जिंदगी कोई गुलाबी खत नहीं
ज़िन्दग़ी तेरा गुलाबी ख़त नहीं सपना नहीं ।
तल्ख़ियों ने ये सिखाया है कोई अपना नहीं ।
चाँदनी के छोर पर जलता हुआ तारा नहीं ।
सिर्फ़ शब ख़ेज़ी नहीं है वक़्त उजियारा नहीं ।
ज़िन्दग़ी कोई सुनहरा पर नहीं ना शायरी ।
लब सिले जलती हुयी आतश में पहली डायरी ।
जिंदग़ी धङकन नफ़स या ज़िस्म की हरकत नहीं ।
आँसुओं से तर ब तर वालिश पे ग़ुम बरक़त नहीं ।
अब सुधा कहना भी कहना सा मेरा कहना नहीं ।
जिंदग़ी कोई ग़ुलाबी ख़त कोई सपना नहीं ।
©®™ all the rights ®सुधा राजे 1:20AM
तल्ख़ियों ने ये सिखाया है कोई अपना नहीं ।
चाँदनी के छोर पर जलता हुआ तारा नहीं ।
सिर्फ़ शब ख़ेज़ी नहीं है वक़्त उजियारा नहीं ।
ज़िन्दग़ी कोई सुनहरा पर नहीं ना शायरी ।
लब सिले जलती हुयी आतश में पहली डायरी ।
जिंदग़ी धङकन नफ़स या ज़िस्म की हरकत नहीं ।
आँसुओं से तर ब तर वालिश पे ग़ुम बरक़त नहीं ।
अब सुधा कहना भी कहना सा मेरा कहना नहीं ।
जिंदग़ी कोई ग़ुलाबी ख़त कोई सपना नहीं ।
©®™ all the rights ®सुधा राजे 1:20AM
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