Wednesday 30 October 2013

मुझे जाना पङेगा

तुम विरह का शोक मत
करना क्षमा करना मुझे ।
विश्व की है टेर आकुल गीत ये
गाना पङेगा ।
प्रिय!!!!!!
मुझे जाना पङेगा ।।।
प्रिय!!!!
मुझे जाना पङेगा ।।।
रूप रस लावण्य यौवन देह कुंतल मधु अधर

सुप्त श्लथ सुत संग श्यामल सौम्य लोचन
स्वप्न भर ।
कंचुकी पट मन सरकता क्षीण
ओढ़ाना पङेगा ।।
प्रिय!!!!
मुझे जाना पङेगा
प्रिय!!!
मुझे जाना पङेगा ।
©सुधा राजे
हूँ व्यथित संकल्प कातर देह प्रण
अभ्यर्थना।
तव चरण नत माथ भावी वेदना तव
यातना ।
यातना ।
देवि!!!! हे हृदयेश्वरी ।
पिय मोह झुठलाना पङेगा
प्रिय!!!!!
मुझे जाना पङेगा ।
प्रिय!!!!
मुझे जाना पङेगा
आह !!! जाता हूँ पलटता टूटता मन भग्न
खंडित ।
शोक वारिद् तप्त पय बिनु मीन भव हित
आत्मदंडित ।
वक्ष खण्डित ये व्यथा हृद् चीर सह
जाना पङेगा
सह जाना पङेगा ।
प्रिय!!!!!
मुझे जाना पङेगा ।
प्रिय!!!!
मुझे जाना पङेगा
©सुधा राजे
जा रहा हूँ चोर्यकर्मी प्रेमभीरू प्रिय
विदा
अब रहा अवशेष कंटकपथ चलूँ प्रण
संविदा ।
मात्र
अपराधी तुम्हारा ही नहीं पितु, पुत्र
का ।
बाल यौवन जीर्ण वय हे देवि
समझाना पङेगा ।
प्रिय मुझे जाना पङेगा
प्रिय!!!!
मुझे जाना पङेगा ।
©सुधा राजे
नाम से सिद्धार्थ मैं दिक्हीन सत पथ पर
चला ।
जन्म यौवन मृत्यु जीवन ईश
अंशी क्यों भला ।
खोज में चिर शांति तप की हूँ तो जल
जाना पङेगा
प्रिय!!
मुझे जाना पङेगा
प्रिय!!!
मुझे जाना पङेगा

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