Saturday 12 October 2013

गाँव मेरा हो गया बीमार बाबू क्या करें।

गाँव
मेरा हो गया बीमार
बाबू क्या करें
अब नहीं पीपल में
ठंडी ब्यार बाबू क्या करें
हल बिके तो बैल
भी कलवा कसाई ले गया
गाय बूढ़ी कट
गयी लाचार बाबू
क्या करें
मेंड से सौ पॉपुलर के पेङ
लगवाये थे कल
आज नालिश पर
पङौसी यार बाबू
क्या करें
शाम से
देशी का ठेका रोज
ही आबाद है
और मंदिर हो गये बेकार
बाबू क्या करें
कल तलक चौपाल पर
था पंच परमेश्वर खुदा
आज बस ऐयार की जयकार
बाबू क्या करें
दूध डेरी पर
गया सब्जी गयी शहरों को सब
गुङ मठा दुर्लभ हुआ अच्चार
बाबू क्या करें
रोज गन्ने
झाङियों नदियों में लाशें
मिल रही
लङकियाँ दहशत में खुश
बदक़ार बाबू क्या करें
कौन लिखता है रपट खर्चे
बिना चौकी पे अब
फैसला रिश्वत
का थानेदार बाबू
क्या करें
गाँव के तालाब पर परधान
का गोदाम है
मच्छरों कुत्तों की है
भरमार बाबू क्या करें
पाठशाला में जुआ दिन
रात चलता है यहाँ
दोपहर का भोज खाते
स्यार बाबू क्या करें
कब से आँगनबाङियों का
माल मंडी जा रहा
बनते बीपीएल जमीनदार
बाबू क्या करें
सस्ते राशन की दुकानें एक
दिन ही खोलते
करते काला माल फिर
बाज़ार बाबू क्या करें
फौजदारी के मुकदमें भाई
बेटों से चले
गाँव का गुंडा ही ठेकेदार
बाबू क्या करें
अब जनानी जात पर
भी छेङखानी ज़ुल्म भी
रामलीला में
पतुरियाँ चार बाबू
क्या करें
कल तलक जो लगता चित्र में इक मित्र
सा
आज जैसे देश का ग़द्दार बाबू करें
इमरती का मर्द कलकत्ते से लाया एड्स है
शामली की कोख बेटी मार बाबू क्या करें
गाँव में आकर
सुधा देखो तो कितना है
सितम
औरतों पर रोज अत्याचार
बाबू क्या करें
©®Sudha Raje

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