Sudha Raje
मित्र तुम्हें
ज़िन्दगी कहीं जो मिल
जाये
ये लो मेरे घर की चाभी दे
देना
कह देना बरसों से बाट
निहारी है
ये लो मेरा ख़त ये
ग़ुलाबी दे देना
कहना बड़ी तमन्ना मुझको मिलने
की
मेरी सारी झोला झाँपी दे
देना
वो जो आ ना सके मुझे
ही बुलवा ले
ये भी ना हो इक चित्र
नवाबी दे देना
अगर न
ऐसा भी जो वो स्वीकार
करे
मेरा नज़्में ये
लो शराबी दे
देना
कहना खतो-किताबत
ही ज़ारी रख्खे
उसको मेरा प्यार
अदाबी दे देना
सुधा "उसीके इश्क़ में अब
तक
जिन्दा है
कह ना इक
जलवा तो हिज़ाबी दे
देना (c)Sudha Raje
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