Thursday 31 October 2013

दिल अंगारे और भी है

Sudha Raje
Sudha Raje
आहिस्ता आहिस्ता हौले हौले पी जा गम
सारे ।
दर्द के मारी दुनियाँ है तुम हम से हारे
और भी हैं ।
सोज़े दरू पे सुलग रहे अहसास धुयेँ में बहने दे

सेराबी आतश आईना दिल अंगारे और भी हैं

तू ही तो इक नहीं आबला पा पुर ख़ार रहे
मंज़िल ।
बे पर ताईर हैं बुलंद परवाज़ के न्यारे और
भी है ।
चाहा था हो गयी सिवा उसके ये ज़ीस्त
है ऐसी शै ।
आग लगी इस पार वहाँ खाई है किनारे
और भी हैं ।
सुधा "ख़यालों की बस्ती में ग़ोरे मुहब्बत
पर पै जलते ।
ता हयात दीवाने पागल इश्क़ के मारे और
भी हैं
©सुधा राजे ।
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May 23

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