Sunday 27 October 2013

प्रवासी देश की माटी

Sudha Rajeप्रवासी बेटी परदेशी।।



रोली हल्दी धर टीका कर थाती आँचल
छाँव
की

अम्माँ मेरी पठौनी धर ये माटी मेरे गाँव
की।
बाबुल मेरी पठौनी धर ये माटी मेरे गाँव की।


थोङा नीर नदी का थोङी धोवन तेरे
पाँव की।


अम्माँ मेरी पठौनी धर ये माटी मेरे गाँव
की

1-पईयाँ पईंयाँ जब लरकैयाँ चली पकङ
बाबुल की बईंयाँ
उतर घुटरूअन चाटी माटी
मार सपाटे ले
गई कईंयाँ
माटी बालेपन की गुईंयाँ ''''''यादें छूटे
ठाँव की
अम्माँ मेरी पठौनी धर दे माटी मेरे गाँव
की

2-बेर मकोर करौंदे
टेंटी कैंथा इमली झरबेरी
डाँग जलेबी होरे भुट्टे महुक कसेरू और कैरी
ज्वार की रोटी दूध महेरी "काँय"1वीर
के नाँव की"
अम्माँ मेरी पठौनी धर दे माटी मेरे गाँव
की


2--माटी के शंकर गनगौरें हाथी घोङे
माटी के
एङी गल गुच्ची घरघूले दिया गिंदौङे
माटी के
मिट्टी के चूल्हे बाशन
चक्की हाँडी गुङियाओं की
अम्माँ मेरी पठौनी धर दे माटी मेरे गाँव
की


4--मिचकी पींग हिलौंरे होली कीच रंग
की वो भँग की
कोहनी घुटने छिले
मली वो माटी बूटी अँग अँग की
केश धो रही भाभी खा गयी सौंधी महक
कथाओं की
अम्माँ मेरी पठौनी धर दे माटी मेरे गाँव
की
5-
माटी मेरे देश की माटी हा बिछुङे
परिवेश की माटी
पूरे संस्कार संस्कृति की गुरूओं के उपदेश
की माटी
सत्ती माई के चौरे की भस्म तेरी चिंताओं
की
अम्मा मेरी पठौनी धर दे माटी मेरे गाँव
की
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SUDHA RAJE
DATIA**★Bijnor
Jan 29

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