दीप ये मुझसे नहीं जलता जला दो ।
Sudha Raje
1 hour ago ·
दीप ये मुझसे नहीं जलता जला दो ।
तम अमा का नेह कंजों में भुला दो ।
लाओ तो तूली रँगोली मैं बनाऊँ ।
द्वार वंदनवार किसलय के सजाऊँ।
मुक्त हो परिहास तो मैं चौक पूरूँ ।
दो नवल उत्साह धन मैं भी बचाऊँ
रूप तेरे ध्यान का प्रतिबिंब हो ले
।
आम्रदुम से तोङ कोमल पत्र ला दो ।
दीप ये मुझसे नहीं जलता जला दो ।
★
अल्पना के संग मेरी कल्पना में ।
तुम भरो तो रंग मेरी प्रार्थना में ।
भाव की गागर सुधा छलकी कलश में।
झिलमिलाता गेह स्वप्निल कामना में।
कंटकों चलते तृषित मन प्राण टूटे ।
तुम सरल मुस्कान से अमृत पिला दो ।
दीप ये जलता नहीं मुझसे जला दो ।
★
षट् रसों से युक्त मैं व्यञ्जन बनाऊँ ।
दीप तुम बालो कि मैं अञ्जन सजाऊँ
।
हो प्रखर आलोक ये अवसाद जाये ।
छेङ दो वीणा कि गुञ्जन गुनगुनाऊँ ।
नृत्य करते पग मचलते ताल दे दो ।
तिक्तता संतृप्त हो मधु पर्क ला दो ।
दीप ये मुझसे नहीं जलता जला दो ।
भित्तियाँ तन की हृदय की धो रही हूँ।
दृग पलक सूखे अकिंचन रो रही हूँ
ये मेरा संसार तुम से तुम समझलो ।
इंद्रधनुषी रंग सपने बो रही हूँ।
हर्ष की आमोद फुलझङियाँ बिखेरो।
प्रिय गगन कंदील धर मन झिलमिला दो ।
©®sudha raje
1 hour ago ·
दीप ये मुझसे नहीं जलता जला दो ।
तम अमा का नेह कंजों में भुला दो ।
लाओ तो तूली रँगोली मैं बनाऊँ ।
द्वार वंदनवार किसलय के सजाऊँ।
मुक्त हो परिहास तो मैं चौक पूरूँ ।
दो नवल उत्साह धन मैं भी बचाऊँ
रूप तेरे ध्यान का प्रतिबिंब हो ले
।
आम्रदुम से तोङ कोमल पत्र ला दो ।
दीप ये मुझसे नहीं जलता जला दो ।
★
अल्पना के संग मेरी कल्पना में ।
तुम भरो तो रंग मेरी प्रार्थना में ।
भाव की गागर सुधा छलकी कलश में।
झिलमिलाता गेह स्वप्निल कामना में।
कंटकों चलते तृषित मन प्राण टूटे ।
तुम सरल मुस्कान से अमृत पिला दो ।
दीप ये जलता नहीं मुझसे जला दो ।
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षट् रसों से युक्त मैं व्यञ्जन बनाऊँ ।
दीप तुम बालो कि मैं अञ्जन सजाऊँ
।
हो प्रखर आलोक ये अवसाद जाये ।
छेङ दो वीणा कि गुञ्जन गुनगुनाऊँ ।
नृत्य करते पग मचलते ताल दे दो ।
तिक्तता संतृप्त हो मधु पर्क ला दो ।
दीप ये मुझसे नहीं जलता जला दो ।
भित्तियाँ तन की हृदय की धो रही हूँ।
दृग पलक सूखे अकिंचन रो रही हूँ
ये मेरा संसार तुम से तुम समझलो ।
इंद्रधनुषी रंग सपने बो रही हूँ।
हर्ष की आमोद फुलझङियाँ बिखेरो।
प्रिय गगन कंदील धर मन झिलमिला दो ।
©®sudha raje
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