पुरूष को क्या क्या पसंद आयेगा
किस बात से पुरूष नाराज होगा
यही ट्रैनिंग लगातार परोक्ष प्रत्यक्ष
रूप से दी जाती रही है
मायका
तो जैसे ससुराल जाने से पहले
का प्रशिक्षण केंद्र हैँ आज भी
Like · Edit · Mar 28
Sudha Raje
पुरूष को सिर्फ एक बात
सिखायी जाती है पैसा कमा । जिस्म
को फौलाद बना । अंदर
की कोमलता मार हुकूमत कर
क्या छोकरी का माफिक रोता है!!!!
Unlike · 2 · Edit · Mar 28
Sudha Raje
वो जो भी सीखता है पैसा कमाने और
नाम कमाकर स्वयम् भोग विलास आनंद
और स्वामी हो जाने के लिये
स्त्री को जो जो भी पुरूष के सुख विलास
आनंद नाम यश और स्वामित्व के लिये
चाहिये
वह होश में आने से पहले
ही सिखाया जाता है
मसलन
गुझिया बनाने की मेरी विशेषज्ञता पर
अक्सर लोग दंग रह जाते है काकी सा
हलवाई को फेल कर दिया!!!!!
लेकिन हलवाई तो पैसे के लिये
बनाता है!!!!!
जबकि हर स्त्री औसतन गुझिया और
सैकङो पकवान बनाना सिर्फ परिवार के
लिये सीखती है!!!!!
अगर वह बेचे अपनी हर कला को तो????
कितने पैसे कमाये???
Unlike · 2 · Edit · Mar 28
Sudha Raje
और सब कब होते हैँ खुश???
आधा जीवन सीखने में गया
आधा प्रसन्न करने में
और होश जब आता है जब कोई और
कलाकार आकर जगह ले लेती है
Unlike · 2 · Edit · Mar 28
Sudha Raje
हाँ हर अबला एक गज़ ऊपर चढ़ा देती है
नयी पीढ़ी की अबला को
सबला बना देती थोङा ज्यादा कठोर
थोङा कम त्यागी
Unlike · 1 · Edit · Mar 28
Sudha Raje
स्त्री विमर्श पर बकवास अक्सर
उनको करने का मौका है
जो परायी पीठ पर तैरकर पार हुये लोग
हैं
जो आग में जलकर तपे
वे तो पिघलकर पहन लिये गये गहने
की तरह
Unlike · 1 · Edit · Mar 28
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