Wednesday 30 October 2013

मैं तेरा ज़ाम हो जाऊँ

Sudha Raje
Sudha Raje
न जाने क्या तेरे ख़ुम में कि साग़र में
कि शीशे
में ।
कि जी चाहा लबों पे ज़ान धर दूँ ज़ाम
हो जाऊँ ।
पलक पे नींद तारी मुस्कुराना फिर भी यूँ
तौबा ।
तबाही आज आनी है तो तेरे नाम हो जाऊँ

कहाँ से होश लायें आपकी खामोश नजरों से

मेरी नज़्मों से कह देना तेरा पैग़ाम
हो जाऊँ ।
अभी तो शब ज़वां हुयी है अभी सैरे क़मर
बाक़ी ।
उठा पैमाना ए दिल तू मैं बस खय्याम
हो जाऊँ।
मेरे मालिक़ मेरे आक़ा तेरी मयनोश नज़रों में ।
मेरी जन्नत मेरी दुनियाँ तेरा इक़राम हो जाऊँ ।
मुझे रहने दे बाँहों में निग़ाहों में पनाहों में ।
तेरी ग़फ़लत के सदके मैं तेरी हर शाम हो जाऊँ
सुधा ग़र ख़्वाब है ये तो मुझे सोने दे खोने
दे ।
बिता दूँ ज़िदग़ी इसमें अज़ल की शाम
हो जाऊँ।
©सुधा राजे

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