Sunday 27 October 2013

पत्थर पत्थर बोलेगा

Sudha Raje
Sudha Raje
पढ़ना सुनना आता हो तो पत्थर
पत्थर बोलेगा
जर्रा जर्रा,पत्ता पत्ता अफसानों पे
रो लेगा
वीरानों से आबादी तक
लहू पसीना महका है
शर्मनाक़ से दर्दनाक़
नमनाक़ राज़ वो खोलेगा
हौलनाक़ कुछ हुये हादसे
लिखे खंडहर छाती पे
नाखूनों से खुरच
लिखा जो, इल्म शराफ़त
तोलेगा
कुएँ बावड़ी तालाबों
झीलों नदियों के घाट तहें
खोल रहे हैं ग़ैबी किस्से
पढ़ के लहू भी खौलेगा
आसमान के तले जहाँ तक
उफ़ुक ज़मी मस्कन से घर
कब्रिस्तानों से
श्मशानों क्या क्या लिखा टटोलेगा
चेहरा चेहरा एक रिसाला
नज़र नज़र सौ सौ नज़्में
हर्फ़ हर्फ़
किस्सा सदियों का वरक़
वरक़ नम हो लेगा
हवा ग़ुजरती हूक तराने
अफ़साने गाती सुन तो
"सुधा" थरथराता है दिल
भी ख़ूनी क़लम
भिगो लेगा ©सुधा राजे
Dec 24, 2012

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