Wednesday 30 October 2013

गीतों के गाँव गाँव के सपने

एक था गाँव
जीवन की छाँव
छाँव थी सपना
गाँव था अपना
अपना था बाग
बागों में राग
राग था खेत
नदिया औऱ् रेत
रेतों के घर
कल कल निर्झर
झरने औऱ् ताल
पीपल बङ साल
सालों के रिश्ते
लड्डू घी पिश्ते
सोहर सहाने
फागुन के गाने
मँजी का ब्याह
जी भर उछाह
नाची बारात
बेला औऱ् भात
दुखती विदाई
सावन घर भाई
छट्टी के तंदुल
तालों पे पंडुल
पोखर में डंगर
जामुन पे बंदर
मंदिर पै जाग
मरघट पै आग
तेऱईँ और मौत
फुलवा भई सौत
सौतन जुन्हैया
परदेशी सैयाँ
आया ले छल्ला
सब घर में हल्ला
पाकङ पे उल्लू
झुरमुट में लल्लू
लल्लू सँग लाली
कल्लू सँग काली
काली का चौरा
पीला पिछौरा
जिसमें गुङ धान
बखरी का मान
पनचक्की तुक तुक
दो दिल थे धुक् धुक्
ईखों में जोङे ।
संझा बिछोङे ।
पनघट पे गगरी
इडरी और तगरी
तगरी में घुँघरू
कछरे में कुँदरू
कुँदरूँ परवल
बगुले और हल
कल कल रहट
धुन वंशीवट
पीतल की थाली
जीजा और साली
लकचा महेरी
बिरचन गँडेरी
ढेँकुर और कओर
गन और गनगौर
कच्ची हर भीत
पक्की हर प्रीत
प्रीतों का घाव
इमरतिया नाव
नावों के बेङे
लू के थपेङे
पीली वो धूल
फूले बबूल
कनकौये काटे
घी के परांठे
मठ्ठा और प्याज
गहने और ब्याज
इमरतिया रोयी
चुनरी भिगोयी
चुन्नी पे बेल
बचपन का खेल
खेलों में चंदन
मन का अभिनंदन
चंदन का गाँव
जी का दुराव
जी में था घाव
घावों पर लेप
गीतों की खेप
गीतों में सपना
सपना था अपना
अपनों के गीत
सपनों के गीत
©¶©®¶ सुधा राज

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