Monday 28 October 2013

कुछ दर्द अकेले ही सहने पङते है ऐ दिल सहने दो

Sudha Raje
कुछ दर्द अकेले ही सहने पङते हैं ऐ दिल!!!!!
सहने दे ।
मुश्क़िल है अंज़ुमन में आना ,अब,मुझे
अकेला रहने दे।
कुछ ग़म ख़ामोश पिये जाते हैं पीने दे औऱ्
ज़ीने दे ।
कुछ ज़ख़्म छिपाये जाते है,, ख़ुद चाक़
ग़रेबां सीने दे।
बेनुत्क़ तराने ऐसे कुछ बे साज़ बजाये जाते
हैं
कुछ अफ़साने चुपचाप दर्द, सह सह के
भुलाये जाते हैं ।
हर साज़ रहे आवाज़ रहे ।ख़ामोश!!!!न आँसू
बहने दे
।।।
कुछ दर्द अकेले ही सहने पङते हैं ।
ऐ दिल!!!!!!
सहने दे ।
कुछ यादें होतीं ही हैं बस दफ़नाने और
भुलाने को ।
हर बार कोई कब होता है देकर आवाज़
बुलाने को ।
कुछ पाँव पंख घायल पागल बेमंज़िल मक़सद
चलते हैं ।
कुछ तारे चंदा सूरज हैं चुपचाप पिघल कर
जलते हैं ।
कुछ ज़ख़्म लगे नश्तरो-,नमक बे मरहम हर
ग़म
ढहने दे ।
कुछ दर्द अकेले ही सहने पङते हैं ।।
ऐ दिल!!!!!
सहने दे ।
©सुधा राजे ।।
Sudha Raje
©सुधा राजे ।
Sudha Raje
©®¶
May 1

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