हवा शरमाई सी क्यूँ है
Sudha Raje
कि जैसे छू लिया तूने ।
हवा शरमायी सी क्यूँ है ।
ख़ुमारी तेरी आँखों में अभी तक
छायी सी क्यूँ है ।
बहुत संज़ीदग़ी से बर्गो -शाखो-ग़ुल
को छूती है।
चमन में आई तो तेरी तरह
अलसायी सी क्यूँ है।
नज़र लब ज़ुल्फ़ सब इतने इशारे ये तबस्सुम क्यूँ
।
लगे तेरी तरह मयनोश ये घबरायी सी क्यूँ है ।
।
बहक़ कर लग्जिशे पा फिर सँभल कर
गुनगुनाती सी ।
।
अदा भी है अदावत भी ये यूँ
अँगङाई सी क्यूँ है।
सुधा वो शोख बातें सरसराती गोशबर
ख़ुशबू ।
तेरे आग़ोश में ग़ुम कसमसाती आई सी क्यूँ है।
।
©सुधा राजे Sudha Raje
Dta-Bjnr
May 22
कि जैसे छू लिया तूने ।
हवा शरमायी सी क्यूँ है ।
ख़ुमारी तेरी आँखों में अभी तक
छायी सी क्यूँ है ।
बहुत संज़ीदग़ी से बर्गो -शाखो-ग़ुल
को छूती है।
चमन में आई तो तेरी तरह
अलसायी सी क्यूँ है।
नज़र लब ज़ुल्फ़ सब इतने इशारे ये तबस्सुम क्यूँ
।
लगे तेरी तरह मयनोश ये घबरायी सी क्यूँ है ।
।
बहक़ कर लग्जिशे पा फिर सँभल कर
गुनगुनाती सी ।
।
अदा भी है अदावत भी ये यूँ
अँगङाई सी क्यूँ है।
सुधा वो शोख बातें सरसराती गोशबर
ख़ुशबू ।
तेरे आग़ोश में ग़ुम कसमसाती आई सी क्यूँ है।
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©सुधा राजे Sudha Raje
Dta-Bjnr
May 22
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