Sunday 17 March 2019

पुलिस...सुधार, ,लेख

सिपाही का सम्मान
*************लेख
सुधा राजे
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पुलिस को कलंक तो बहुत जल्दी दे दिया जाता है कि वह भ्रष्ट है और कह दि,या जाता है कि कार्य नहीं कर रही है परंतु हम सबको जिन जिन चीजों पर सोचना है वे हैं
रहने के लिये पुलिस लाईन में परिवार सहित सुरक्षित जगह
सिपाही के बच्चों की शिक्षा के लिये सैनिक स्कूल की तर्ज पर पुलिस स्कूल की हर नगर में पृथक व्यवस्था
बच्चों के लिये थाने की अपराधी आवक जावक से अलग कहीं रिहाईश
पुलिस को तो वरदी तक बदलने की आवश्यकता है
खाकी के जिस टेरीकाॅट के कपड़े को पहनते हैं वे लोग पूरा दिन हर रोज पूरे बदन में घमौरियां दाने पसेवड़ी निकल पड़ती हैं ,
सेना की वरदी का चितकबरा कपड़ा यदि आपने पहना हो कभी तो ध्यान दें कि वह पूरी तरह सूती और झिरझिरा बुना होता है जिसमें से हवा का आवागमन उत्तम होता है परंतु खाकी का कपड़ा इतना चिकना गफ और मोटा होता है कि हवा नहीं फूटती त्वचा भभकने लगती है । टेरी काॅट पाॅलिस्टर की खाकी का चलन ही गलत है ।
मुझे तो यह भी कहना है कि रंग ही गलत है अंग्रेजी गुलाम आरक्षक की छवि बदल कर नगर नागरिक रक्षक दल की तरह वरदी का रंग बदला जाना चाहिये जो "सीमेन्ट कलर या स्टील कलर या डार्क स्पात कलर या ईंटों का रंग या चांदी का रंग या सुनहरा तक हो सकता है कपड़ा त्वचामित्र सूत का ही होना चाहिये ।
बेल्ट एक पूरा हथियार बन सकती है जिसमें हर तरह की सामग्री मोबाईल ,पिस्तौल ,चाकू ,रुपये, परिचयपत्र, स्पाईकैमरा ,रसद ,मैगजीन कारतूस ,रखे जा सकते हों इसके लिये सेना वाली पाऊचदार बेल्ट सिपाही को भी उपलब्ध करायें ।
शिक्षा केवल स्कूली नहीं होती सिपाही को नागरिक ग्रामीण से संबंधिक पुलिस पब्लिक संबंध पर पूरी पूरी जानकारियों के लिये पत्रिका प्रकाशन से जोड़ा जाये और उसमें हर रिटायर्ड पुलिस अधिकारी को लेख अनुभव सीख सबक लिखने को कहा जाये साथ ही पब्लिक काॅलम रहे पुलिस के सिपाही अधिकारी परस्पर बात कर सकें "साहब मातहत की सीमा से परे जाकर उस तरह की बातचीत पत्रिका के माध्यम से हो सकती है । सिपाही को तैरना ,आग भूकंप बाढ़ और हर तरह के आक्रमण से बचना बचाना सब तरह के सामान्य वाहन चलाना हथियार चलाना क्रमश:प्रतियोगिताओं के माध्यम से विभागीय तौर पर जारी रहना चाहिये ।
सिपाही का वेतन युग की सामान्य आवश्यकताओं रोटी कपड़ा मकान पेंशन रिटायरमेंट दो बच्चे एक जोड़ा स्वयं पति पत्नी तथा दो व्यक्ति माता पिता की पूरी परवरिश के अनुपात सहित मँहगाई के हिसाब से इतना होना चाहिये कि वह पुलिस आवास जब छोड़े तो उसके पास अपना तीन कमरे का सुविधाजनक घर ,शिक्षित स्वाबलंबी बच्चे और स्वस्थ सुरक्षित बुढ़ापा हो ।
पुलिस की संतान को पुलिस बनने का पहला हक है परंतु यदि वह ट्रैंड हो तभी तो बन सकती है इसके लिये व्यायाम खेल कूद और पुलिस स्कूल हर नगर में इसी उद्देश्य से बनायें कि कल जो जो सिविलियन या पुलिसियन अपनी संतान को पुलिस में ही भेजना चाहते हैं उनके बच्चे बाल्यकाल से ही मजबूत होते रहे एक शक्तिशाली मेधाबी चौकस पुलिस बनने के लिये ।
पुलिस के सिपाही को सदा ही जेल से हवालात से थाने से अस्पताल से घटनास्थल से  तक अपराधी को लाना ले जाना पड़ता है बस या रेलगाड़ी में ऐसे अपराधी हजारों केस हैं उदाहरण कि हमला करके साथियों द्वारा छुड़ा लिये गये और सिपाही की नौकरी खतरे में पड़ गयी ।अब या तो वाहन मिले ऐसा कि वज्र हो ताकि कैदी बंद ही रहकर लाया ले जाया सके या रेलगाड़ी में पुलिस कूपा पृथक से लगाया जाये ताकि अपराधी लाने ले जाने को सामान्य व्यवस्था का डर न रहे।
सिपाही की फिटनेस और मनोबल बढ़ाने के लिये योगाभ्यास जूडो कैराटे ताईक्वांडो युयुत्सू मल्लक्रीड़ा गतका मलखंब और हाॅकी फुटबाॅल बासकेट बाॅल कबड्डी जैसे खेल प्रतिदिन की दिनचर्या में शामिल हों हर रोज भोर पांच बजे से सात बजे तक फिटनेस परेड योगा मार्शल आर्ट्स की हर नगर के पुलिसमैदान में चौकस तैयारी निरंतर सेना की ही भांति चलती रहनी चाहिये ।
ये तोंद निकले मोटे या सूखे पतले बेडौल सिपाही न किसी के पीछे दौड़ भाग सकते हैं न ही कूद सकते चढ़ सकते हैं न ही स्वयं को ही बचा सकते हैं क्या सेना में ऐसी देहाकृति किसी चालीस से कम के व्यक्ति की देखी ??
पुलिस का आहार योद्धा का आहार होना चाहिये सिपाही यदि परिवार के साथ नहीं रह रहा है सरकारी कमरों में तो किरायेदार बनकर अकेला नगर में रहने को विवश नहीं होना चाहिये अनिवार्य तौर पर सिपाही पुलिस सरकारी आवासों में ही रहें ताकि एक पुकार पर सिपाही उपलब्ध हो सकें और मैस का भोजन संतुलित नियमित और पौष्टिक खायें जिसकी कठोर निगरानी होती रहे ।
पुलिस को देशी दारू पीकर लुड़कते देखते लोगों में सिपाही की छवि बुरी तरह खराब है ।
तो यह सख्ती की जाये कि नशे में केवल छुट्टी और बिना वरदी के ही रह सकता है वह भी घर या कहीं बंद जगह किसी सार्वजनिक खुली नागरिक स्थान स्थिति पर सिपाही का नशे में पाया जाना संगीन अपराध हो दंड जुरमाना दोनों से नियंत्रित करें ताकि सिपाही नशा करे ही नहीं वरदी में तो कतई नहीं ।
मंचों पर नाचते नर्तकियों संग दरोगाजी का तमंचे पर डिस्को बहुत बदनामी का कारण बना है यह तत्काल से सदा सदा को बंद होना चाहिये ।
पुलिस का आधुनिकीकरण आवश्यक है लाठी ही बंदूक भी हो सकती है और वरदी के सितारे कैमरा भी और बेल्ट पूरा लगेजबैग और जूते पर्वतारोही की तरह के मजबूत आरामदायक भी रस्सी लाईटर चाकू हथियार संचार हर सिपाही को उपलब्ध और प्रशिक्षण भी होना चाहिये आपदा प्रबंधन के लिये बाढ़ भूकंप इमारत गिरने आग लगने और वाहन दुर्घटना आदि में हर बार सेना जो बुलानी पड़ती है क्यों नहीं पुलिस की ट्रैनिंग उच्च स्तर की हो फिटनेस और समर्पित प्रशिक्षण कि नागरिक पुलिस को देखकर सैनिक की तरह सम्मान से उठ खड़े हों और सुरक्षित राहतपूर्ण महसूस करने लगे ।
पुलिस से लड़कियां डरतीं हैं तो कारण भी हैं थाने चौकी जाते स्त्रियां डरतीं हैं तो कारण भी हैं सो यह तो लगातार डेडिकेटेड संस्कार शाला चलाकर ही सिखाया समझाया जा पायेगा कि स्त्रियों को पुलिभैया पुलिस अंकल पुलिस दोस्त लगने लगे न कि डरावनी ?यह आचरण होगा कि शिकायत कर्त्री की हँसी न उड़ायें बार बार दैहिक अपराध के मामले में अनावश्यक पूछताछ न करें न ही बार बार किसी लड़की को फोन करें । नशे में किसी के घर न जायें न बात करें ।किसी भी एक पुलिसवाले ने यदि रिश्वत ली तो वह सब के सब पर पुलिस भ्रष्ट होती है का दाग बनकर चिपक जाती है ।
और यह ओपेन सीक्रेट है कि सिपाही जाता है किसी की भी पूछताछ सम्मन वारंट चालान या जांच के लिये तो चाहे दस में एक ही क्यों न करे दामपानी जेबखर्च पेट्रोल चायपानी का बहाना करके दस बीस से दसबीस हजार तक की भी रिश्वत लेता पाया गया जो जो नहीं पाये गये उन पर फिर नागरिक संदेह न करें तो क्यों न करें यह अब तक का सबसे गंभीर आरोप है कि वरदी और क्लर्क महकमा सब काम पहले दाम के आधार पर करता है ।सौ नागरिकों के बुरे अनुभव सौ करोड़ के लिये कहावत की तरह बन ही जाते हैं तो रिश्वतखोरी तो हर हाल में बंद होनी ही चाहिये ।
पेट्रोल डीजल और किराया भाड़ा यह विभागीय स्तर पर नियंत्रित रहे कि चौबीस घंटे में बीट के भीतर गश्त पर कितना पेट्रोल एक सिपाही को चाहिये उतना मिलता रहे ।
वाहन की बात किये बिना बात पूरी होगी नहीं तो पुलिस में भर्ती होते ही सिपाही को गन वाहन वरदी तीन चीजें आवास के साथ मिलनी चाहिये आवश्यक हो तो बीट वाईज वाहन रखे जायें कि तबादले के बाद वाहन वहीं रह जाये और नयी बीट पर नया वाहन मिले जिनको फिट रखने वाला पूरा गैराज भी हर नगर में हो और सी सी टीवी कैमरे तो हर चौराहे तिराहे माॅल बाज़ार दुकान होटल ढाबे स्टेशन स्टैण्ड स्टाॅप और कैंटीन फड़बाजार मंदिर मसजिद चर्च दरगाह मेला मजार पर होना ही चाहिये ।
बैंक डकैती जैसे अपराध रोकने की जिम्मेदारी बैंकों पर भी रहे कि वे इमारत ऐसी बनवायें कि कुंबल न कर सके कोई न सेंध लगा सके और बैंक में निजी गार्ड रहें सुरक्षा हेतु वाल्ट और कठोर दीवारें रहें ।
सिपाही की ही नहीं नागरिक की भी एक मंडली नगर नगर पुलिस मित्र तरह की बने जो अपराध सूचना तंत्र की भांति काम करे और शिकायत करने को हर चौकी हर थाना ट्विटर फेसबुक व्हाट्एप पर भी हो और ये नंबर हर चौराहे पर हों अखबार के प्रकाशक पट्टी पर हर नगर का थाना पुलिस अस्पताल एंबुलेंस फायर बिग्रेड नंबर हो बच्चों को स्कूल डायरी में लिखाकर याद करायें ।
एन सी सी की ही तरह कोई विंग पुलिस सेवा की बालकपन से युवकों तक चलायी जाये ताकि नागरिक अनिवार्य पुलिस सैनिक दोनों सेवा में से किसी को भी चुन सके और हर नागरिक को किसी भी जाॅब में जाने पर पहला एक साल सेना या पुलिस के लिये सेवा देना जरूरी कर दें ।यदि ऐसा न कर सकें तो ऐच्छिक ही कर सकें ।
पुलिस नागरिक सम्मेलन की  उत्तम जगह है खेल और साहित्य सभा ।
स्नातक नागरिकों की महिला समिति बनाकर महिलाओं के प्रति जागरुकता हेतु पुलिस परिवार की स्त्रियों के नागरिक स्नातक महिला क्लब बनाकर समाज में महिलाओं पर अपराध कम किये जा सकते हैं और लड़कियों को पुलिस में आने के लि,ये तैयार किया जा सकता है ।
महिला पुलिस के लिये हाॅस्टल जैसा ही पुलिसमहिला आवास हर नगर में पुलिस लाईन में ही जरा सा प्रायवेसी देकर रखा जा सकता है ताकि लड़कियों को सिपाही होने पर किराये के कमरों में न जाकर रहना पड़े ।
सिपाही महिला के मान सम्मान की रक्षा का सीधा उसूल है महिला अपराधी के लिये है महिला पुलिस न कि पुरुष अपराधी के लिये ।
शेष फिर
©®सुधा राजे
बता दें कि मेरे बड़े भाई पुलिस में हैं और पिता पहले पुलिस में रहे फिर वनसेवा में फूफाजी पुलिस शहीद हुये

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