Sunday 17 November 2013

तीन लोक रंग सुधा राजे के

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Sudha Raje
Sudha Raje
रोरी हरदी धर टीका भर
माटी अँचरा छाँव
की।।
अम्माँ मोरी पठौनी धर जौ माटी मोरे
गाँव
की।।
बाबुल मोरी पठौनी धर जौ ।
माटी मोरे गाँव की ।।
****
थोङौ नीर नदी कौ ।
थोङी धोवन तोरे
पाँव की।।
अम्माँ मोरी पठौनी धर
जौ माटी मेरे गाँव
की।।
*****
पईयाँ पईंयाँ जब लरकैयाँ चली पकङ
बाबुल की बईंयाँ
उतर घुटरूअन चाटी माटी मार सपाटे लै
गई कईंयाँ
।।
तनक सियानी भएँ मोरी मईया।
परदेशी खौँ सौंपी बईयाँ।।।।
माटी बालेपन की गुईंयाँ----—°°°°°°°
''''''यादें छूटे ठाँव की।।
अम्माँ मोरी पठौनी धर दे माटी मोरे
गाँव की।।
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बेर मकोर करौंदे
टेंटी ।।कैंथा इमली झरबेरी।।
डाँग जलेबी ,होरे भुन्टा महुक कसेरू और
कैरी।।
तरस तरस गई मामुलिया खौँ । भई
ससुरार महा बैरी ।।।।
ज्वार की रोटी दूध महेरी°°°°°°°°°°°°°
°° "काँय"^
)वीर
के नाँव की"।।
KAA'NY EK MITTI KI KONE HOTI
HAI JO BHAI KE LIYE BAHINE gaur
ko charhati hai navratri mein
Suaataa ke khel mei
अम्माँ मोरी पठौनी धर दे माटी मेरे
गाँव की।।
******
माटी के शंकर गनगौरें हाथी घोङे
माटी के।।।
एङी गल गुच्ची घरघूले चाक गिंदौङे
माटी के।।
माटी खेल बङे भये सपने
काया जोङे माटी के ।।
मिट्टी के वे चूल्हे बाशन•••••••••••
वो हाँडी गुङियाओं की।।
अम्माँ मोरी पठौनी धर दे माटी मेरे
गाँव की।।
°°°°^°°°°°°°°°°°
मिचकी पींग हिलौंरे होरी। कीच रंग
भँग हुङदँग की।।
कोह्नी घुटने छिले
मली वो माटी बूटी अँग अँग की।।
कनकौए कंचे बौ अक्ती संकरात सुध सतरँग
की ।।
केश
धो रही भौजी खा गयी••••••••••••••••••
सौंधी महक कथाओं की।।
अम्माँ मेरी पठौनी धर दे माटी मेरे गाँव
की
©®¶©®¶
माटी मोरे देश की माटी ।।
हा •••••बिछुङे
परिवेश की माटी....
पूरे संस्कार संस्कृति की गुरूअन के उपदेश
की माटी।।।
सत्ती माई के चौरे की।
भसम शहीद चिताओं
की।।
अम्मा मोरी पठौनी धर दे माटी मेरे
गाँव की
©®¶©®¶
SUDHA RAJE
DATIA**★Bijnor
Jan 29
Jun 12
Sudha Raje
आपके लिये रिजर्व गीत रहेंगे जो हम
आपको मैसेज करेंगे आप सादर गा सकतीं है
कवि को सिर्फ नाम की पहचान चाहिये
और कुछ नहीं
प्रणाम् Tnx
Jun 12
Sudha Raje
Sudha Raje
अम्माँ मर गयीँ जब सेँ बापू रै गये निपट
अकेले ।
डिङक हिलक के कै रये बिन्नू!!!!
को जौ जीबौ झेलै
तज गईँ को जौ जीबौ झेले
जौ लौँ अम्माँ जियत
रहीँ बाबूजी की चलती रयी ।
डाँट पङी अम्मईँ पै चाँये कोऊ
करी गलती रयी ।
अब कै रये पछता कैँ हमखौँ काय न भेजौ पैलै
बिन्नू को जौ जीबौ झेले । अम्माँ डाँठेँ
रयीँ थुमियाँ सीँ टाट बङेरे घर के ।
इत्ती तनक कमाई में जोरी मुलक
गिरस्थी मरकें
बाबूजी तब दारू पीकैं खूबई रुतबा ठेलेँ
बिन्नू को जौ जीबन झेले । लरका बऊ ने
कब्जा लओ अब
मड़ा ""पौर में बैठेँ । अम्माँ खौँ गरिय़ाऊते
बैई "अब बऊ की सुन सुन ऐंठे ।
नातिन कै रयी टोकत
कित्तो डुकरा "कितै पहेलेँ । बिन्नू
को जौ जीबन झेले
सुधा आयीँ बिटियाँ सो हिलके जे ई लगत
तीँ खोटीँ ।
बेई सुना गयीं भज्जा खोँ कये दै रओ
सूकी रोटी ।
बिटियन के डर सेँ भौजाईँ
जो पथरा मुडीँ ढकेलें बिन्नू
को जौ जीबन झेलेँ
अम्माँ हतीँ दबाउत गोङे मूँङ पै चिकनई
धरतीं
नग नग दुख रये गोली खा रये । नत बऊ
ढूँक पबरतीँ।
सबखौँ भाबई लगे पैन्शन मिल रय़ी जाये
सकेलेँ
बिन्नू को जौ जीबौ झेले ©®¶©®¶
Sudha Raje
Dta/bjnr
अम्माँ हतीँ मिलत तीँ चुपरी । बई पै
टाठी फेँकी ।
कौनऊ परी विपत् अम्मईँ ने झखरा बन बन
छेँकी
जई सेँ ""सुधा"" जोर कर कै रयीँ ।
घरवारी सँग रै ले
बिन्नू को जो जीबौ झेले???? ©®¶©®¶
Sudha Raje
Apr 7
Jun 12 · Seen Jun 12
Sudha Raje
Sudha Raje
सैरे ठनगन तोय भुला दऊँगो मैं
ऐसो हुरियारो गोरी
मैं ऐसो हुरियारो गोरी
मैं ऐसो मतवारो गोरी
मैं मतवारो गोरी
तोय प्रेम की भंग
पिला दऊँगो मैं
ऐसो रसवारो गोरी
तोरी अँखियाँ बङी नशीली रे मोय चढ़
गयी आज हठीली रे तेरी छैल
छबीली सूरतिया अलबेली नार नवेली रे
तोय फागण थार बनाय दऊँगी मैं
ऐसी रँगवारी छोरी
मैं ऐसी रँगवारी छोरी
मैं ऐसी रंगवारी छोरी
मैं नैना कजरारी गोरी
मैं कजरारी गोरी
तोय घोर के रंग बनाय
दऊँगी
चूनर पचरँग
वारी मोरी
©®¶©®
Sudha Raje
Dta//Bjnr
तोय मैँ छेङूगौ गली गली
तोय मैं टेरूँगो कली लली तोपे गुलाल मैँ
डारूँगो
और लुक छिप तोय निहारूँगो सीटी पै
नाच नचा दऊँगौ
मैं ऐसो गवनारो गोरी
तोय थाने बंद करा दऊँगी लोगिनियन
सौँ पिटवा दऊँगी तू जेल
की चक्की पीसेगो खीसे सें
रूपिया हीँचैगो मेरी गुईयाँ थानेदारिन
है और भौजी पटवारी मोरी
©®¶©®¶
Sudha Raje
Dta//Bjnr
Mar
20 ·
2 minutes ago
Sudha Raje
ये बृज का शरारती अंदाज अगर आप
जोङी बनाकर स्त्री पुरुष सवाल ज़वाब
में वीडियो बनायेंगी तो सुपरहिट
होगा नखरीला गीत हाँ
हमारा नाम जरूर रचनाकार ""सुधा राजे
"बिजनौर/दतिया।
जरूर
पुकारा जाये
आपका नटखट अभिनय गीत को अमर कर
देगा
Just now

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