सिंदूरी शाम

Sudha Raje
Mar 8 ·
ये कौन सिन्दूरी शाम ढले
घेरे है मुझे इक साया सा
कभी दूर से रीझे चुपके से
कभी पास लगे सकुचाया सा
ये कौन -------
वो कितने रूप बदलता है
सँग सँग हर पल ज्यूँ चलता है
सावन में बरसता बादल सा
फागुन सतरंग मचलता है
वासंती मादकता लेकर
मनमत्त करे बौराया सा
ये कौन --------
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Sudha Raje
Dta†Bjnr
मेरी इस गहन उदासी में
एकांत शांत वंशी लेकर
आँचल पर गिरते अश्रु पोंछ
स्मित किंचित वो हँसी लेकर
अभिरूप मौन संवाद करे
पटचित्र लिखे मनभाया सा

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