Wednesday 6 November 2013

मैं प्यार हूँ प्यार ही मेरा प्यार है

दुनियाँ में अगर कुछ भी कहीँ है तो प्यार
है ।
वरना तो साँस क्या है ग़मे रोज़गार है।
ये नाम नहीँ अक़्श नहीं शक़्ल नहीं है ।
दिल का दिमाग़ का भी नहीँ रूह्शुमार है

कोई किसी का इश्क़ बन सका तो बुत हुआ

जैसे सनमक़दे में कृष्ण संग़े यार
है ।
जिसने भी कर लिया हो प्यार सिर्फ़ एक
बार ।
हिफ़्जे क़ुरान गीता बाईबिल अश्आर है ।
अल्लाह ईश रब को वही देख सका है ।
जिस दिल में मुहब्बत का तराना सितार
है।
रग़ रग़ में गूँजता है ख़ुदा वो है मुक़म्मल
सूफ़ी हो सादा लौह मग़र रब का तार
है।
इंसान को इंसान बनाती है मुहब्बत।
ये नूरे ख़ुदा आईना तिमसालदार है।
जलती हुयी शमाँ है वो फ़ानूस है दिया।
देखो तो जिसके दिल वफ़ा बेशुमार है।
अहले-ज़हाँ भी रश्क़ करे
ना तो क्यों सुधा।
मैं सरबसर हूँ प्यार प्यार मेरा प्यार है।
©®¶¶®
Sudha Raje
सुधा राजे
Dta-Bjnr
Apr 13

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