सुधियों के बिखरे पन्ने एक थी सुधा
Sudha Raje
फैंसी ड्रैस
********सुधियों के बिखरे पन्ने
(एक थी सुधा )""""""«
हमें तो कंपटीशन में भाग लेना है हम कुछ
नहीं जानते माँ!!
आप हर बार कोई न कोई बहाना करके
टाल देती हो । बापू चल फिर नहीं सकते
आप सारा दिन कुछ न कुछ काम
करती रहती हो । हमारा कोई दोस्त
नहीं और अब तो आप
कहानी भी नहीं सुनातीं । सब के फैंडस हैं
और हमारा कोई फ्रैंड भी नहीं ।
हमारा बस्ता पुराना यूनिफॉर्म
पुरानी और लंचबॉक्स भी पुराना । आप
तो हमें वाटर पार्क और पिकनिक
भी नहीं जाने देतीं । अब हम बच्चे
नहीं माँ थर्ड स्टैण्डर्ड में पढ़ते हैं और खूब
समझते हैं । जबसे ये छुटकी आई है आप बस
बाबा बापू और छुटकी में ही लगे रहते
हो । कट्टी आपकी ।
बिट्टू और चिट्ठी खेल में उलझ कर भूल गये
सुबह की सारी बात ।किंतु एक हृदय जल
रहा था अबूझ पीङा से । यही बिट्टू एक
साल पहले तक सबसे नये कपङे नये नये
खिलौने नये नये बस्तों और हर जन्मदिन
पर नयी गिफ्ट बाँटती थी सब बच्चों से
ज्यादा नंबर आते थे और हर कंपटीशन में
भाग दिलाकर तैयारी में
जुटी रहती थी बिट्टू की माँ।
कैसे बताये कि काम पर जाना असंभव है
और जमा पूँजी खत्म खेत से अनाज और मिल
से पेमेन्ट आने में कई महीने बाक़ी है । ऊपर
से हर वक्त तुम्हारे बाबा की फरमाईशे
और बापू की देखभाल दवाईयाँ । इसी पर
नातेदारों के रस्म रिवाज़ ।
सोचते सोचते कॉपियाँ चैक की और ट्यूशन
वाली युवतियों को नये चैप्टर समझाकर
जब वह ससुर का खाना लेकर
पहुँची तो ताना तैयार था ""आज तक
बिना बरफी के चाय ना ली थी कदी अब
यो चाह घुसकती ना है गले ते तले कूँ "
अज़ीब आदत है लोग यहाँ बरफी के साथ
चाय पीते हैं ।
वह शाम को गाय के दूध
का मावा बनाकर
बरफी जमाती हुयी सोच रही थी ।
चलो बीस रुपये रोज तो ये ही बच
जायेंगे।
दो कमरे किराये पर चढ़ा दूँ तो सामान
जरा पुराने कमरों में शिफ्ट
करना होगा और बस डेढ़ हज़ार ये भी आ
ही जायेंगे । रात को ओंस के पङने
का अहसास ही नहीं हुआ बिट्टू
को अभी अभी उपमन्यु
की कहानी सुनाकर सुलाया था और
चिट्ठी बापू की काँख से चिपक कर
सो रही थी। बाहर बगीचे में अनार के
पेड़ के नीचे मूढ़ा डाले वह लगातार लिखते
थक गयी तो उठकर टहलने लगी ।
सुबह छुट्टी का दिन था ।
उसने जल्दी जल्दी सब काम निबटाये और
बिट्टू के बापू की मालिश करके गरम
पानी से नहलाकर धूप में लिटाया और
चिट्ठी को वॉकर में बिठाकर कमरा बंद
कर लिया ।
चलो बिट्टू आज हम लोग
खेत खलिहान खेलेगे ।
वो कैसे माँ!!!
देखो ये
रही धोती कुरता पगङी अँगोछा लाठी और
मूँछ। हम बनते है फसल चोर और आप बन
जाओ चौधरी लठ्ठमार सिंह ।
वाओ माँ खूब
थोङी ही देर में बिट्टू के चेहरे पर मूँछ
चिपकी थी कागज पर एक
पुरानी बालचोटी के कतरन से
बनायी हुयी । लंबा टीका और
पगङी कुरता धोती जूते लाठी कमरबंद
और अंगोछा ही नहीं एक
डोरीवाला लोटा और कपङे में
रोटी प्याज गुङ अचार नमक की डली और
हरी मिरच बाँधकर
बिट्टू आवाज लगा रही थी
ओ रे हरिया जरा देख तो यो कौन बङ
गया मूँजी में ।
फिर बैल कल्पना में हाँकती और पूँछ ऐंठकर
मुँह से बटाईदार की नकल करके
किक्कि चिक्क की आवाज़ निकालती ।
फिर गाने गाती ""मेरे खेतों में फसल
लहराये लाँगुरिया धरती के भाग जगाबे
री""
कई घंटे खेल चलता रहा । माँ चोर
बनती कभी माहे नीलगाय बनकर हिरण
बनकर कभी कटाई करते लकङी गन्ना आम
चोर बनकर ।
बिट्टू को बटाईदार को करीब से देखने
का अक्सर मौका मिलता रहता था । वह
खेल में डूब गयी ।
दूसरे दिन फिर जिद
माँ! दो हज़ार रुपये जमा करो । हमें
फैन्सी ड्रैस कंपटीशन में भाग लेना है ।
बिट्टू!! आप किसान बनकर पहुँच जाओ तो?
कोई पहचान ही नहीं सकेगा!!
अगले दिन बिट्टू मंच को हरा भरा खेत
समझ कर माँ के साथ खेला हुआ सारा खेल
दोहरा रही थी मोनोप्ले में और जब उसने
मंचपर लाल अंगोछे में लाठी के सिरे पर
बँधी पोटली से लोटा निकाला और
पसरकर रोटी प्याज गुङ अचार नमक
की डली दिखाकर खानी शुरू की तो सब
देखते रह गये वह स्वाद से खा रही थी ।
और प्रिंसिपल सिस्टर कमेंट कर
रहीं थी अमेजिंग!!!! मारवलस!!!!
क्लास टीचर कह रही थी सबको भूख लग
पङी ।
लेकिन बिट्टू कहाँ है??? और वह आज स्कूल
क्यों नहीं आयी । ये कौन सी क्लास
का बच्चा है??
ऐ क्या नाम है आपका!!
बिट्टू ने पगङी मूँछे मेम को थमा दीं और
ताली पीटकर हँसने लगी ।
तभी मैनेजर फादर ने मंच पर प्रथम
पुरुस्कार की घोषणा की ।
किसान चौधरी लट्ठमार सिंह
आप मंच पर आयें
कलेक्टर साब का पूरा भाषण उस दिन
किसान के जीवन पर था ।
शाम को घर पर
माँ यू आर ग्रेट यू आर ए वंडर फुल मॉम आय
लव यू
मी टू पुत्तर ।
चुपचाप आँखें पोंछकर बिट्टू की ड्रेस
धोकर रखते हुये माँ आँसू पोंछ रही थी ।
परमेश्वर मेरे बच्चों का मन टूटने से
बचा ले!!!!
बिट्टू हर बार तबसे फैंसी ड्रेस
हो या नाटक नये आईडियाज खुद बनाकर
भाग लेती है और कई लेख एकांकी खुद
ही लिखकर निर्देशित भी करती है ।
अब बारहवीं में है और जब
बस्ता नया आता है तो भी पुराना जमकर
चलाती है ।बापू को क्रिकेट में
ही नहीं ड्राईविंग में भी हरा देती है ।
¶©®™सुधा राजे
6 hours ago · Edited
फैंसी ड्रैस
********सुधियों के बिखरे पन्ने
(एक थी सुधा )""""""«
हमें तो कंपटीशन में भाग लेना है हम कुछ
नहीं जानते माँ!!
आप हर बार कोई न कोई बहाना करके
टाल देती हो । बापू चल फिर नहीं सकते
आप सारा दिन कुछ न कुछ काम
करती रहती हो । हमारा कोई दोस्त
नहीं और अब तो आप
कहानी भी नहीं सुनातीं । सब के फैंडस हैं
और हमारा कोई फ्रैंड भी नहीं ।
हमारा बस्ता पुराना यूनिफॉर्म
पुरानी और लंचबॉक्स भी पुराना । आप
तो हमें वाटर पार्क और पिकनिक
भी नहीं जाने देतीं । अब हम बच्चे
नहीं माँ थर्ड स्टैण्डर्ड में पढ़ते हैं और खूब
समझते हैं । जबसे ये छुटकी आई है आप बस
बाबा बापू और छुटकी में ही लगे रहते
हो । कट्टी आपकी ।
बिट्टू और चिट्ठी खेल में उलझ कर भूल गये
सुबह की सारी बात ।किंतु एक हृदय जल
रहा था अबूझ पीङा से । यही बिट्टू एक
साल पहले तक सबसे नये कपङे नये नये
खिलौने नये नये बस्तों और हर जन्मदिन
पर नयी गिफ्ट बाँटती थी सब बच्चों से
ज्यादा नंबर आते थे और हर कंपटीशन में
भाग दिलाकर तैयारी में
जुटी रहती थी बिट्टू की माँ।
कैसे बताये कि काम पर जाना असंभव है
और जमा पूँजी खत्म खेत से अनाज और मिल
से पेमेन्ट आने में कई महीने बाक़ी है । ऊपर
से हर वक्त तुम्हारे बाबा की फरमाईशे
और बापू की देखभाल दवाईयाँ । इसी पर
नातेदारों के रस्म रिवाज़ ।
सोचते सोचते कॉपियाँ चैक की और ट्यूशन
वाली युवतियों को नये चैप्टर समझाकर
जब वह ससुर का खाना लेकर
पहुँची तो ताना तैयार था ""आज तक
बिना बरफी के चाय ना ली थी कदी अब
यो चाह घुसकती ना है गले ते तले कूँ "
अज़ीब आदत है लोग यहाँ बरफी के साथ
चाय पीते हैं ।
वह शाम को गाय के दूध
का मावा बनाकर
बरफी जमाती हुयी सोच रही थी ।
चलो बीस रुपये रोज तो ये ही बच
जायेंगे।
दो कमरे किराये पर चढ़ा दूँ तो सामान
जरा पुराने कमरों में शिफ्ट
करना होगा और बस डेढ़ हज़ार ये भी आ
ही जायेंगे । रात को ओंस के पङने
का अहसास ही नहीं हुआ बिट्टू
को अभी अभी उपमन्यु
की कहानी सुनाकर सुलाया था और
चिट्ठी बापू की काँख से चिपक कर
सो रही थी। बाहर बगीचे में अनार के
पेड़ के नीचे मूढ़ा डाले वह लगातार लिखते
थक गयी तो उठकर टहलने लगी ।
सुबह छुट्टी का दिन था ।
उसने जल्दी जल्दी सब काम निबटाये और
बिट्टू के बापू की मालिश करके गरम
पानी से नहलाकर धूप में लिटाया और
चिट्ठी को वॉकर में बिठाकर कमरा बंद
कर लिया ।
चलो बिट्टू आज हम लोग
खेत खलिहान खेलेगे ।
वो कैसे माँ!!!
देखो ये
रही धोती कुरता पगङी अँगोछा लाठी और
मूँछ। हम बनते है फसल चोर और आप बन
जाओ चौधरी लठ्ठमार सिंह ।
वाओ माँ खूब
थोङी ही देर में बिट्टू के चेहरे पर मूँछ
चिपकी थी कागज पर एक
पुरानी बालचोटी के कतरन से
बनायी हुयी । लंबा टीका और
पगङी कुरता धोती जूते लाठी कमरबंद
और अंगोछा ही नहीं एक
डोरीवाला लोटा और कपङे में
रोटी प्याज गुङ अचार नमक की डली और
हरी मिरच बाँधकर
बिट्टू आवाज लगा रही थी
ओ रे हरिया जरा देख तो यो कौन बङ
गया मूँजी में ।
फिर बैल कल्पना में हाँकती और पूँछ ऐंठकर
मुँह से बटाईदार की नकल करके
किक्कि चिक्क की आवाज़ निकालती ।
फिर गाने गाती ""मेरे खेतों में फसल
लहराये लाँगुरिया धरती के भाग जगाबे
री""
कई घंटे खेल चलता रहा । माँ चोर
बनती कभी माहे नीलगाय बनकर हिरण
बनकर कभी कटाई करते लकङी गन्ना आम
चोर बनकर ।
बिट्टू को बटाईदार को करीब से देखने
का अक्सर मौका मिलता रहता था । वह
खेल में डूब गयी ।
दूसरे दिन फिर जिद
माँ! दो हज़ार रुपये जमा करो । हमें
फैन्सी ड्रैस कंपटीशन में भाग लेना है ।
बिट्टू!! आप किसान बनकर पहुँच जाओ तो?
कोई पहचान ही नहीं सकेगा!!
अगले दिन बिट्टू मंच को हरा भरा खेत
समझ कर माँ के साथ खेला हुआ सारा खेल
दोहरा रही थी मोनोप्ले में और जब उसने
मंचपर लाल अंगोछे में लाठी के सिरे पर
बँधी पोटली से लोटा निकाला और
पसरकर रोटी प्याज गुङ अचार नमक
की डली दिखाकर खानी शुरू की तो सब
देखते रह गये वह स्वाद से खा रही थी ।
और प्रिंसिपल सिस्टर कमेंट कर
रहीं थी अमेजिंग!!!! मारवलस!!!!
क्लास टीचर कह रही थी सबको भूख लग
पङी ।
लेकिन बिट्टू कहाँ है??? और वह आज स्कूल
क्यों नहीं आयी । ये कौन सी क्लास
का बच्चा है??
ऐ क्या नाम है आपका!!
बिट्टू ने पगङी मूँछे मेम को थमा दीं और
ताली पीटकर हँसने लगी ।
तभी मैनेजर फादर ने मंच पर प्रथम
पुरुस्कार की घोषणा की ।
किसान चौधरी लट्ठमार सिंह
आप मंच पर आयें
कलेक्टर साब का पूरा भाषण उस दिन
किसान के जीवन पर था ।
शाम को घर पर
माँ यू आर ग्रेट यू आर ए वंडर फुल मॉम आय
लव यू
मी टू पुत्तर ।
चुपचाप आँखें पोंछकर बिट्टू की ड्रेस
धोकर रखते हुये माँ आँसू पोंछ रही थी ।
परमेश्वर मेरे बच्चों का मन टूटने से
बचा ले!!!!
बिट्टू हर बार तबसे फैंसी ड्रेस
हो या नाटक नये आईडियाज खुद बनाकर
भाग लेती है और कई लेख एकांकी खुद
ही लिखकर निर्देशित भी करती है ।
अब बारहवीं में है और जब
बस्ता नया आता है तो भी पुराना जमकर
चलाती है ।बापू को क्रिकेट में
ही नहीं ड्राईविंग में भी हरा देती है ।
¶©®™सुधा राजे
6 hours ago · Edited
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