पत्रकारों को लायसेंस दीजिये

Sudha Raje
पत्रकारों का अप्रेन्टिस के नाम पर
उत्पीङन होने की वजह ।
ड्रेस कोड ना होना भी है ।
जब पैंट कुरता और हाफ जैकेट स्कार्फ जूते
बेल्ट
और पिठ्ठू बैग
जैसे शालीन कपङे
लङका लङकी दोनों को अनिवार्य रहेगे
और
जब स्नातक और
डिप्लोमा या परास्नातक होते ही स्टेट
प्रेस कौंसिल से लायसेंस मिलने लगेगे तब ।
कोई भी टेलेंटेड पत्रकार स्वतंत्र कवरेज
और स्वतंत्र लेखन करके अपनी पहचान
अपने पास शोध और संग्रह की स्टोरी से
कर सकेगी// सकेगा तब
किसी सीनियर के चमचे बनकर
नहीं रहना पङेगा कि सर प्लीज
मेरी स्टोरी छाप दो प्लीज मुझे कॉलम दे
दो मुझे बाईट दे दो ।
दमदार मैटर जिसके पास होगा वह
एजेन्सी या प्रेस या चैनल को सीधे ही दे
सकेगा ।
और लायसेंस होने से न्यूज व्यूज एनालिसिस
और इंटरव्यूज कलेक्ट कर सकेगा ।
लायसेंस का विरोध सीनियर लोग करते
है क्यों हुक्का जाम भरने वाले मिलने बंद
हो जायेंगे ।
आज एक कम्प्यूटर प्रिंटर और
कैमरा बाईक ।
लोन लेकर भी नव
डिगरी धारी खरीदकर टेलेंट के दम पर
विश्वस्तरीय लिख सकता है।
अपना ग्रुप ऑनलाईन पेपर मैगज़ीन
निकाल सकता है ईपब्लिशिंग कर सकता है

नियामक निकाय तो होना ही चाहिये

सूचना लीजिये दाम दीजिये ।
जो छपेगा वही पत्रकार
बाकी व्यापार।
रक़ाबियाँ माँजने लायक न अब माहौल है
न जरूरत ।
महिला पत्रकारों और जूनियर
नौजवानों का शोष ण रोकने के लिये
अब लायसेंस जरूरी है
ताकि किसी कदाचारी को रोककर प्रेस
से फेंका जा सके
IRDA औऱ बार कौंसिल की तरह
सुधा राजे
#JUSTICE KATJU JI
6 minutes ago

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