Friday 1 November 2013

किशना पगली

Sudha Raje
किशना पगली किशना
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तीन बेटियों में सबसे
बङी बिना भाई की किशना
दुत्कारी भी दुलारी भी
अंग अंग फूटी जवानी जिसे देख
बौरा गये तालाब बाग पेङ
नदी बाढ़ सी आयी गाँव में रिश्ते
जीजा बह गये और रोती रह
गयी किशना आम के पेङ के नीचे वह
आयी क्यों माई ने
कितना रोका जीजा वीजा कुछ
नहीँ होता । लेकिन
चली आयी पक्के आम खाने घने बाग
में जंगल के बीच । किशना उदास है
दुखी है अँधेरी कोठरी में जी भर
रोती है स्कूल भी नहीँ जाती ।
माई के जेहन में कीङे कुलबुला रहे हैं
कैसे पूछे क्या हुआ । काढ़े पीये
जा रही है किशना बिना कुछ पूछे
बुखार की दवा है माई ने कहा ।
पूछ पूछ हार गयी माई कुछ
नहीँ बोली किशना । फेल
हो गयी आठवीँ में । आम पर फिर
फल आये हैं सारी बहिनें जा रही हैं
माई बाऊजी भी जा रहे हैं
नहीँ जा रही किशना । कोई
नही है घर में और आया है
वही रिश्ते का जीजा साल भर
बाद फिर बेशरमाई से
मुसकुरा रहा है । किशना बर्तन
माँज रही है और पाँच
किलो की लोहे ही कढ़ाही राख
रेत और निरमा से रगङते हाथ कब
उठे पता नहीँ कढ़ाही जीजा के
माथे पर लगी खून बह चला एक
सिर फटी लाश पङी है आँगन में
दौङती जा रही है बाल बिखेरे
राख के हाथ भरे चीखती बदहवास
आँधी की तरह आम के
बागों की तरफ किशना "माई हम
राक्षस के मार डरलीं "
कचहरी में घोषणा होती है
नाबालिग किशना पागल है ।
बाऊ रो रहे हैं माई चुप देख
रही है किशना लगातार आम
खा रही है
फूआ बुक्का फाङकर चीख रहीँ है "ऐ
वंश बुझौवनी अब तुहार बिआह कैसे
होई ।
किशना हँस रही है सारे कपङे मुँह
हाथ आम के रस से सराबोर ।
माई देख रही है एक साल बाद
काली माई की हँसी उसे
लगा किशना के चेहरे पर रक्त है
बुदबुदा उठी "ऐ माई नज़र न होखे
"पगली किशना अब जोर जोर से
गा रही है।©®¶©®¶
Sudha Raje
Dta//Bjnr
सत्यकथा
Mar 25 ·

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