बच्चे 8-

बच्चे8-
तनाव टेंशन दुख विरह एकाकीपन डर तनहाई और निराशा ।

आपको क्या लगता है ये सारे शब्द बालिग हैं?
गुङिया की समस्या है कि उसके बगल में एक लङका बैठता है जो अकसर लंच
चुराकर खा जाता है और बॉटल जूठी कर देता है । टीचर से झूठी शिकायतें करता
रहता है । मुनिया की समस्या है बस कंडक्टर रोज किसी बहाने इंटेशनली छूता
और मुसकराता है बस में चालू किस्म के गाने जोर से बजाता रहता जबकि वह उस
तीस मिनट में पढ़ना चाहती है। बबलू को चिंता है कि अगर अबकी बार भी गेम्स
में सिलेक्शन नहीं हुआ तो उसका विश्वनाथन आनंद या सचिन बनने का सपना टूट
जायेगा जबकि टीचर और कोच भेदभाव पक्षपात पर उतारू हैं। मिकी को घर में
दिन भर शोर पापा मम्मी दादी और काका काकी के झगङों की वजह से समय नहीं
मिलता पढ़ने का वह रात रात भर जाग जाग कर पढ़ती है और क्लास में सुस्त
रहती है। टोनी स्कूल इसीलिये भाग जाता है एक घंटा पहले और छुट्टी के एक
घंटे बाद आता है कि घर में सब जमकर काम कराते हैं और गलतियाँ खोजकर पीटते
हैं । गुड्डी की कोई सहेली नहीं है क्योंकि सब उसके भाईय़ों से डरते हैं
ऐर लङकियाँ गुड्डी के घर नहीं आतीं ।
बच्चे दिन भर अकेले है मजदूर किसान परिवारों के बाप परदेश गया माँ पानी
गोबर ढोर खलिहान करती है बच्चे अकेले हैं डरे सहमे रोते हुये और तनहा।
माँ जॉब करती है पापा की ड्यूटी दूर है दादी दादा गाँव से आने को तैयार
नहीं बच्चे दिन भऱ भीतर से ताला लगाये डरे सहमे बंद रहते हैं आतंकित।
लाखों बच्चे बिन माँ के बच्चे है या बिना पिता के बच्चे हैं । और करोङो
बच्चे दुष्ट पिता और लापरवाह माता के बच्चे हैं।
एकदम झूठ है ये सरासर झूठ है कि ""कुपुत्रो जायेत् क्वचिदपि कुमाता न भवति ""
होती है माँ भी कुमाता होती है । और पिता भी कुपिता होता है।
तब जब माँ बात बात पर जैसा तेरा बाप गंदे खून की गंदी नस्ल और पिता माँ
के खून नस्ल को बच्चे की गलती पर कोसते हैं। जब शराब पीने को रोज सैकङों
रुपये फूकने वाले पिता को याद नहीं रहता कि फल सब्जी विविध अनाज दूध घी
बच्चे को पूरा कद काठ विकास देने को ज्यादा ज़रूरी हैं । माँ जब
ब्यूटीपार्लर पर तमाम खर्च करके और घर के गुलदस्ते परदे फर्नीचर पर खर्च
करती है कपङे गहने मेकअप पार्टी मगर उसे याद नहीं रहता बच्चे का थर्ड
टर्म एक्ज़ाम है और बादाम अखरोट टॉनिक शांति और अतिरिक्त समय बच्चे को
चाहिये। बच्चों की छोटी मोटी बीमारी टीकाकरण अज्ञानी ही नहीं पढ़े लिखे
दंपत्ति भी अकसर अवॉईड करते मिल दाते हैं। माँ ब्रेड बिस्किट मैगी पासता
मेकरॉनी कॉर्नफ्लेक्स टिफिन में देकर भूल जाती है कि सेहत बच्चे की
निर्भर है सुबह दोपहर शाम रात के भोजन पर ।
पूरी साढ़े छह फीट की काया विकसित हो सकती थी जिस बच्चे की वह ग़रीबी
नहीं वरन माँ बाप की लापरवाही और कर्त्तव्य चोरी की वजह से पौने पाँच फीट
का ही रह गया।
तनहा तनहा केवल इश्क़ में ही नहीं हुआ जाता । कुछ बच्चे भी तनहा किस क़दर
हो सकते हैं कलेजा चीर देने वाली बात है। दादा दादी है नहीं काका काकी
नहीं बुआ की शादी हो गयी पापा बेड पर और माँ दिन भर काम करती है । बच्चा
चुप रहने का आदी हो जाता है और ये चुप्पी क्लास में दोस्त नहीं बनने देती
। मेधावी बच्चा किंतु परिवार में कभी माँ के सिवा किसी से बात ही नहीं की
तो क्लास में क्या बोले!!!!!! बिट्टू की दशा का अहसास तक नहीं था माँ को
नर्सरी करने के बाद अचानक बिट्टू की क्लास में जाना पङा । लंच टाईम था सब
बच्चे झुंड में खाना खाते खेलते और बिट्टू चुपचाप अकेले अपनी चेयर पर एक
एक निवाला खाये जा रही है!!!! क्यों बेटा!!! जाओ खेलो न जल्दी खा के?
नहीं माँ हमारा कोई फ्रेंड नहीं!!!!

क्यों? क्योंकि बिट्टू ने कभी माँ के सिवा किसी से बात ही नहीं की!!!
उसे नहीं पता सामान्य घरों के बच्चे क्या क्या बातें करते हैं और पढ़ने
और कहानिया सुनने या माँ के गीत माँ के साथ खेलने से भी अलावा कोई रोचक
बात चीत हो सकती है। उसकी हर बात माँ से शुरू माँ पर खत्म हो जाती है ।
टीचर से पूछा । कहा बहुत जीनियस बच्ची कॉन्फिडेंट ।
शायद घंटों रोये हम । किंतु बच्चे के दोस्त नहीं बना सके लंबे समय तक
फिर बच्चे को बच्चों के बीच जहाँ मौका मिलता ले जाते । और क्लास के
बच्चों से रोज सुबह और दोपहर दो चार बातें करते तब जाकर बिट्टू का ग्रुप
बना ।
ये कहीं भी हो सकता है । कोई भी बिट्टू तनहा तनाव ग्रस्त चिंतित हो सकता
है। ये चिंता कुछ भी हो सकती है । बिट्टू को रामायण पता है महाभारत और
टॉलस्टॉय शेक्सपीयर किंतु पौकीमौन पिकाचू शिनचेन नहीं पता ।
तब?
ये मजदूर बच्चा चिंतिंत हो सकता है कि अगर आज कम पैसा कमाया तो घर पर पिटाई पङेगी।
बङे लोग मनोरंजन कर लेते है बातें बराबर वालों में और ग़म ग़लत किंतु
छोटे बच्चों की तनहाई तनाव और चिंता कोई मायने ही नहीं रखती?
बाल साहित्य बाल फिल्में बाल टीवी शो??? क्या सब बच्चों को उपलब्ध है?
आप अगर अभिभावक हैं तो पशु की तरह केवल खूँटे पर रोटी कपङा किताबें देकर
पढ़ो पढ़ो मत चीखते रहिये ।
जब तक आपको बच्चे के सब टीचर सब क्लास मेट ड्राईवर कंडक्टर और रोज की
दिनचर्या में हर तबदीली का नाम पता घटना सबके पते ठिकाने नहीं मालूम आप
ग़ैर जिम्मेदार अभिभावक हैं ।
आपके दोस्तों को चाय नाश्ता ड्रिंक और स्वागत??
लेकिन बच्चे के दोस्तों को? दुत्कार? और बस यूँ ही उँहू बच्चे हैं!!
कभी अपने मेहमानों की तरह अपने बच्चों के दोस्तों का भी स्वागत करके देखिये!!
और महसूस कीजिये वह खुशी और परिवर्तन जो आपके बच्चे में आयी है। याद
रखिये आपके बच्चे की लंबाई चौङाई सेहत और संस्कार वयस्क होने के बाद आप
चाहकर भी नहीं बदल सकते । तो पूरा विकास पूरी तवज्जो के साथ क्यों नहीं ।
वरना आप में और सूदखोर साहूकार में क्या अंतर है जो ब्याज के लालच में
निवेश करता है? और आप दहेज और बुढ़ापा वंश और समाज में प्रतिष्ठा और सेवा
कराने के लालच धर्म और स्वर्ग नर्क के लालच में बच्चे पालते हैं उनसे
बदले में सारा जीवन ज़रखरीद गुलामों की सी जी हुज़ूरी की उम्मीद रखते
हैं?
कुमाता वह माँ है जो बच्चे को परवरिश कम ताने ज्यादा दे । पिता वह कुपिता
है जो सजा अधिक और पोषण कम दे ।
©®सुधा राजे
क्रमशः जारी ''''''''

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