स्त्री और समाज :- सीमाएँ हों उम्र की।

मान लो
और मानने लायक बात भी है ।
कम से कम हमारे निजी विचार से ।
कि एक और क़ानून बने कि ।
किसी पुरुष का किसी भी ऐसी स्त्री से
दैहिक संबंध दंडनीय घोषित कर
दिया जाये ।
जिस स्त्री की आयु पुरुष की आयु से
10बर्ष से भी कम है ।
यानि तब कोई विवाह बेमेल
नहीं हो सकेगा ।
कोई
लङकी को ""सहमति"" के दुष्ट बहाने से
नहीं चकमा दे सकेगा कानून को ।
अलबत्ता सज़ा भले ही तीन साल
हो या पाँच
मगर ऐसे हर पुरुष को सज़ा होनी जरूर
चाहिये
जो अपनी आयु से 10वर्ष से भी अधिक
छोटी स्त्री से विवाह करे या दैहिक
संबंध बनाये ।
दूसरे मामलों में स्त्री पर भी दंड
घोषित हो जिन मामलों में
स्त्री अपनी आय़ु से दस साल से
भी छोटी आयु के पुरुष से विवाह करती है
या दैहिक संबंध बनाती है ।
चाहे कम ही समय की सज़ा हो मगर अवैध
घोषित होना ही चाहिये ऐसे संबंध लागू
होने की ताऱीख के बाद
इसका लाभ उन विधवाओं
को भी मिलेगा जिनको संपत्ति बँटवारा
के लिये उस देवर से ब्याह दिया जाता है
जो उसके ब्याह के दिन आठ साल
का बच्चा था ।
और फिर उसको हमेशा कुंठा में
जीना पङता है ।
पता है बात गले नहीं उतरेगी कट्टर
मर्दवादियों के और
रूढ़वादी स्त्रियों के भी ।
किंतु एक इस कानून में
करोङों की जिंदग़ी के सुकून लिखे हैं ।
चोरी भी सिर्फ दरवाज़ों से
नहीं रुकती और ।।।।प्रेम?????? जब
पिता पुत्री की आयु
हो तो सिवा वासना के कुछ नहीं ।।।
लेकिन जब एक अवैध है शब्द जुङता है
तो कमी आती है एब लोग सिगरेट बसों में
नहीं पी पाते न
एक दस साल की बच्ची से इक्कीस साल के
युवक को प्रेम नहीं हो सकता
वही बात कि जब वह बच्ची बीस
की हुयी तो तीस साल के से फिर
सहमति का क्या??? और अगर आयु
सीमा नहीं रही तो ये बूढ़े
कभी नहीं मानेगे बीस की लङकी साठ
का बूढ़ा पटाने बरगलाने के बाद
सहमति का बहाना लेता है????
धिक्कार!!!!!!
आयु से ही कोई
काका चाचा दीदी काकी माँजी दादी बाबा दादा कहता था ।।।।
अब??? बाबा काका और बेटा तीनों एक
ही लङकी को सहमत करने लग पङे????
कोई तो मर्यादा हो???? पचास
का आदमी जवान लङकी से काका अंकल
सुनना नही चाहता??? दोस्त
सुनना चाहता!!! पापी नहीं?
स्त्री खूब समझती है कि नौजवान
तो दीदी कह देगा किंतु ये खूसट!!!!!! सौ में
से पचास कभी नहीं सुनना चाहते
चाचा बाबा दादा काका अंकल
सीमा होनी चाहिये । हर साल अरब
देशों के अरबपति गरीब मुसलिम
लङकियाँ चौदह साल तक की परसनल
लॉ के नाम पर निक़ाह करके ले जाते है
उमर अस्सी तक ।।हमने पोता और
बेटा एक साथ खिलाने वाले खूब देखे
व्यभिचार के लिये खेला खाया चालाक
प्रौढ़ और बूढ़ा ।।नादान लङकियाँ कैसे
बरगलाकर शोषण करता है ये
लङकी ही कह सकती है मगर कानून
तो सोलह साल पर सहमति मानने
को तुला है और आयु के अंतर पर अवैध
घोषित करना नहीं चाहता
अट्ठारह से तीस तक लङकी अविवाहित
और मन में साथी की चाहत
कहीं परिजनों से दुख और कहीं जॉब कॉलेज
के झंझट । बूढ़ा घाघ ही ।समझता है
कि लङकी को कैसे रुलाकर फिर
भरोसा जीतना है ।।भावनायें जगानी है
।।कोई बूढ़ा किसी युवती से प्रेम कर
ही नहीं सकता ।।केवल
वासना ही रहती है ।।।और व्यभिचार में
सहमति समाज का कैंसर है आयु
की सीमा काफी रोक करेगी हमने
याचिका भेजने का अभियान
चला दिया है।
क्यों नहीं । हम उम्र ही खुश रह सकते हैं
। और ये अंतर दस साल
छोटा या बङी पर्याप्त है।
दस साल की सीमा नहीं होने से
हजारों लङकियों की शादी बूढ़ों से कर
दी जाती है अब सब तो धनवान नहीं है न
जो वियाग्रा शिलाजीत और स्वर्ण भस्म
मेवे बादाम जिम कबाब करते रहे ।।
नतीज़ा हज़ारो लङकियों की निजी जिंदग़ी सुहागिन
विधवा की तरह ही रह जाती है और
गुलाम बस
स्त्री को भी हक है कि वह हम उम्र से
विवाह करे कभी नहीं देखा कि एक बूढ़े
को नवयुवती खत लिखती है और गीत
गा ती है विरह में और प्रसन्नता से
विवाह को राजी है ।। बूढ़ी आयु तक
कोई विधुर
या तलाक़शुदा ही अकेला होगा या अपराधी वरना स्त्री चाहिये????
और विवाह नहीं??
केस लगभग लाख के करीब ऐसे है जहाँ साठ
साल की प्रौढ़ स्त्री पाँच
जवानो की माँ सात
की दादी को काकी कहने वाले लङकों ने
रेप किया और गला घोंट कर मार डाला
आप कहें क्या वह प्रेम है????
जब प्रेम होता है तो केवल एक बार बस
एक बार ।।फिर तो समझौता लालच और
स्टेटस और जरूरत और वासना होती है
एक हम उम्र जोङा जिनकी आयु में पाँच
साल से कम अंतर हो वहाँ देखे ।।वे
दोस्तों की तरह रहते है परस्पर विकल
और लङते झगङते भी खुश ।।।वहीं एक
प्रौढ़ पुरुष के साथ नवयुवती??? गहने
कपङे पैसा मकान गाङी मगर???
उल्लास?? लजाना खिलखिलाना?? और एक
दूजे के लिये विकलता?? नहीं वहाँ एक
मालिक और तानाशाह और
बङा बङा सा दिल रखता हो तो शासक
संरक्षक
वहीं दूसरा बच्चा सा सहमा आतंकित
आज्ञाकारी और अनुशासित!!!!
यह समाज की रूढ़ि है उसका मुद्दा अलग
है वह भी स्त्री के ही हक मारकर
बैठता है कि लङकी किसी से प्रेम न करे
जहाँ कान पकङ कर दान कर दें
वही झुका कर सिर मर मिटे
प्रेम पर लेख लिखा है बहुत सारा और
सार यही कि भारतीय
लङकियों की ट्रेजडी यह है कि उनके पलंग
पर कौन सोयेगा यह वे नहीं बाप तय
करता है
मगर प्रेम होना रुकता नहीं ।।लोग
समझदार हुये तो जाति मजहब
की सीमा पर वापस लौट गये नासमझ हुये
तो जान दे दी भाग्यवान हुये
तो मना लिया परिवार
अलगाव के पीछे
मर्दवादी मानसिकता और अब
कम्प्रोमाईज नहीं करने को तैयार
नयी पीढ़ी है
वे औरते हमारी पीढ़ी के साथ खत्म
हो चुकी जो पति के हर आदेश को धर्म
समझकर विरोध रखने पर
भी निभाती थी और परिवार पर
कैरियर कुरबान सेहत कुरबान
मैका कुरबान
नयी पीढ़ी के लङकों को आदर्श
स्त्री तो बीबी चाहिये मगर कमाऊ
रूपसी और धनिक की बेटी मोटा दहेज
लङकियाँ अपनी बुआ माँ और
चाची की तरह आँसू बहा कर नर पर
मिटने को अब तैयार नहीं ।।।स्त्री अब
घर की कामवाली बाई और
पुरानी फिल्मों की नायिका नहीं
विवाह जब दूसरों की मरजी से किये जाते
है तब समाज में आदर्श परिवार बने कैसे?
कोई बंधन नहीं आज भी यही कुत्सित सच
है
कि विधवा की शादी नहीं हो पाती और
विधुर कुँवारी से ही शादी करते हैं

विधुर जब विधवा से ही शादी करने लगे
और तलाकशुदा से तलाकी तो बदले
समाज!!!! आयु सीमा तब भी जरूरी है ।।
पैंतालीस का प्रौढ़ एक तीस की लङकी से
विवाह करता है तब केवल दस साल
अधिकतम शादी शुदा जीवन रह सकता है
।।।क्योंकि 45तक अविवाहित कोई
योग्य लङका रह नहीं सकता ।।।
या तो खोट होगी या लालच या विधुर
तलाकशुदा ।।।और ।।।जो इस आयु तक
अकेला रहा हो वह स्त्री को कभी दिल
और घर में स्पेस नहीं दे पाता ।।।विवाह
की आदर्श आयु तो बीस से तीस तक ही है
।।।पैंतीस के बाद
तो माँ बनना भी जानलेवा है और
पैतालीस पार के पुरुष के बच्चे डाऊन
सिंड्रोंम यानि मंदबुद्धि और दैहिक
विकलांगता के शिकार होते है।
आज की नारी????? 80%गाँव है और केवल
30% साक्षर लङकियाँ और जॉब में तो दस
प्रतिशत भी नहीं ।।।सब की सब
कसबाई और ग्रामीण गरीब और मध्यम
आम वर्ग
की लङकियाँ वहीं शादी करती है
जहाँ पापा कहते है ।।।।और दहेज के
बिना शादी हो नहीं पाती सही मेल की
आज की नारी केवल दिल्ली कलकत्ता और
मुंबई चेन्नई नहीं रहती ।।।
झोपङपट्टी और ढाबों झुग्गियों रिक्शे
खोमचे ठेले वालो और किसान मजदूर
मैकेनिक और फेरी वालों की बेटी है ।।।
जो कभी स्कूल तक नही गयी और
जिनको रोज चार बार पिता भाई पीट
देते है जो सात साल की आयु से भोजन
पकाने लगती है ।
असली जीवन???? जब पचपन
की स्त्री होगी तो पुरुष पचहत्तर
का??? और बूढ़े को खाट पर या कांधे पर
ढोयेगी वह दस पंद्रह साल के बच्चों के
साथ!!!!! कहावतों और शायरियों से
हकीकत अलग है
नहीं है क्योंकि आप पुरुष है सो आम बात है
एक पुरुष को कम आयु की ही बीबी पसंद
आती है जबकि स्त्री हम उम्र
को ही पसंद करती है निभा तो भारत
की लङकी खेत में खङे बिजूके से भी लेती है
।।।छोटी लङकियों पर
घिनौनी निगाहें नोंचने का वक्त आ
चुका है और ये कानून अब
बनना ही चाहिये है
अव्वल तो ऐसे जोङे नजर नहीं आते
जिन्होने अपने से ग्यारह साल
बङी स्त्री से विवाह
किया हो कदाचित दस हजार में
दो भी नहीं!!!!!!!!!!! और अगर नर
नारी पक्ष की बात है तो भी दस साल से
अधिक बङी स्त्री से कोई दौलत के लालच
में ही विवाह करता है या मजबूरी मे
या व्यभिचार वहीं ।।।ऐसे बदलाव के
लिये ये भी रोक होना ही चाहिये ।।।
पहले आप समाज को यथार्थ में तौले और
आँके कि कितने पुरुष है जिन्होने पंद्रह
साल बङी स्त्री से
बाकायदा शादी की है?????? अरे ये
तो संविधान तक भेदभाव कर
गया जो 21का लङका 18की लङकी को जोङी बना गया!!!!!
पच्चीस साल भी छोटी हैं
लाखों पत्नियाँ ।।लेकिन क्या पच्चीस
बङी स्त्री से विवाह हुये हैं????? पहले
अपने पङौस दफतर कुनबा भारत की बात
करें????? यही भेद है ।।।पुरुष तो सत्तर
साल के भी दस पंद्रह साल
की लङकी खरीदते लाखों मिलते हैं भारत
और एशिया में
दोस्त नहीं तब स्वामी सेवक और
गार्जियन बच्चो जैसा ही नाता बनता है
जब आयु में पाँच साल से अधिक अंतर
होता है।।।।और याद रखें
कि हमारी इस पोस्ट का मकसद
बिना विवाह के सहमति के नाम पर
बलात्कार व्यभिचार यौन शोषण रोकने
की मुहिम के लिये है जिन मामलों में
प्रौढ़ बूढ़ा कह देता है कमसिन
लङकी सहमत थी जबकि वहाँ सरासर
धोखा कपट और छलात्कार
ही होता पाया जाता है
लङकियाँ डरना बंद कर देगीं तब
ये प्रचलन नहीं अपवाद ही है ।।।जब
ऐसा कहीं हुआ भी हो तब
भी स्त्री तो क्या पुरुष भी पब्लिक में
स्वीकार नहीं करते कि लङकी की आयु दस
साल से अधिक है वर से!!!! याद रहे ये केवल
विवाह के संदर्भ में नहीं है ।।और दस
साल का अंतर तो हम खुद ही कह रहे हैं
कि चलो कम या जादा ।।।
बाकी तो सिवा गलत को बढ़ावा देने के
कुतर्क के सिवा कुछ नही
ग़ज़ब है मर्दवादी सोच एक दो के अलावा हर पुरुष ने विरोध
किया कि स्त्री से विवाह या दैहिक
संबंध के मामले में किसी पुरुष से
स्त्री की आयु 10साल से अधिक कम
किसी भी हाल में नहीं होनी चाहिये यह
नियम विवाह लिव इन और सहमति के
फैक्ट पर लागू हो आगामी तारीख के सब
स्त्री पुरुष संबंधों पर ।।।ताकि कोई
प्रौढ़ किसी नादान की सहमति कपट से
न लेकर ज़ुर्म को दैहिक संबंध साबित कर
सके ।।।।किंतु किसी पुरुष को ये बात
पसंद नहीं आयी यानि?????? सब एकमत हैं
कि पुरुष कितनी ही बङी आयु
का हो सकता है और किसीभी आयु
की लङकी को ""उस ""नज़र से देखने
को आज़ाद है पट जाये तो जायज भी??
©®Sudha Raje

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