ग्रामवासिनी मैं गवाँर तुम क्या समझोगे गाली है??

Sudha Raje
Sudha Raje
ग्रामवासिनी
हम गँवार देहातिन
बाबू!!!
गाली है????

शहर
खा गये सब कुछ मेरे गाँव
की झोली खाली है

दूध पिये बिल्ली कुत्ते तोते फल खाते
माखन तुम

क्या जानो बिन रोटी के रमदसिया मरने
वाली है

सारी साग़ सब्ज़ियाँ महुये आम आँवले बेर
तलक

भर ले जाते आढ़त बाबू बस
हमरी रखवाली है

बोबें ,छेतें ,छोलें ,रोपें,ईख पिसी तिल
धान उङद

मिल ,काँटे ,मंडी ,कोल्हू पे
गाङी करदी खाली है

जो भी आबे खाता जाबे हम जाबे
तो दुत्कारे

बिही केर गुङ परमल बिक गये
काली भई घरवाली है

भैया जी कैँ गये शहर एक दिन
बीमारी विपदा में

बहिना ने भी नाही चीन्हा भौजी
मतलब वाली है

धिल्ली नखलऊ दून के चक्कर काट काट कें
चिक्कर गये

अव्वल की ये डिगरी ऊँची बिन रिश्वत
बेमाली है

सुधा गाँव की गौरी नईँ अब
ठेठों वाली कल्लो भयी

शहर गाँव की कैसी यारी मिक्सर
कहाँ कुदाली है
©®¶©®
बिजली आने का त्योहार मनाते
हफ्तों बाद यहाँ

राशन की लाईन घोटाला करे पंच
की साली है

ले जाते मजदूर बनाकर बंबई बेचें बच्चों को

हम गँवार गंदे मजदूर की फूटी लुटिया थाली है
©®¶©®¶
कहाँ कौन सा देश और सरकार हमें
तो थाना है

इज्जत जाये कतल हो चाहे
पंचों की दल्लाली है

पाँच साल पे भोट डालने पकङ पकङ
ले जाबेंगे

दारू दे के बिलमाबेंगे रैली जोर
निकाली है

पटबारी को पैसे नई गये पैमाईश में
फँसा दियौ

गिरदाबल के नक्शे में अब ग्राम समाजू
ढाली है

चकबंदी में नायब और वकीलों ने
ऐसा फाँसा

परके करधन बेची रोके
अबके कान की बाली है

बिटिया पढ़ गई इंटर कैसे शहर पढ़ाबें जी
काँपे

गाँव के बाहर भेजे पे तो खाई रोज
ही गाली है

बेटे की उम्मीद में सासू ससुर तबीजें करते
रये

तीन छोकरी हो गयी तिस पे अब
आया बंगाली है

रोज रात कूँ हाङ तुङाके
कमली की अम्माँ रोबै

कच्ची पी के लठ्ट चलाबे खोटी, किस्मत
वाली है

गोबर सानी कुट्टी मट्ठा रोटी बाशन
चरखा भी

हम जोरू फिर खेत रखाबे हमरी बात
निराली है

सुधा भात पे चीज चढैगी भैंस बिके चाहे
दो बीघे

कैसे हमरी धिया बिआहें चिंता नींद
उङाली है
Copy right
and all right reserved
©®™SudhaRaje
सुधा राजे
Dta-Bjnr

Comments