Thursday 28 November 2013

बच्चे, समाज और बचपन::-2

जब जब डिसिप्लेन की बात आती है
तो सर्कस जिम्नास्टिक और नट बंजारे
बेड़िये और जादूगर बनने वाले बच्चे
अनायास याद आ जाते हैं ।
क्या कभी आपने देखा है सर्कस? नट
का करतब? अक्सर लोग तमाशा देख कर
चले जाते हैं पैसा फेंककर । लेकिन पेटा और
पशु हिंसा निवारण अधिनियम ने
जहाँ सरकस मदारीगीरी बाज़ीगरी जादू
आदि से जानवरों को कम कर दिया है ।
वहीं बच्चे आज भी इस अत्याचार
का हिस्सा हैं। लचीला बदन और
हैरतअंग़ेज़ कारनामा दिखाने के चक्कर में
जितना अधिक हो सके
बच्चों को प्राकृतिक विकास के विपरीत
करतब सिखाते समय मारपीट
की जाती है और लगातार परिश्रम
कराया जाता है। बाल फिल्मों के
कलाकार बालकों के विज्ञापन बालकों के
लाईव शो और बालकों के खतरनाक
करतब। परदे के पीछे हकीकत दूसरी है।
बच्चों के एक स्कूल की प्रिंसिपल रहने के
दौरान ये दर्दनाक अहसास हुआ
कि बच्चों का कितना दुरुपयोग
सालाना फंक्शन में चीफ गेस्ट को खुश करने
के नाम पर होता है । और
यही नहीं वहाँ मन पर भी अत्याचार
होता है । महान नेता जी को आना है
बच्चे तपती धूप में मेकअप करके
घंटों प्रतीक्षा में खङे हैं स्वागत को ।
नेता जी के आते ही स्वागत गीत गा रहे
बच्चे । फिर मंच पर नाच रहीं मेकअप
करके लङकियाँ और नेतागण बङे
अतिथि प्रसन्न हो रहे हैं । मंच के पीछे
बच्चे रो रहे हैं भूख लगी नींद आ रही है ।
सू सू आ रही है टीचर धमका रहे हैं
छङी लेकर । बच्चे बोर हो गये
अपनी बारी आने तक सारी सजावट
बेकार । महीनों रिहर्सल के बाद
निकाल दिया प्रोग्राम से टीचर ने
क्योंकि कुछ बच्चे एक लय में नहीं कर
पा रहे एक्शन बच्चे का समय खराब
गया मन उदास अपमानित हो गया। बच्चे
जुलूस रैली जलसे हर जगह कतार बाँध कर
स्कूल का प्रचार बनकर खङे है!!!!
ये सब क्या तमाशा है?
बङों को बच्चों का मनोरंजन
करना चाहिये और बच्चे खुश होकर
ताली बजायें । ये नेता चीफ गेस्ट पाँच
घंटे लेट आ रहे हैं तो बच्चे मार्चपास्ट
रैली स्वागत को खङे बेहोश होकर गिर
रहे हैं । कल धामपुर के तमाम बच्चे आयरन
की गोली खाकर अस्पताल में पहुँच गये ।
चार महीने पहले सैकङों बच्चे बिहार में
मिड डे मील खाकर मर गये। जगह जगह
फूड पॉयजनिंग हो गयी। बच्चे स्कूल
अस्पताल घर मंदिर कहीं भी यौन
हवसी भेड़ियों के निशाने पर । प्यार
करके के बहाने बङे लोगो में छुपे शैतान
बच्चों पर वासना के गंदे स्पर्श उँडेल रहे
हैं । हमारे आसपास ऐसे लोग मिल जायेंगे
जिन के आचरण बच्चों के प्रति घिनौने हैं
किंतु आप चाहकर भी पहचान कर भी कुछ
नहीं कह सकते । पापा के दोस्त टीचर
सहेली के पापा चाचा मामा ताऊ
फूफा मौसा बाबा और चीफ गेस्ट तक गोद
में उठाकर बच्चे के गाल और जगह ब जगह
चूमकर प्यार छू कर चिपटाकर अपनापन
दिखा रहे हैं । किंतु दस में से
दो की भावना गंदी घिनौनी है । ये
मेरी पोती बहिन बेटी जैसी है तो केवल
आङ लेने का बहाना है। एक छात्र
को मिलिट्री के सिपाही ने लालच देकर
फँसाया और सोचकर दिल दहलता है
कि नन्हें नन्हें लङके कुकर्म का शिकार
हो रहे हैं । इनको डांस सिखाने जादू
सिखाने ड्राईवरी सिखाने तरह तरह
की पेट पालने वाली कलायें सिखाने के
नाम पर यातनादायक कुकर्म लङकों के
साथ किया जाता है। मुहल्ले के दादा ।
बच्चा जेल आश्रम होस्टल में बॉस बनकर
रह रहा स्टाफ सीनियर लङके
जरा सी दादागीरी दिखाकर छोटे
लङकों से भीषण अप्राकृतिक कुकर्म करते हैं
। लङकी के मामले जहाँ उबलते रहते हैं ।
वहीं लङकों के मामले रफा दफा कर दिये
जाते है। पीङित को सुविधायें देकर
पैसा देकर शोषण की आदत सहने
की चुप्पी सिखा दी जाती है। कोच और
सीनियर गार्ड और पङौसी बङा कजिन
और नातेदार जाने कौन कब छोटे लङके
को खींचकर ललचाकर दबा धमकाकर
कुकर्म कर डाले पता नहीं । रैगिंग
का रोग कुकर्म लीला बनता जा रहा है।
बच्चों ने बचपन में जो जो अत्याचार सहे
होते हैं। वही सब बङे होकर
उनको परिवर्तित विकृत करते हैं माँ बाप
को पता तक नहीं चलता और बचपन खून से
लिखी दासतान बनकर रह जाता है।
आपके आसपास छोटे बच्चे के नजदीक
बङों किशोरों से ही सबसे ज्यादा डर है
वही फुसलाकर सिखाते है कि ये सब जस्ट
गेम है। और बताना नहीं माँ बाप
को वरना साथ नहीं रखेगे। आप सोच
भी नहीं सकते कि बच्चे के आसपास कितने
राक्षस अपनों और वरिष्ठों के रूप में
मँडरा रहे हैं ।

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