Friday 11 October 2013

स्त्री सुरक्षा।


जिस देश का एक
जनप्रतिनिधि कहता हो कि लङकियों का पीछा हममें
से किसने नहीं किया???
अगर लङकियाँ देखना घूरना अपराध
होगा तो प्रम कैसे बनेगे???
वहाँ छेङछाङ को पुरुषवादी दंभ ने
अधिकार मान लिया हो तो क्या ग़ज़ब??

जब कि भारत वह अज़ीब देश है
जहाँ शादी लङके लङकी की माँ बाप तय
करते हैं!!!!
क्या सोच है ऐसे लोगों कि छेङछाङ करने
वालों से लङकियाँ प्रेम करने लग
जाती है???
बॉलीबुड की घटिया पॉलिसी ।
अक्सर फिल्मों में लङकी तेरे नाम स्टाईल
में पटायी जाती है ।
लेकिन रीयल लाईफ में ये उलटा होता है

लङकियाँ अक्सर उन लङकों की तरफ
ही आकर्षित होती है
जिनकी उपस्थिति में वे निर्भय और सुकून
भरी सुरक्षा समर्थन सहयोग मदद महसूस
करती हैं ।
ये स्वभाव अभिनय से नहीं पाया जाता ।
अक्सर प्रेम विवाह वहीं सफल होते हैं जब
प्रेम करने का सायास प्रयास कुछ
भी नहीं किया गया और प्रकृतिवश
दो सही लोग सही वक्त पर सही जगह
सही एटीकेट के साथ मौज़ूद रहे ।
पुरुषवाद का दंभ है छेङखानी ।
घर में भाभी और भाई की साली बहिन
की ननद से
उच्श्रंखल बातचीत होली के बहाने
बदतमीजी और बाहर
आती जाती लङकियों से ।
ये पहले सीटी मारना गाने गाने तक
था तब भी गुनाह था ।
और हाथापाई तक आज आ पहुंचा तब
भी गुनाह है ।
आज बेटिया पिता या परिजन पुरुष के
साथ भी छेङछाङ की शिकार होने लगी ।
अनेक मामले आये जब परिवार के साथ
ही लङकी को बाईक सवार लङकों ने
छेङा और परिवार के लोगों को भी चोट
पहुँचायी ।
हौसले बढ़ रहे हैं छेङछाङ के
तो प्रशासन स्कूलअध्यापक और माँ बाप
सतर्क होकर करत्तव्य पूरे कर

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