स्त्री और समाज -9-

Sudha Raje
करारी बात
बात बात पर
किसी को भी साले ससुर
और माँ बहिन
की गाली से बङे
बेध्यानी में और खूब ग़ुस्से में
हो तो जानबूझकर
नयी नयी घिनौनी गंदी गालियाँ देने
वाले लोग
किसी महिला की मामूली सी ""यार""
चलो चाय
पीने चलते हैं
अपनी सहेली के लिये सुनते
हैं या कुछ बेतकल्लुफ
तो बिलबिला कर
तत्काल उस
लङकी को चालू
चलता पुरजा तिरिया चरित्तर
और आसान टारगेट मानने
लगते हैं
जिस समाज में काने
को समदर्शी लँगङे
को लंगङ अंधे
को सूरा मोटे
को भैंसा पतले
को छिपकली काले
को कलुआ कल्लो और गोरे
को भूरा भूरी कहने
का निर्मम चलन
हो जहाँ किसी के सफेद
दाग हो जाये
तो शादी उसके रिश्तेदार
तक की खटाई में पङ
जाती है इस समाज में हर
वक्त तेरी माँ तेरी बहिन
तेरी बेटी की गाली कानों में
सुनती महिलाओं
को कितना मानसिक
उत्पीङन होता है
जानबूझकर
महिला की उपस्थिति में
एक पुरूष दूसरे पुरूष
महिला को गाली देता रहता है
कहते
हैं भारतीय संस्कृति महान्
है??????
ये महान भारत
जिनको लगता है
क्या सिर्फ उतने
संस्कृति प्रेमी गाली कभी भी देना
त्याग
पायेंगे????
Good night
Mar
7 · U

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