क्रोध ये अदम्य हो चुका जो क्षम्य हो तो क्यों ???

क्रोध ये अदम्य
हो चुका जो क्षम्य
हो तो क्यों
विरोध ये अनम्य
हो चुका सुरम्य
हो तो क्यों??
अंजसा अनिष्ट ध्वंस अब
प्रलय करो विलय
अंतरिक्ष् दिग् दिगंत
अंबरात हो निलय
राष्ट्रवाद पंथ
हो अक्षोभ्य
राष्ट्रता वलय
क्रुद्ध युद्ध वीर जो विरुद्ध
उठ महाप्रलय
अकाण्ड हो प्रकाण्ड
काल पथ अगम्य
हो तो क्यों
अग्रतः बढ़ो अघोष रोष ये
अछेद्य हो
अहे तरुण ! अधूत हो अनम्र
हो अनिन्द्य हो
अनुव्रजन हे ! सुपुत्र !
बलि प्रथा अमेय हो
अदम्भ हो अदग्ध
अद्रि वीर नम्य
हो तो क्यों
कदर्य जो कदाख्य
हों करोटि मोड़ छोड़ दो
देशद्रोह रत मिलें कुभाल
तोड़ फोड़ दो
कराल काल से उठो कलुष
कटक निचोड़ दो
कपोत काक कण्ठ शत्रु
कदलि सा मरोड़ दो
कुंन्त काल तेज है तु सेज
काम्य हो तो क्यों
(c)SUDHARaje (adv.)

Adv.Sudha Raje
511/2;Peetambara Asheesh
Fateh nagar
post-SHERKOT
dist-Bijnor
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mbl-7669489600
यह रचना पूर्णतः मौलिक है।
email- sudha.raje7@gmail.com

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