लगी फिर मुँह दिखाई सी

Sudha Raje
वो सूखी डाल पे
नन्ही हरी पत्ती लजायी
सी

जो देखा आपने हँसकर,
लगी फिर
मुँह दिखायी सी।
लगा फिर
आईना मुझको बुलाने अपने
साये में,।
सुनी जब आपके होठों ग़ज़ल
मेरी बनायी सी ।
लगी वो फिर शक़ीला इक़
गुलाबी फूल को तकने ।
शहाना शोख़ चश्मी से
झरा जैसे बधाई सी।
बजे हर तार दिल का आपकी आवाज़ सुनकर
यूँ ।।
नदी की धुन समंदर के हो सीने में समाई
सी
न भूला दिल सरो-अंदाम
ज़लवा आपका पहला ।
ख़ुमारी फिर वही चेहरे पै
सेहरे के सगाई सी ।
असीरी उम्र भर की है
सुधा किश्वर क़फस नफ़सी।
क़यामत हो कि ज़न्नत आपके पहलू
समाई सी ।
©Sudha Raje
©®©SUDHA Raje
Dta'Bjnr
May 6

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