मेंढकी की नाल और घोड़े का तालाब

Sudha Raje
एक था हय और बहुत ही हृष्ट पुष्ट अश्व
होने से उसे मालिक ने नीलाम कर
दिया क्योंकि वह सरपट तेज
भागता था और देखने में
बङी ही ऊँची प्रजाति का लगता था ।
नये मालिक ने नाक में नकेल पहनायी और
पैरों में नाल ठुकवायी । बधियाकरण
कराया और मुँह पर
मुसीका बाँधा आँखों पर ब्लिंकर चढ़ाये
और पीठ पर जीन कस दी जीन पर झूल
डाली जबङे में लगाम फँसायी और रेस में
जॉकी उस पर बैठकर दौङा । दर्शकों ने
दाँव लगाये और लाखों का कारोबार
होने
लगा । "हय"को घमंड हो गया । कि वह
तो बहुत ही महान धावक है वह
प्राणों की बाजी लगाकर दौङता और
जीतता मालिक । बदले में मिलते चने और
हरी घास और सईस करता मालिश । एक
दिन जब वह अति घमंड में चूर
था तो इतनी तेज दौङा कि एक नये
नौजवान घोङे से हार गया । मालिक के
साथ लाखों लोगों की बाजी डूब गयी और
मालिक ने गुस्से में उसे एक ताँगे वाले
को बेच दिया । ताँगे वाले ने दस दस
सवारी की फेरी करनी शुऱू कर दी और
बदले में मुँह पर तोबङा टाँग देता जिस में
होती चने की भूसी धान का चोकर । हय
को बङा गुस्सा आता वह
नहीं खाना चाहता मगर
खाना पङता क्योंकि चाबुक पङते अगर
दिन भर पंद्रह बीस फेरी नहीं होती ।
हय बूढ़ा होने लगा और कमजोर भी एक
दिन मालिक ने परेशान होकर एक
कुम्हार को बेच दिया और नया घोङा ले
आया कुम्हार सुबह चार बजे दोनों तरफ
सलीते की थैली पीठ पर टाँग देता और
मिट्टी की ढाँगों से मिट्टी भर कर
लाता । जितनी देर कुम्हार
मिट्टी खोदता हय को एक तालाब के
किनारे छोङ देता वह
वही कुचली रौंदी गायों की चरी हुयी घ
चरता क्योंकि चारागाह घोङों के लिये
नहीं गायों के लिये थे सो ग्वाले जब देखते
डंडा मारकर भगा देते ।हय तेज भाग
नहीं सकता था । क्योंकि दो टाँगों में
रस्सी बाँध दी थी कुम्हार ने सो एक
दिन डंडे से चोट लगी औऱ वही पर सलीते
की काठी रगङने से घाव
हो गया जो दर्द करता । रात
को कुम्हार गधों के बगल में बाँध देता ।
जो दुलत्ती मारते रहते । एक दिन
तालाब के मेढकों को देखकर
घोङा ललचाया काश वह भी आज़ादी से
छलांग लगा पाता । मेंढक की तरह तैर
पाता कूद पाता परिवार कुनबे और पसंद
के भोजन के साथ रह पाता । मेढक से
बोला भाई तुम मुझे छलांग
लगाना सिखाओ. मेंढक बोला देख दोस्त
तेरे बस की बात नहीं ये सङक नहीं नगर
की गाँव का जंगल औऱ तालाब है कीचङ
तली में है । तेरे पैर में रस्सी नाक में नकेल
मुँह पर मुसीका पीठ पर काठी और खुर में
नाल ठुकी है । नहीं माना हय बोला मुझे
दिखाओ में सीखूगा मैंने बङी बङी रेस
जीती । मेंढक की छलाँग देख कर मन में
गाँठ बाँध ली । कुछ दिन बाद रेस वाले
मालिक के बेटे की शादी थी और कुम्हार
हय को ले गया सजाकर
दूल्हा बिठाया और बारात चल
पङी रास्ते में स्विमिंग पूल देख हय
को मेढक की याद आयी और उसने छलाँग
लगा दी दूल्हा पूल में गिर पङा । दूल्हे के
बाप ने घोङे को गोली मार दी । लाश
जंगल वाले तालाब के पास फिंकवा दी ।
मेंढक की आँख में आँसू भर आये बोला ""मेंढक
की नाल
वाली कहानी तो झूठी थी दोस्त लेकिन
घोङे की शान वाली गुलामी से जंगल के
पोखर वाली मेंढकीय
आजादी ज्यादा अच्छी है । कौये ने चोंच
मारी कहा सही मेंढक तालाब में छपाक से
कूद गया कहकर हर किसी के बस में
नहीं जंगलनिवास ।
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Sudha Raje
Wednesday at 9:40pm
जून

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