बच्चे, समाज और बचपन।
दुनियाँ में सबसे अधिक हिंसा बच्चों और
स्त्रियों पर होती है ।
अगर बच्चा स्त्री है तो हिंसा किस क़दर
भयावह हो सकती है कोई शायद
ही कभी विचार करता हो ।
एक खबर के मुताबिक
गोवा में सेक्स वर्कर बच्चे पचास पचास
रूपये तक में आसानी से उपलब्ध कराये जाते
पाये गये ।
ये तो एक खबर है दूसरी एक और भयावह
सच्चाई की तरफ से लोग और शासन मुँह
मोङे बैठा है कि आखिर अपहृत बच्चे जाते
कहाँ है?
ये बच्चे अरब देशों में ऊँट दौङ पर ऊँट के
ऊपर बाँधे जाते है ।जब ऊँट दौङता है
बच्चे चीखकर डर से चपेटकर पकङते रोते हैं
तो ऊँट तेज भागता है।
ये बच्चे वेश्यालय चलाने वाले रैकेट तक बेचे
जाते हैं जहाँ ब्रेनवॉश करके
पुरानी बूढ़ी मौसियाँ इनको बेचने के
लिये तैयार करती नाच गाना अदायें
सिखाती हैं ।
ये बच्चे भीख माँगने वाले गिरोह
खरीदकर विकलांग और नशेङी बनाकर
करोङो कमाते है
ये बच्चे ड्रग्स पैडलर जेबकतरे और
खूनी चोर लुटेरे बनाये जाते है
ये बच्चे पालकर
बङी बङी कोठियों स्पा मसाजपारलर
औऱ
होटल ढाबो भट्ठी खदानों पर गुलाम
बनाकर रखे जाते हैं ।
इसके अलावा अनाथालयों विकलांग और
बालिका आश्रमों की बार बार सामने
आती दुरदांत कथायें बताती हैं
कि वहाँ भी कई अपराधी सक्रिय है औऱ
अनेक झूठे दावे किये जाये मगर कई पकङे
गये संचालक कर्मचारी जो यौन शोषण
करते और बाहर वेश्यावृत्ति कराते थे ।
ये बच्चे जब घरो में हैं तब भी बहुत सारे
घर ऐसे हैं जहाँ।
रिश्तेदारों पर निर्भर अनाथ बच्चों से
गुलामों की तरह काम कराया जाता है
और मारपीट भी की जाती है ।
ये माँ बाप के साथ रहते भी तब भी ऑनर
किलिंग शराबहिंसा और माँ बाप
की गुलामी के शिकार है।
खुद माँबाप मारपीट कर पढ़ाई छुङाकर
काम पर भेजते है कमाई को और
जो धनवान है उनके पास बच्चे के लिये
समय ही नहीं ।
एक बच्चा सस्ता नौकर मुफ्त का गुलाम
और सरल शिकार
कहाँ है भविष्य के शुभचिंतक???
ये बच्चे जब अमीर के बच्चे होते है तो सबसे
ज्यादा शिकार होते है फिरौती माँगने
वालों के लिये ।
और घरेलू नौकर की वासना के ।
ये कुक बटलर आया धाय माली ड्राईवर
गार्ड वाचमैन और वॉशरमेन पापा के
असिस्टेंट मम्मी के हैल्पर
सब का सॉफ्ट टारगेट बच्चा हो जाता है
। जो लोग ऐसे घरों में पलकर बङे हुये है वे
समझ सकते है कि एक नौकर कई बार
रिश्तेदार से ज्यादा इंपोर्टेंट
हो जाता रहा है । अब ये
ज़माना शाही नवाबी तो रहा नहीं क्
सरकार आपका नमक खाया है और
गोली भी खा लेंगे । इसलिये वफ़ादारी न
तो आदत होती है न ही फ़र्ज़ वे सब नौकर
केवल पैसे के लिये काम करते है और मालिक
के प्रति ईर्ष्या पाले रहते हैं कि काश
हम भी धनवान होते । जरा सी डाँट
पङते या ग़लती से अपमानित करके
नौकरी से निकाले जाते
ही पहला निशाना बच्चा होता है
नज़ीबाबाद के तेजस का किडनैप इसी तरह
हुआ जब सरदार जी ने बच्चे के ड्राईवर
को डाँटकर नौकरी से निकाल दिया वह
सीधा स्कूल जाकर बच्चा ले गया और
पंद्रह लाख फिरौती वसूली ।
हालांकि तेजस भाग्यवान था कि पुलिस ने
रकम सहित किडनेपर पकङ लिये ।
लेकिन कई बच्चों की लाश ही मिली ।
ये घरेलू नौकरों पर न तो इलज़ाम है न शक़
लेकिन आँखों देखी कानो सुनी है कि दस में
से एक नौकर तो बच्चे को पटा कर रखने के
चक्कर में बच्चे की नाज़ायज माँगें इच्छायें
तक पूरी करता है औऱ मालिक से
छिपाता है । बच्चा जिद
करेगा तो नौकरी पक्की ।
बातों बातों में समय पूर्व सेक्स की विकृत
जानकारी नशा और पिता माता से झूठ
बोलना सिखाना ।
ये बच्चे घरों से मीलों दूर तनहा रहते ऐसे
नौकरों की हवस का राज़ी खुशी शिकार
बन जाते हैं जबकि नौकर
बच्चों को बहलाफुसला कर वासना को खेल
बनाकर बच्चे को बिगाङते चले जाते हैं ।
माँ बाप दोनों नौकरी करते हैं और बच्चे
के पास पॉकेट में मोटा पैसा हो तब बच्चे
का मन जीतकर लाभ लेने की साज़िश रचते
नौकर हर तरह से बच्चे का लाभ उठाते हैं
।
पहले पीढ़ी दर पीढ़ी सेवक होते थे जिनसे
पीढ़ी दर पीढ़ी प्रेम वफा नमक
हलाली और नाता रहता था ।
आज नवधनाढ्य जिनको काम पर पैसे के
बदले रखते हैं वे परदेशी होते हैं न गाँव
का पता न चालचलन परिवार ।
ऐसी उम्मीद ही बेवकूफी है कि वे
बच्चों को हानि नहीं करेगे।
संस्कार गलत डाल सकते है यौनशोषण
धनशोषण कुछ भी कर सकते है।
तब क्यों न खुद बच्चे के सेवक बना जाये??
लेकिन ऊँची तालीम परवरिश
का खरचा कहाँ से आये???
ये बच्चे जब मिडिल क्लास फैमिली के बच्चे
होते हैं तो माँ बाप की अधूरी इच्छाओं
और अधकचरे संस्कारों का बोझ लेकर घूमते
हैं अपने कंधों पर पापा चाहते हैं
बेटा इंजीनियर बने और बेटी डॉक्टर
मम्मी चाहती है बेटा आई पी एस बने और
बेटी आई ए एस जबकि बच्चा सपने
देखता है आर्किटेक्ट और म्यूजिशियन बनने
के सपने । वहीं से संघर्ष शुरू हो जाता है
।आप अगर मिडिल क्लास परिवार से हैं
तो याद कीजिये टीचर की मार
पापा की पिटाई माँ के ताने बङे भाई
की झिङकियाँ और थोपे गये सपने । और
इमोशनल अत्याचार । आज भी कुछ
नहीं बदला । मम्मियाँ बात बात पर
अहसान जतातीं मिल जायेंगी कि हम
पाँच बजे उठकर टिफिन बनाते हैं
पापा अहसान जताते मिल जायेगे कि हम
मरखप कर कमाते हैं दादा दादी के अलग
ही सपने हैं और शायद ही किसी को याद
रहता हो कि बच्चा कभी कभी देर तक
सोना चाहता है ।बस एक दिन
ही सही । बच्चा बच्चों के साथ
खेलना चाहता है बच्चे
को बच्चों वाली किताबें फिल्में और
बच्चों वाली जगह देखने का मन है । वह
मिट्टी में लोटना चाहता है और कुत्ते के
पीछे दौङना । कंचे पतंग न सही कम से कम
टेनिस क्रिकेट हॉकी चैस तो खेलने दो!!
मिडिल क्लास बच्चा शायद सबसे
ज्यादा शोषित बच्चा जिसकी पिटाई
पढ़ाई के नाम पर संस्कार के नाम पर
बाहर बिना पूछे घूमने जाने के नाम पर
पैसा और चीजें चुराने के नाम पर होती है
।
और जो काम गिने ही नहीं जाते वे काम
बच्चे रात दिन करते है ।
दरवाजा खोलना चाय बनाना। सफाई
करना । और कढ़ाई बुनाई सिलाई दुकान
दफ्तर के काम काज करना ।
यानि एक नजर से देखें तो माँ बाप बच्चे
नहीं बल्कि बच्चे माँ बाप की देखभाल
करते हैं।
इन बच्चों के सपने बङे औकात छोटी होने
से मनमारकर ज़ीनै की मजबूरी और खुद
का मान बचाने की विवशता की चक्की में
बचपन तो जैसे होता ही नहीं????
तंत्र मंत्र जादू टोने में स्त्रियों का सबसे
ज्यादा इस्तेमाल होता है और
स्त्री बच्चों का उससे भी ज्यादा ।
पङौस की एक लङकी दो दिन ग़ायब
रही बाद में कब्रिस्तान में गले तक
गङी हुयी मिली अमरूद तोङने गये
मजदूरों को देखकर तांत्रिक भाग गया ।
बिजनौर में दस साल पहले एक परिवार में
ज़िन्नात शैतान उतारने के नाम पर
माँ और बुआ ने मिलकर पाँच बच्चे खुद के
ही कमरे में जंजीर से बाँधकर धुँआ कर करके
पीट पीट कर मार डाले थे।
कुँवारी लङकी की बलि या पुत्र
प्राप्ति के लिये पराई संतान
की बलि जैसे तमाम दुर्दांत कांड आये दिन
भारत के ग्रामीण कस्बाई
ही नहीं नगरीय इलाकों तक से आते रहते
हैं ।
511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P
7669489600
sudha.raje7@gmail.com
यह रचना पूर्णतः मौलिक है।
स्त्रियों पर होती है ।
अगर बच्चा स्त्री है तो हिंसा किस क़दर
भयावह हो सकती है कोई शायद
ही कभी विचार करता हो ।
एक खबर के मुताबिक
गोवा में सेक्स वर्कर बच्चे पचास पचास
रूपये तक में आसानी से उपलब्ध कराये जाते
पाये गये ।
ये तो एक खबर है दूसरी एक और भयावह
सच्चाई की तरफ से लोग और शासन मुँह
मोङे बैठा है कि आखिर अपहृत बच्चे जाते
कहाँ है?
ये बच्चे अरब देशों में ऊँट दौङ पर ऊँट के
ऊपर बाँधे जाते है ।जब ऊँट दौङता है
बच्चे चीखकर डर से चपेटकर पकङते रोते हैं
तो ऊँट तेज भागता है।
ये बच्चे वेश्यालय चलाने वाले रैकेट तक बेचे
जाते हैं जहाँ ब्रेनवॉश करके
पुरानी बूढ़ी मौसियाँ इनको बेचने के
लिये तैयार करती नाच गाना अदायें
सिखाती हैं ।
ये बच्चे भीख माँगने वाले गिरोह
खरीदकर विकलांग और नशेङी बनाकर
करोङो कमाते है
ये बच्चे ड्रग्स पैडलर जेबकतरे और
खूनी चोर लुटेरे बनाये जाते है
ये बच्चे पालकर
बङी बङी कोठियों स्पा मसाजपारलर
औऱ
होटल ढाबो भट्ठी खदानों पर गुलाम
बनाकर रखे जाते हैं ।
इसके अलावा अनाथालयों विकलांग और
बालिका आश्रमों की बार बार सामने
आती दुरदांत कथायें बताती हैं
कि वहाँ भी कई अपराधी सक्रिय है औऱ
अनेक झूठे दावे किये जाये मगर कई पकङे
गये संचालक कर्मचारी जो यौन शोषण
करते और बाहर वेश्यावृत्ति कराते थे ।
ये बच्चे जब घरो में हैं तब भी बहुत सारे
घर ऐसे हैं जहाँ।
रिश्तेदारों पर निर्भर अनाथ बच्चों से
गुलामों की तरह काम कराया जाता है
और मारपीट भी की जाती है ।
ये माँ बाप के साथ रहते भी तब भी ऑनर
किलिंग शराबहिंसा और माँ बाप
की गुलामी के शिकार है।
खुद माँबाप मारपीट कर पढ़ाई छुङाकर
काम पर भेजते है कमाई को और
जो धनवान है उनके पास बच्चे के लिये
समय ही नहीं ।
एक बच्चा सस्ता नौकर मुफ्त का गुलाम
और सरल शिकार
कहाँ है भविष्य के शुभचिंतक???
ये बच्चे जब अमीर के बच्चे होते है तो सबसे
ज्यादा शिकार होते है फिरौती माँगने
वालों के लिये ।
और घरेलू नौकर की वासना के ।
ये कुक बटलर आया धाय माली ड्राईवर
गार्ड वाचमैन और वॉशरमेन पापा के
असिस्टेंट मम्मी के हैल्पर
सब का सॉफ्ट टारगेट बच्चा हो जाता है
। जो लोग ऐसे घरों में पलकर बङे हुये है वे
समझ सकते है कि एक नौकर कई बार
रिश्तेदार से ज्यादा इंपोर्टेंट
हो जाता रहा है । अब ये
ज़माना शाही नवाबी तो रहा नहीं क्
सरकार आपका नमक खाया है और
गोली भी खा लेंगे । इसलिये वफ़ादारी न
तो आदत होती है न ही फ़र्ज़ वे सब नौकर
केवल पैसे के लिये काम करते है और मालिक
के प्रति ईर्ष्या पाले रहते हैं कि काश
हम भी धनवान होते । जरा सी डाँट
पङते या ग़लती से अपमानित करके
नौकरी से निकाले जाते
ही पहला निशाना बच्चा होता है
नज़ीबाबाद के तेजस का किडनैप इसी तरह
हुआ जब सरदार जी ने बच्चे के ड्राईवर
को डाँटकर नौकरी से निकाल दिया वह
सीधा स्कूल जाकर बच्चा ले गया और
पंद्रह लाख फिरौती वसूली ।
हालांकि तेजस भाग्यवान था कि पुलिस ने
रकम सहित किडनेपर पकङ लिये ।
लेकिन कई बच्चों की लाश ही मिली ।
ये घरेलू नौकरों पर न तो इलज़ाम है न शक़
लेकिन आँखों देखी कानो सुनी है कि दस में
से एक नौकर तो बच्चे को पटा कर रखने के
चक्कर में बच्चे की नाज़ायज माँगें इच्छायें
तक पूरी करता है औऱ मालिक से
छिपाता है । बच्चा जिद
करेगा तो नौकरी पक्की ।
बातों बातों में समय पूर्व सेक्स की विकृत
जानकारी नशा और पिता माता से झूठ
बोलना सिखाना ।
ये बच्चे घरों से मीलों दूर तनहा रहते ऐसे
नौकरों की हवस का राज़ी खुशी शिकार
बन जाते हैं जबकि नौकर
बच्चों को बहलाफुसला कर वासना को खेल
बनाकर बच्चे को बिगाङते चले जाते हैं ।
माँ बाप दोनों नौकरी करते हैं और बच्चे
के पास पॉकेट में मोटा पैसा हो तब बच्चे
का मन जीतकर लाभ लेने की साज़िश रचते
नौकर हर तरह से बच्चे का लाभ उठाते हैं
।
पहले पीढ़ी दर पीढ़ी सेवक होते थे जिनसे
पीढ़ी दर पीढ़ी प्रेम वफा नमक
हलाली और नाता रहता था ।
आज नवधनाढ्य जिनको काम पर पैसे के
बदले रखते हैं वे परदेशी होते हैं न गाँव
का पता न चालचलन परिवार ।
ऐसी उम्मीद ही बेवकूफी है कि वे
बच्चों को हानि नहीं करेगे।
संस्कार गलत डाल सकते है यौनशोषण
धनशोषण कुछ भी कर सकते है।
तब क्यों न खुद बच्चे के सेवक बना जाये??
लेकिन ऊँची तालीम परवरिश
का खरचा कहाँ से आये???
ये बच्चे जब मिडिल क्लास फैमिली के बच्चे
होते हैं तो माँ बाप की अधूरी इच्छाओं
और अधकचरे संस्कारों का बोझ लेकर घूमते
हैं अपने कंधों पर पापा चाहते हैं
बेटा इंजीनियर बने और बेटी डॉक्टर
मम्मी चाहती है बेटा आई पी एस बने और
बेटी आई ए एस जबकि बच्चा सपने
देखता है आर्किटेक्ट और म्यूजिशियन बनने
के सपने । वहीं से संघर्ष शुरू हो जाता है
।आप अगर मिडिल क्लास परिवार से हैं
तो याद कीजिये टीचर की मार
पापा की पिटाई माँ के ताने बङे भाई
की झिङकियाँ और थोपे गये सपने । और
इमोशनल अत्याचार । आज भी कुछ
नहीं बदला । मम्मियाँ बात बात पर
अहसान जतातीं मिल जायेंगी कि हम
पाँच बजे उठकर टिफिन बनाते हैं
पापा अहसान जताते मिल जायेगे कि हम
मरखप कर कमाते हैं दादा दादी के अलग
ही सपने हैं और शायद ही किसी को याद
रहता हो कि बच्चा कभी कभी देर तक
सोना चाहता है ।बस एक दिन
ही सही । बच्चा बच्चों के साथ
खेलना चाहता है बच्चे
को बच्चों वाली किताबें फिल्में और
बच्चों वाली जगह देखने का मन है । वह
मिट्टी में लोटना चाहता है और कुत्ते के
पीछे दौङना । कंचे पतंग न सही कम से कम
टेनिस क्रिकेट हॉकी चैस तो खेलने दो!!
मिडिल क्लास बच्चा शायद सबसे
ज्यादा शोषित बच्चा जिसकी पिटाई
पढ़ाई के नाम पर संस्कार के नाम पर
बाहर बिना पूछे घूमने जाने के नाम पर
पैसा और चीजें चुराने के नाम पर होती है
।
और जो काम गिने ही नहीं जाते वे काम
बच्चे रात दिन करते है ।
दरवाजा खोलना चाय बनाना। सफाई
करना । और कढ़ाई बुनाई सिलाई दुकान
दफ्तर के काम काज करना ।
यानि एक नजर से देखें तो माँ बाप बच्चे
नहीं बल्कि बच्चे माँ बाप की देखभाल
करते हैं।
इन बच्चों के सपने बङे औकात छोटी होने
से मनमारकर ज़ीनै की मजबूरी और खुद
का मान बचाने की विवशता की चक्की में
बचपन तो जैसे होता ही नहीं????
तंत्र मंत्र जादू टोने में स्त्रियों का सबसे
ज्यादा इस्तेमाल होता है और
स्त्री बच्चों का उससे भी ज्यादा ।
पङौस की एक लङकी दो दिन ग़ायब
रही बाद में कब्रिस्तान में गले तक
गङी हुयी मिली अमरूद तोङने गये
मजदूरों को देखकर तांत्रिक भाग गया ।
बिजनौर में दस साल पहले एक परिवार में
ज़िन्नात शैतान उतारने के नाम पर
माँ और बुआ ने मिलकर पाँच बच्चे खुद के
ही कमरे में जंजीर से बाँधकर धुँआ कर करके
पीट पीट कर मार डाले थे।
कुँवारी लङकी की बलि या पुत्र
प्राप्ति के लिये पराई संतान
की बलि जैसे तमाम दुर्दांत कांड आये दिन
भारत के ग्रामीण कस्बाई
ही नहीं नगरीय इलाकों तक से आते रहते
हैं ।
511/2, Peetambara Aasheesh
Fatehnagar
Sherkot-246747
Bijnor
U.P
7669489600
sudha.raje7@gmail.com
यह रचना पूर्णतः मौलिक है।
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