Saturday 23 November 2013

विवाह न करने के स्त्री के फैसले पर इतने आक्रामक क्यों

Sudha Raje
फैसला विवाह नहीं करने का
तब जब कि मन तैयार नहीं किसी के
अनुकूल ढलकर खुद को खतम करने को ।
बोझ से अच्छा है अकेली जिंदगी ।
----------
ये सबके बस का है ही नहीं और सबके लिये
है ही नहीं सिर्फ समर्थ स्वावलंबी सशक्त
महिला ही ये फैसला ले सकती है और वे
बिना किसी मास्टर
की उपदेशावली की परवाह के ये फैसले ले
रही है
ममता बनर्जी जयललिता गिरिजा व्यास
उमा भारती मायावती अगाथा शैलजा कुमारी सुष्मिता सेन
रेखा एकता कपूर और लाखों ताकतवर
महिलायें जिनको किसी पुरुष के समर्थन
की परवाह नहीं
उनके अपने फैसले और परिवार है
ये विवाह की मरी लाश घसीटती बेबस
औरतें और घर में बीबी को कैद करके
अन्याय करने वाले ढोगी नहीं समझ सकते
Nov 16 at 1:15pm · Edited
Unlike · Comment · Share ·
Add Photos
· Edit Privacy · Edit · View Edit
History · Delete
You, Hitender Yadav and 66
others like this.
View previous comments
Sudha Raje
बिगङा हुआ एक घर बहू लाकर कह
दिया जाता है कि अब लङका लाईन पर
आ जायेगा???? कैसे जो लङका तीस साल में
बाप भाई माँ बहिन नहीं ठीक कर सके
वह बहू!!!! पल भर में ठीक कर देगी????
हिंदुस्तानी अत्याचार महाभारत काल से
जारी है!!!!
शीला या सोनिया क्या क्या ठीक
करेगी??? जिन प्रांतों में पुरुष मुखिया है
क्या वहाँ सब ठीक है???? पुलिस औऱ
प्रशासन?? ठीक है?? सब कुछ कानून से
नही एक आंतरिक अनुशासन से चलता है
Like · Edit · Nov 16 at 8:22pm
Sudha Raje
ये आंतरिक अनुशासन कैसे आयेगा??? कि बस
अड्डे पर स्कूल बस का इंतिज़ार
करती लङकियों को सिपाही ही घूरकर
देखेगा और छूता हुआ कंडक्टर फिकरा कस
देगा अभद्र!!!!!
Like · 1 · Edit · Nov 16 at 8:25pm
Sudha Raje
सवाल सिर्फ अब तक इतना ही है
कि अगर लङकी अकेली रहकर माता बनने
का फैसला लेती है समर्थ है
तो उसको जीने दो जीने दो उसे अपने
फैसले के साथ और लांछित या अपमानित
करने की दुष्टता त्यागो ।।।हर
किसी को जीने का हक़ है और बिलकुल उस
लङकी को भी जो विवाह
नहीं करना चाहती जीने का हक़ है ।।।
बुढ़ापा सबको आता है मौत भी लेकिन
उसका मतलब केवल
पति पत्नी का ही नाता नहीं???
बेटी बेटा भाई बहिन भतीजे भांजे शिष्य
पोते पोती और दत्तक या अंगज संताने
भी हो सकतीं है
Like · 1 · Edit · Nov 16 at 9:13pm
Sudha Raje
देशपाल साब पुरुष से बङा पुरुष का दुश्मन
कोई है?? अपनी ही कौम अपने
ही नातों से बङा घाव कोई दे सकता है??
सब अपने ही समकक्ष पर प्रहार करते है
नया क्या है पुरुषों को युद्ध हत्याकांड
दंगों में पुरुष मारते है घर में कैद औरतें
औरतों की बुराई कर लेती हैं बाहर
तो औरतो की जान माल आबरू छीनने
को हर जगह कोई घात में पुरुष है ही न??
Unlike · 1 · Edit · Nov 16 at
9:18pm
Sudha Raje
क्या बुराई है?? एक इंजीनियर पायलट
डॉक्टर जज मिनिस्टर वैज्ञानिक
महिला दो अनाथ बच्चे गोद लेकर
पिता माता की सेवा में जीवन बिता कर
अपने ही तौर से जिये??
Like · 1 · Edit · Nov 16 at 9:25pm
Sudha Raje
लाखों विकलांग नेत्रहीन मूक बधिर कद
काठी या विकृति जन्य
देहवाली लङकियाँ पूरी जिंदगी विवाह
के इंतज़ार में बैठायी जाती है घर
जबकि उनको रोजग़ार मिले और संतान
तो सुखी रहें ।।
Like · Edit · Nov 17 at 5:14am
Sudha Raje
महादेवी वर्मा एक बार ससुराल जाकर
लौटीं तो फिर
दुबारा कभी नहीं गयीं वापस!!!!!!!!
Edited · Unlike · 1 · Edit · Nov 17
at 5:16am
Sudha RajeNov 17 at 3:18pm
Sudha Raje
शादी औऱतें भी तो चौथी भी कर सकती थी और।
अट्ठारहवी भी क्योंकि पुरुष भी विधुर
होकर यही करते है ।।जो नही करते अटल
जी मोदी जी और भीष्म बजरंग
बली की तरह नारद की तरह महान
कहाते है
Like · Edit · Nov 17 at 4:08pm
Sudha Raje
Sudha Rajeसमस्या पुरुष अहंकार
कभी खत्म नहोगा और
समस्या भी नहीं खत्महोगी।।।।यहाँ
समस्या खत्म करनेकी बात
ही नहीं जो लङकियाँ तैयार हैशासक
बरदाश्त करने को वे कर रही हैऔर
राजी या गैर राजी जीवन निकालदेती है
।।यहाँ केवल
उनगिनी चुनी दुस्साहसी लङकियों को रामबुद्ध
महावीर तुलसी की भाँति मुक्ति देदेने के
हककी बात है जिनके पासबीबी बनकर
किसी के किचिन बेड और वंशचलाने से
ज्यादा महत्त्वपूर्ण मामले हुनरमंजिल हैं
।।।।ये क्रूर और
घिनौना हैकि अविवाहित रहने
का फैसला स्त्री करेतो चरित्र पर
टिप्पणी और स्वच्छंद कहकर प्रहार करें
अगर अटल जी औरमोदी हों तो महान
हों??? पुरुषवादका दोगला विषवमनLike
· Sudha
Rajeसमस्या का हल तो पुरुष अहंकार
औरअत्याचार है ।।।।जब ये नहीं होगे
समाजमें प्रतिक्रिया होगी ही नहींLike
· Sudha
Rajeयहाँ अपवाद महिला की बात
हो रही हैपुरुष अगर भारतीय है तो यह
असंभवसा है कि वह अपने अहंकार से
अधिकस्त्री के पैशन लक्ष्य औऱ
मकसदको महत्तव देगा ।।
यहाँ तो स्त्री की हर मंजिल हर
चाहतहर
कामना का tHE-ENDही पति को घोषित
करदिया गया है। लेकिन
कुदरतऐसा नहीं मानती न वह
विलक्षणप्रतिभायें कलाकार वैज्ञानिक
औरहुनरमंद
स्त्रियाँ बनाती रहती हैप्रकृति किंतु
जब ये अद्वितीय हुनर
साहसप्रतिभा स्त्री बनकर अपनी मंजिल
परचल पङती है तब उसे विवाह
करनेको मजबूर कर दिया जाता है ।
कभी समाज के डर से कभी धर्म के
डरसेमैडम क्यूरी हिंदुस्तान में क्यों नहीं??
केवल इसलिये
क्योंकि कोईपति अपनी पत्नी को किचिन
बेड वंशचलाने और
अपनेपिता माँ परिजनों की नजर
मेंसती साध्वी पतिव्रता घोषित करने
मेंही उसका जीवन सार्थक समझता है ।
एकपैशन एक जुनून लेकर कोई खोज कोई
मंजिलपाने वाले पथ पर चलती लङकी सुबह
पाँचबजे चाय नाश्ता बच्ये नहीं कर
सकती वहससुराल
वालों की खुशी नाराजी परनहीं नाचेगी ।
वह वक्त बेवक्त पुरुष केलिये मादा बनकर
नहीं रह सकती वहअपने कैरियर मंजिल
सपने और लक्ष्य केपीक आवर्स में प्रैगनेंट
या प्रसव होनेकी झंझट
नहीं उठा सकती और अगर ये
सबईमानदारी से करेगी तो अपने
हुनरप्रतिभा जुनून से न्याय
महीं करसकती जबकि भारतीय पुरुष
विवाह केबाद रोटी कपङा मकान सेक्स
के बदले फुलटाईम केयर टेकर माँगता है न
कहे सह लेमगर आशा करता है ।
कि स्त्री परोसेपकाये और लङके पैदा करे
।हर मंजिल सेबङा पति को माने मायके
को भूल जायेऔर ससुराल
वालो को ही सबकुछ मान लेजिन
घरो की स्त्रियाँ पति से अधिकमहत्तव
कैरियर या अपने हुनर
को देती हैवहीं कलह है असंतोष भी।
जिनघरों की स्त्रियाँ अपने
मायकेवालों की मदद करती है
वहीं निंदा औरअनबन।यानि विवाह
समस्या है अंतनहीं ।परमानेंट बेड
पार्टनरकी अवधारणा और बच्यों के
पितृत्वकी पुष्टि के बाद ।
केवलरोटी कपङा मकान के बदले आजीवन
बँधुआमजदूर कैदी। बेशक बदले हैं लोग
मगरपुरुषवाद नहीं मदद
करता मशीनेकरती हैं पानी अब भरा हुआ
मिलता है ।वाशिंग मशीन दहेज में।
मिक्सी गैस
कुकरबिजली पंखा आटा चक्की राईससेलरस्पेलरऔ
र यूटेंसिल सॉप डिशवॉशरवाईपरमगर
कमानेवाली की भी ड्यूटी कब बदली??
जो पुरुषमदद करते है उतने से महान
अहसान!येलङकियाँ
क्यों नहीं कहसकती कि मेरा सपना कोई
पुरुषनहीं दुनियाँ में अपना नाम पहचान
सृजनखोज रखना है।बाकी है न कोल्हू में
बँधनको राजी या गैरराजी
Unlike · 1 · Edit · Nov 17 at
4:10pm

No comments:

Post a Comment