फिर मुँह दिखाई सी
Sudha Raje
वो सूखी डाल पे
नन्ही हरी पत्ती लजायी
सी
।
जो देखा आपने हँसकर,
लगी फिर
मुँह दिखायी सी।
लगा फिर
आईना मुझको बुलाने अपने
साये में,।
सुनी जब आपके होठों ग़ज़ल
मेरी बनायी सी ।
लगी वो फिर शक़ीला इक़
गुलाबी फूल को तकने ।
शहाना शोख़ चश्मी से
झरा जैसे बधाई सी।
बजे हर तार दिल का आपकी आवाज़ सुनकर
यूँ ।।
नदी की धुन समंदर के हो सीने में समाई
सी।
न भूला दिल सरो-अंदाम
ज़लवा आपका पहला ।
ख़ुमारी फिर वही चेहरे पै
सेहरे के सगाई सी ।
हमारी उम्र फ़ानी ये दिलो ज़ां बस निशानी है ।
हमारी रूह में ख़ुशबू मुहब्बत की बनायी सी ।
सरकती रात की चादर वो ढलते लाज के घूँघट।
हज़ीं वो ज़ां सितानी ज़ां पे बनती याद आई सी।
असीरी उम्र भर की है
सुधा किश्वर क़फस नफ़सी।
क़यामत हो कि ज़न्नत आपके पहलू
समाई सी ।
©Sudha Raje
©®©SUDHA Raje
Dta'Bjnr
May 6
सुधा राजे
एड
फतेहनगर,
शेरकोट
बिजनौर
उप्र
246747
मो7669489600
वो सूखी डाल पे
नन्ही हरी पत्ती लजायी
सी
।
जो देखा आपने हँसकर,
लगी फिर
मुँह दिखायी सी।
लगा फिर
आईना मुझको बुलाने अपने
साये में,।
सुनी जब आपके होठों ग़ज़ल
मेरी बनायी सी ।
लगी वो फिर शक़ीला इक़
गुलाबी फूल को तकने ।
शहाना शोख़ चश्मी से
झरा जैसे बधाई सी।
बजे हर तार दिल का आपकी आवाज़ सुनकर
यूँ ।।
नदी की धुन समंदर के हो सीने में समाई
सी।
न भूला दिल सरो-अंदाम
ज़लवा आपका पहला ।
ख़ुमारी फिर वही चेहरे पै
सेहरे के सगाई सी ।
हमारी उम्र फ़ानी ये दिलो ज़ां बस निशानी है ।
हमारी रूह में ख़ुशबू मुहब्बत की बनायी सी ।
सरकती रात की चादर वो ढलते लाज के घूँघट।
हज़ीं वो ज़ां सितानी ज़ां पे बनती याद आई सी।
असीरी उम्र भर की है
सुधा किश्वर क़फस नफ़सी।
क़यामत हो कि ज़न्नत आपके पहलू
समाई सी ।
©Sudha Raje
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