बच्चो -7-
Sudha Raje
बच्चे भाग 7-
तमाचा!!!! थप्पङ और चाँटा!!! मुक्का लात
जूते घूँसे छङी हंटर संटी बेल्ट डंडा और
चिमटा बेलन झाङू!!!!!
क्या किसी चोर डाकू की पिटाई
हो रही है???क्या किसी मवाली की?
थाना है या अड्डा??
नहीं
ये हैं भारतीय आम बच्चे हैं और घर में पिट
रहे हैं ।
क्यों?
क्योंकि बच्चे ने जरा सा गुङ
चुरा लिया । दही चुराकर खा लिया।
क्योंकि माँ के पैसे चुराकर आईसक्रीम खाई
। क्योंकि बिना बताये खेलने चले गये ।
क्योंकि टी वी देख रहे थे ।
और सबसे ज्यादा वजह क्योंकि होम वर्क
नहीं किया और नंबर कम आये। बिस्तर पर
सू सू कर दी। दादी दादा काका को घर
की कोई बात बता दी।
बुरी तरह रो रो कर दया की भीख
माँगते ये बच्चे किस कदर पिटते हैं अगर
हमारे पाठकों ने मदरसे या गाँव के स्कूल
में शिक्षा पाई
हो तो पता हो सकता है। वैसे इंगलिश
मीडियम की झूठी पब्लिसिटी करके हर
गली में खुले निजी स्कूल
जो हिंदी मीडियम की मान्यता पर
पढ़ा रहे है अंगरेजी वहाँ भी किसी चोर
गुंडे डाकू की तरह ही मार खाते नजर आ
जाते हैं यदा कदा समाचार भी बन
ही जाते है ।
मारता कौन है???
माँ
पापा
भैया
दीदी
काका
चाचा
दादा
ताऊ
टीचर
और मेन्टॉर उस्ताद।
क्या खूब सोच है भारतीय परवरिश की!!
बच्चे समझाया नहीं आतंकित करके दहशत
पैदा करके बात मनवाई जाती है!!!
दो पङौसिने या सास बहू या ननद
भाभी देवरानी जेठानी या कोई
भी दो के बच्चे किसी बात पर झगङ
ही गये शिक़वा शिकायत झगङा बङों ने
किया और बङों को ही अपमानबोध
इतना अधिक हो गया कि अपने बच्चे
को तङातङ पीट दिया!!
ले और ले और ले और ले ।
???
कैसी खुन्नस? किसका कुसूर
सज़ा किसको क्यो?
सास ने बच्चे को पाँच रुपये दे दिये बहू से
बोलचाल बंद है बहू ने दनादन पीट
दिया बच्चे को।
पत्नी ने कुछ कह दिया पिता ने बेटे
की पिटाई लगा दी।
पति से झगङा हुआ औऱ एक भयानक
घटना कि बच्चा गले में बाँधकर एक बहू
कुँयें में कूद गयी ।
ज़ान निकलने लगी तो बचाओ बचाओ
चीखी और जब
दोनों को निकाला बच्चा मर चुका था ।
ग़म में आग लगा ली।
आप होते कौन हो बच्चे को ज़ान से मारने
का फैसला करने वाले?
बॉस ले टें टें हो गयी घर में
बच्चों की हुल्लङ बाज़ी मातमी मन
को नहीं लगी बस पीट दिया??
आप पूरे देश के आँकङे जुटाकर देखें कि कलह
की वजह से सुसाईड करने
वाली कितनी माँयें बच्चे की हत्या करके
मर जाती हैं । उनमें से
अभागियों की संख्या भी बङी है जिनमें
बच्चा मर गया माँ जिंदा बच गयी ।
कलह में पिता ने नवजात पटक कर मार
दिया। जलन वश नाते रिश्तेदार ने मार
दिया।
जिन दंपत्तियों में अनबन ज्यादा रहती हैं
वहाँ बच्चे भी बँट जाते हैं ।
माँ का दुलारा और बाप का लाङला अलग
अलग बच्चा।भले ही अज़ीब लगे किंतु
पिता माता के बीच अगर झगङा है
तो बच्चे रात दिन एक अशांत और भयानक
माहौल का सामना करते हैं । बङे होते
जाते बच्चे जैसे माँ बाप के झगङों में
हथियार बन जाते है माँ बेटे
को पिता की हिंसा की ढाल के रूप में
खङा करती है तो बेटी को पिता कुकिंग
चाय नाश्ता कपङे जैसी सेवाओं के बदले
पत्नी के विरोध में
बढ़ावा देता जाता है।
तलाक अलग होता है तो सबसे
ज्यादा आहत कोई होता है तो बच्चे।
न कोई सौतेला पिता न
सौतेली माँ प्रायः विकल्प बन पाते हैं ।
अपवाद भले ही हों किन्हीं रेयरेस्ट ऑफ
रेयर केस में किंतु यह सच है इंसान केवल
अपने ही बच्चे को मन से ग्रहण करता है
संतान के रूप में।
सास बहू ननद देवरानी जेठानी वाले
डिरामा में तो बच्चों से जासूसी और
कूटनीज्ञ सलाहकार बना कर रख दिये
जाते हैं। अगर आप माँ हैं तो याद करें
कि बच्चा माँ के प्रति कितना पजेसिव
होता है । माँ का दूध पीते समय सप्ताह
भर का शिशु भी दूसरे स्तन पर हाथ
रखकर जैसे
अपनी माँ को किसी को भी छूने
नहीं देना चाहता। बहुत कम अंतर वाले
भाई बहिनों में झगङे की वजह माँ पर हक़
ही अचेतन में होता है।
ये बच्चा जो ज़ान से
प्यारा कहा जाता है फिर क्यों आखिर
क्यों झूठे अहंकार प्रतिष्ठा और
ईर्ष्यावश पीटा जाता है???
स्त्री को पति सास ससुर पीट दें
तो घरेलू हिंसा!!!! और माँयें बेरहमी से
बच्चे को पीटती रहें वह कुछ भी नहीं??
जवान विवाहित लङको को बूढ़ा बाप
पीट दे तो बस पिताजी?? और मासूम
बच्चे को जब
युवा पिता जल्लादों की तरह पीट दे
तो कुछ भी नहीं??
ये पीटना दरअसल एक कमज़ोरी है।
हिंसकता से अपनी बात मनवाने की आदत
।जो ये साफ साफ घोषित करता है
कि बच्चे को समझाना और हृदय में
राज़ी ख़ुशी उत्साह से
भागीदारी को कन्विस
करना आपको नहीं आता।
अगर पीट कर बात मनवानी तक नौबत है
तो एक फेल और अयोग्य
माँ पिता कहना पङेगा।
क्रमशः जारी '''''''
©®सुधा राजे।
बच्चे भाग 7-
तमाचा!!!! थप्पङ और चाँटा!!! मुक्का लात
जूते घूँसे छङी हंटर संटी बेल्ट डंडा और
चिमटा बेलन झाङू!!!!!
क्या किसी चोर डाकू की पिटाई
हो रही है???क्या किसी मवाली की?
थाना है या अड्डा??
नहीं
ये हैं भारतीय आम बच्चे हैं और घर में पिट
रहे हैं ।
क्यों?
क्योंकि बच्चे ने जरा सा गुङ
चुरा लिया । दही चुराकर खा लिया।
क्योंकि माँ के पैसे चुराकर आईसक्रीम खाई
। क्योंकि बिना बताये खेलने चले गये ।
क्योंकि टी वी देख रहे थे ।
और सबसे ज्यादा वजह क्योंकि होम वर्क
नहीं किया और नंबर कम आये। बिस्तर पर
सू सू कर दी। दादी दादा काका को घर
की कोई बात बता दी।
बुरी तरह रो रो कर दया की भीख
माँगते ये बच्चे किस कदर पिटते हैं अगर
हमारे पाठकों ने मदरसे या गाँव के स्कूल
में शिक्षा पाई
हो तो पता हो सकता है। वैसे इंगलिश
मीडियम की झूठी पब्लिसिटी करके हर
गली में खुले निजी स्कूल
जो हिंदी मीडियम की मान्यता पर
पढ़ा रहे है अंगरेजी वहाँ भी किसी चोर
गुंडे डाकू की तरह ही मार खाते नजर आ
जाते हैं यदा कदा समाचार भी बन
ही जाते है ।
मारता कौन है???
माँ
पापा
भैया
दीदी
काका
चाचा
दादा
ताऊ
टीचर
और मेन्टॉर उस्ताद।
क्या खूब सोच है भारतीय परवरिश की!!
बच्चे समझाया नहीं आतंकित करके दहशत
पैदा करके बात मनवाई जाती है!!!
दो पङौसिने या सास बहू या ननद
भाभी देवरानी जेठानी या कोई
भी दो के बच्चे किसी बात पर झगङ
ही गये शिक़वा शिकायत झगङा बङों ने
किया और बङों को ही अपमानबोध
इतना अधिक हो गया कि अपने बच्चे
को तङातङ पीट दिया!!
ले और ले और ले और ले ।
???
कैसी खुन्नस? किसका कुसूर
सज़ा किसको क्यो?
सास ने बच्चे को पाँच रुपये दे दिये बहू से
बोलचाल बंद है बहू ने दनादन पीट
दिया बच्चे को।
पत्नी ने कुछ कह दिया पिता ने बेटे
की पिटाई लगा दी।
पति से झगङा हुआ औऱ एक भयानक
घटना कि बच्चा गले में बाँधकर एक बहू
कुँयें में कूद गयी ।
ज़ान निकलने लगी तो बचाओ बचाओ
चीखी और जब
दोनों को निकाला बच्चा मर चुका था ।
ग़म में आग लगा ली।
आप होते कौन हो बच्चे को ज़ान से मारने
का फैसला करने वाले?
बॉस ले टें टें हो गयी घर में
बच्चों की हुल्लङ बाज़ी मातमी मन
को नहीं लगी बस पीट दिया??
आप पूरे देश के आँकङे जुटाकर देखें कि कलह
की वजह से सुसाईड करने
वाली कितनी माँयें बच्चे की हत्या करके
मर जाती हैं । उनमें से
अभागियों की संख्या भी बङी है जिनमें
बच्चा मर गया माँ जिंदा बच गयी ।
कलह में पिता ने नवजात पटक कर मार
दिया। जलन वश नाते रिश्तेदार ने मार
दिया।
जिन दंपत्तियों में अनबन ज्यादा रहती हैं
वहाँ बच्चे भी बँट जाते हैं ।
माँ का दुलारा और बाप का लाङला अलग
अलग बच्चा।भले ही अज़ीब लगे किंतु
पिता माता के बीच अगर झगङा है
तो बच्चे रात दिन एक अशांत और भयानक
माहौल का सामना करते हैं । बङे होते
जाते बच्चे जैसे माँ बाप के झगङों में
हथियार बन जाते है माँ बेटे
को पिता की हिंसा की ढाल के रूप में
खङा करती है तो बेटी को पिता कुकिंग
चाय नाश्ता कपङे जैसी सेवाओं के बदले
पत्नी के विरोध में
बढ़ावा देता जाता है।
तलाक अलग होता है तो सबसे
ज्यादा आहत कोई होता है तो बच्चे।
न कोई सौतेला पिता न
सौतेली माँ प्रायः विकल्प बन पाते हैं ।
अपवाद भले ही हों किन्हीं रेयरेस्ट ऑफ
रेयर केस में किंतु यह सच है इंसान केवल
अपने ही बच्चे को मन से ग्रहण करता है
संतान के रूप में।
सास बहू ननद देवरानी जेठानी वाले
डिरामा में तो बच्चों से जासूसी और
कूटनीज्ञ सलाहकार बना कर रख दिये
जाते हैं। अगर आप माँ हैं तो याद करें
कि बच्चा माँ के प्रति कितना पजेसिव
होता है । माँ का दूध पीते समय सप्ताह
भर का शिशु भी दूसरे स्तन पर हाथ
रखकर जैसे
अपनी माँ को किसी को भी छूने
नहीं देना चाहता। बहुत कम अंतर वाले
भाई बहिनों में झगङे की वजह माँ पर हक़
ही अचेतन में होता है।
ये बच्चा जो ज़ान से
प्यारा कहा जाता है फिर क्यों आखिर
क्यों झूठे अहंकार प्रतिष्ठा और
ईर्ष्यावश पीटा जाता है???
स्त्री को पति सास ससुर पीट दें
तो घरेलू हिंसा!!!! और माँयें बेरहमी से
बच्चे को पीटती रहें वह कुछ भी नहीं??
जवान विवाहित लङको को बूढ़ा बाप
पीट दे तो बस पिताजी?? और मासूम
बच्चे को जब
युवा पिता जल्लादों की तरह पीट दे
तो कुछ भी नहीं??
ये पीटना दरअसल एक कमज़ोरी है।
हिंसकता से अपनी बात मनवाने की आदत
।जो ये साफ साफ घोषित करता है
कि बच्चे को समझाना और हृदय में
राज़ी ख़ुशी उत्साह से
भागीदारी को कन्विस
करना आपको नहीं आता।
अगर पीट कर बात मनवानी तक नौबत है
तो एक फेल और अयोग्य
माँ पिता कहना पङेगा।
क्रमशः जारी '''''''
©®सुधा राजे।
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